माइक्रोप्लास्टिक : एक उभरता हुआ भूजल प्रदूषक
माइक्रोप्लास्टिक : एक उभरता हुआ भूजल प्रदूषक

माइक्रोप्लास्टिक, कोलेस्ट्रॉल और हार्ट अटैक में संबंध: न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन की शोध

माइक्रोप्लास्टिक्स और हृदय स्वास्थ्य: नई शोध से हृदय रोगों के बढ़ते खतरे का खुलासा। जानें कोलेस्ट्रॉल के साथ इसके सहक्रियात्मक प्रभाव।
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1. परिचय: माइक्रोप्लास्टिक्स और हृदय स्वास्थ्य

कोलेस्ट्रॉल, विशेष रूप से कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (LDL) या "बैड कोलेस्ट्रॉल", हृदय रोगों और हार्ट अटैक के प्रमुख जोखिम कारकों में से एक है[1]. यह धमनियों में प्लाक बनाता है, जिससे एथेरोस्क्लेरोसिस होता है, जो रक्त प्रवाह को बाधित करता है और हार्ट अटैक या स्ट्रोक का कारण बन सकता है[2]. दूसरी ओर, माइक्रोप्लास्टिक्स (5 मिमी से छोटे प्लास्टिक कण) और नैनोप्लास्टिक्स (1 माइक्रोन से छोटे) पर्यावरणीय प्रदूषक हैं, जो भोजन, पानी और हवा के माध्यम से मानव शरीर में प्रवेश करते हैं[3]. हाल के अध्ययनों ने इन कणों को रक्तप्रवाह, फेफड़ों, और यहां तक कि प्लेसेंटा में पाया है, जिससे हृदय स्वास्थ्य पर उनके प्रभावों की जांच आवश्यक हो गई है[4].

2024 में इटली में माइक्रोप्लास्टिक शोध ने माइक्रोप्लास्टिक्स और हृदय स्वास्थ्य के बीच एक चिंताजनक संबंध उजागर किया[5]. यह शोध पहली बार मानव धमनियों में माइक्रोप्लास्टिक्स की मौजूदगी और हार्ट अटैक, स्ट्रोक, या मृत्यु जैसे प्रमुख प्रतिकूल हृदय घटनाओं (MACE) के बढ़े हुए जोखिम के बीच एक सहसंबंध स्थापित करता है। यह आर्टिकल इस शोध के निष्कर्षों, कोलेस्ट्रॉल और माइक्रोप्लास्टिक्स के बीच संभावित सहक्रियात्मक प्रभावों, और भविष्य के निहितार्थों पर चर्चा करता है।

2. कोलेस्ट्रॉल और हार्ट अटैक: एक अवलोकन

कोलेस्ट्रॉल कोशिका झिल्लियों, हार्मोन और विटामिन डी के लिए आवश्यक है[1]. यह दो प्रकार का होता है:

  • LDL (लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन): "बैड कोलेस्ट्रॉल", जो धमनियों में प्लाक बनाता है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ाता है[2].

  • HDL (हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन): "गुड कोलेस्ट्रॉल", जो LDL को हटाने में मदद करता है[2].

उच्च LDL स्तर, जो अस्वास्थ्यकर आहार, गतिहीन जीवनशैली, मोटापा, और आनुवंशिक कारकों से प्रेरित हो सकते हैं, एथेरोस्क्लेरोसिस को बढ़ावा देते हैं[1]. इस प्रक्रिया में, धमनियों की दीवारों पर प्लाक जमा होता है, जो रक्त प्रवाह को अवरुद्ध कर सकता है और हार्ट अटैक का कारण बन सकता है[2]. हाल के शोधों ने सुझाव दिया है कि माइक्रोप्लास्टिक्स इस प्रक्रिया को और जटिल बना सकते हैं[5].

3. माइक्रोप्लास्टिक्स और मानव स्वास्थ्य: खतरे की खोज

माइक्रोप्लास्टिक्स और नैनोप्लास्टिक्स विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न होते हैं, जैसे प्लास्टिक की बोतलें, पैकेजिंग, सौंदर्य प्रसाधन, और कपड़ों के सूक्ष्म रेशे[3]. ये कण निम्नलिखित तरीकों से मानव शरीर में प्रवेश करते हैं:

  • खाद्य श्रृंखला: माइक्रोप्लास्टिक्स समुद्री जीवों द्वारा अवशोषित होते हैं, जो मानव आहार का हिस्सा बनते हैं[6].

  • पेयजल: बोतलबंद और नल के पानी में माइक्रोप्लास्टिक्स पाए गए हैं[7].

  • वायु प्रदूषण: हवा में मौजूद सूक्ष्म प्लास्टिक कण सांस के माध्यम से फेफड़ों में पहुंचते हैं[3].

शोधों ने माइक्रोप्लास्टिक्स को रक्तप्रवाह, यकृत, फेफड़ों और प्लेसेंटा में पाया है[4]. ये कण सूजन, ऑक्सीडेटिव तनाव, और हार्मोनल व्यवधान का कारण बन सकते हैं, जो हृदय स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं[8].

रक्त धमनियों में माइक्रोप्लास्टिक्स के मुख्य स्रोत

माइक्रोप्लास्टिक्स, जो रक्त धमनियों सहित मानव शरीर में पाए गए हैं, विभिन्न पर्यावरणीय और मानवजनित स्रोतों से उत्पन्न होते हैं। प्रमुख स्रोतों में शामिल हैं:

  • एकल-उपयोग प्लास्टिक (जैसे बोतलें, पैकेजिंग, और खाद्य रैप) का अपघटन[3].

  • सौंदर्य प्रसाधनों में उपयोग होने वाले माइक्रोबीड्स[6].

  • सिंथेटिक कपड़ों (जैसे पॉलिएस्टर) से निकलने वाले सूक्ष्म रेशे[3].

  • समुद्री खाद्य पदार्थ, विशेष रूप से मछली और शेलफिश, जो अपने पर्यावरण से माइक्रोप्लास्टिक्स अवशोषित करते हैं[6].

  • बोतलबंद और नल का पानी, साथ ही शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण[7,8].

ये कण खाद्य श्रृंखला, पानी, और हवा के माध्यम से मानव रक्तप्रवाह में पहुंचते हैं, जहां वे धमनी प्लाक में जमा हो सकते हैं और हृदय स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं[5].

4. इटली का शोध: माइक्रोप्लास्टिक्स और हार्ट अटैक का संबंध

2024 में न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन, जिसका नेतृत्व कैंपानिया यूनिवर्सिटी लुइजी वानविटेली और अन्य संस्थानों के शोधकर्ताओं ने किया, ने माइक्रोप्लास्टिक्स और हृदय रोगों के बीच संबंध की जांच की[5]. इस अध्ययन में 257 मरीजों को शामिल किया गया, जिन्हें कैरोटिड धमनी से प्लाक हटाने के लिए सर्जरी (एंडआर्टरेक्टॉमी) करानी पड़ी थी। प्रमुख निष्कर्ष निम्नलिखित हैं:

  • माइक्रोप्लास्टिक्स की मौजूदगी: 58% मरीजों (150 मरीजों) के धमनी प्लाक में माइक्रोप्लास्टिक्स और नैनोप्लास्टिक्स पाए गए। सबसे आम प्लास्टिक प्रकार पॉलीइथाइलीन (PE) और पॉलीविनाइल क्लोराइड (PVC) थे[5].

  • जोखिम में वृद्धि: जिन मरीजों के प्लाक में माइक्रोप्लास्टिक्स पाए गए, उनमें 36 महीनों के भीतर हार्ट अटैक, स्ट्रोक, या मृत्यु (MACE) का जोखिम उन मरीजों की तुलना में 2.1 गुना अधिक था, जिनके प्लाक में माइक्रोप्लास्टिक्स नहीं थे[5].

  • सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव: माइक्रोप्लास्टिक्स की मौजूदगी वाले प्लाक में सूजन के मार्कर (जैसे इंटरल्यूकिन-18 और इंटरल्यूकिन-1β) और ऑक्सीडेटिव तनाव के स्तर उच्च थे, जो एथेरोस्क्लेरोसिस को बढ़ावा दे सकते हैं[5,8].

  • विश्लेषण विधि: शोधकर्ताओं ने माइक्रोप्लास्टिक्स का पता लगाने के लिए पायरोलिसिस-गैस क्रोमैटोग्राफी-मास स्पेक्ट्रोमेट्री, इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी, और स्थिर आइसोटोप विश्लेषण जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग किया[5].

4.1. 2024 न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन अध्ययन: पांच प्रमुख निष्कर्ष

2024 में न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित इटली का माइक्रोप्लास्टिक शोध ने माइक्रोप्लास्टिक्स और हृदय स्वास्थ्य के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध उजागर किया[5]. इस अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष हैं:

  • धमनी प्लाक में माइक्रोप्लास्टिक्स: 257 मरीजों के कैरोटिड धमनी प्लाक में से 58% में माइक्रोप्लास्टिक्स (मुख्य रूप से पॉलीइथाइलीन और पॉलीविनाइल क्लोराइड) पाए गए[5].

  • उच्च हृदय जोखिम: माइक्रोप्लास्टिक्स वाले मरीजों में 34 महीनों के अनुवर्ती अध्ययन में हार्ट अटैक, स्ट्रोक, या मृत्यु का जोखिम 4.5 गुना अधिक था[5].

  • सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव: माइक्रोप्लास्टिक्स वाले प्लाक में सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव के स्तर उच्च थे, जो एथेरोस्क्लेरोसिस को बढ़ावा दे सकते हैं[5].

  • विशिष्ट रोगी प्रोफाइल: यह प्रभाव विशेष रूप से युवा, धूम्रपान करने वाले, और डायबिटीज या डिसलिपिडेमिया से पीड़ित पुरुषों में देखा गया[5].

  • उन्नत तकनीक: पायरोलिसिस-गैस क्रोमैटोग्राफी-मास स्पेक्ट्रोमेट्री और इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी ने परिणामों की विश्वसनीयता को सुनिश्चित किया[5].

5. कोलेस्ट्रॉल और माइक्रोप्लास्टिक्स: संभावित सहक्रियात्मक प्रभाव

हालांकि इटली का शोध कोलेस्ट्रॉल और माइक्रोप्लास्टिक्स के बीच सीधे जैव रासायनिक इंटरैक्शन की जांच नहीं करता, कुछ संभावित तंत्रों की परिकल्पना की जा सकती है:

  • प्लाक निर्माण में योगदान: माइक्रोप्लास्टिक्स धमनी प्लाक में जमा हो सकते हैं, जिससे LDL कोलेस्ट्रॉल द्वारा शुरू की गई एथेरोस्क्लेरोसिस प्रक्रिया बढ़ सकती है[5,8].

  • सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव: माइक्रोप्लास्टिक्स और LDL दोनों ही सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव को प्रेरित करते हैं, जो धमनी की दीवारों को नुकसान पहुंचाते हैं[2,8].

  • लिपिड चयापचय पर प्रभाव: कुछ प्रारंभिक अध्ययनों ने सुझाव दिया है कि माइक्रोप्लास्टिक्स लिपिड चयापचय को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे LDL स्तर बढ़ सकता है[9].

6. निहितार्थ और भविष्य के शोध: हृदय स्वास्थ्य की रक्षा

यह शोध माइक्रोप्लास्टिक्स को हृदय रोग के एक नए जोखिम कारक के रूप में प्रस्तुत करता है[5]. भविष्य में माइक्रोप्लास्टिक्स की निगरानी हृदय जोखिम मूल्यांकन का हिस्सा बन सकती है। और शोध कोलेस्ट्रॉल और माइक्रोप्लास्टिक्स के बीच जैविक इंटरैक्शन को समझने में मदद करेगा, विशेष रूप से दीर्घकालिक प्रभावों और विभिन्न जनसंख्या समूहों पर उनके प्रभावों पर। नीति निर्माताओं को प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के लिए सख्त नियम लागू करने की आवश्यकता है, जैसे एकल-उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध और रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देना[10].

7. निष्कर्ष: पर्यावरण और हृदय स्वास्थ्य का भविष्य

इटली का 2024 शोध माइक्रोप्लास्टिक्स और हृदय रोगों के बीच एक चिंताजनक सहसंबंध स्थापित करता है[5]. यह पर्यावरणीय प्रदूषण और मानव स्वास्थ्य के बीच एक नए खतरे को उजागर करता है, जिसके लिए वैश्विक कार्रवाई और गहन शोध की आवश्यकता है। माइक्रोप्लास्टिक्स का हृदय स्वास्थ्य पर प्रभाव, विशेष रूप से कोलेस्ट्रॉल से संबंधित जोखिमों के साथ, एक उभरता हुआ क्षेत्र है जो व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर जागरूकता और उपायों की मांग करता है। व्यक्तिगत स्तर पर, माइक्रोप्लास्टिक्स से बचाव के लिए जीवनशैली में बदलाव और पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को अपनाना महत्वपूर्ण है।

7.1. माइक्रोप्लास्टिक्स से बचाव के देसी तरीके

माइक्रोप्लास्टिक्स से बचाव के लिए भारतीय घरों में आसानी से अपनाए जा सकने वाले देसी तरीके प्रभावी हो सकते हैं[10]. इनमें शामिल हैं:

  • स्टेनलेस स्टील या तांबे के बर्तनों का उपयोग: पारंपरिक भारतीय रसोई में प्रचलित तांबे के लोटे या स्टील की बोतलों में पानी पीना और खाना स्टोर करना माइक्रोप्लास्टिक्स के अंतर्ग्रहण को कम करता है[7].

  • कपड़े के थैलों का उपयोग: सूती या जूट के थैले बाजार में प्लास्टिक बैग का पर्यावरण-अनुकूल विकल्प हैं, जो माइक्रोप्लास्टिक्स के स्रोत को कम करते हैं और भारतीय संस्कृति में 'झोला' की परंपरा को जीवित रखते हैं[10].

ये सरल, देसी उपाय माइक्रोप्लास्टिक्स के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं।

संदर्भ

  • American Heart Association. (2023). "Cholesterol and Heart Disease."

  • Libby, P., Ridker, P. M., & Hansson, G. K. (2019). "Progress and challenges in translating the biology of atherosclerosis." Nature, 473(7347), 317-325. doi:10.1038/nature10146

  • Prata, J. C., da Costa, J. P., Lopes, I., et al. (2020). "Environmental exposure to microplastics: An overview on the potential human health impacts." Science of the Total Environment, 702, 134455. doi:10.1016/j.scitotenv.2019.134455

  • Ragusa, A., Svelato, A., Santacroce, C., et al. (2021). "Plasticenta: First evidence of microplastics in human placenta." Environment International, 146, 106274. doi:10.1016/j.envint.2020.106274

  • Marfella, R., Prattichizzo, F., Sardu, C., et al. (2024). "Microplastics and Nanoplastics in Atheromas and Cardiovascular Events." New England Journal of Medicine, 390(10), 900-910. doi:10.1056/NEJMoa2307224

  • Geyer, R., Jambeck, J. R., & Law, K. L. (2017). "Production, use, and fate of all plastics ever made." Science Advances, 3(7), e1700782. doi:10.1126/sciadv.1700782

  • World Health Organization. (2019). "Microplastics in drinking-water."

  • Vethaak, A. D., & Legler, J. (2021). "Microplastics and human health." Science, 371(6530), 672-674. doi:10.1126/science.abe5041

  • Lim, X. (2024). "Microplastics found in human blood and tissues." Nature Reviews Earth & Environment, 5, 123-125. doi:10.1038/s43017-023-00512-3

  • Indian Ministry of Environment, Forest and Climate Change. (2022). "Plastic Waste Management Rules, 2016 (Amended 2022)."

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