pandu river
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पांडु नदी पर गहराता संकट

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विश्व नदी दिवस, 27 सितम्बर 2015 पर विशेष

1. कानपुर में मल-मूत्र व घरेलू गन्दगी 20 करोड़ लीटर नदी के जल को ब्लैक वाटर में कर रही तब्दील

2. कानपुर में पनकी पावर प्लांट की राख से खत्म की जा रही नदी

3. नदी में डाले जा रहे दादा नगर तथा सीडीओ के नाले

पांडु नदी फर्रुखाबाद से 120 किमी का सफर प्रारम्भ कर पाँच जिलों से गुजरती हुई फ़तेहपुर में गंगा नदी से मिलकर अपना अस्तित्व समाप्त कर देती है। लेकिन दुःख की बात ये है कि पांडु नदी का जल कानपुर नगर आते ही अपना मूल अस्तित्व खोकर एक प्रदूषण युक्त नाले में तब्दील हो जाता है।

पांडु नदी उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जनपद से प्रारम्भ होती है। माना यह जाता है कि इसका जन्म गंगा से ही है। पांडु नदी फर्रुखाबाद, कन्नौज, कानपुर देहात, कानपुर नगर तथा फतेहपुर जनपदों के गाँवों के हज़ारों एकड़ ज़मीन को सिंचाई का साधन उपलब्ध कराने में मददगार साबित होती रही है लेकिन इसे संरक्षित करने का जो प्रयास किये जाने चाहिए थे नहीं किये गए।

नदी को अतिक्रमणकारियों ने ज़बरदस्त क्षति पहुँचाई है यही वजह है कि कई स्थानों पर नदी का स्वरूप एक नाले जैसा हो गया है जब भी औसत से अधिक बारिश होती है नदी का पानी कई गाँवों में भर जाता है।

इसके प्रमाण कानपुर नगर से 20 किमी दूर कानपुर देहात के गाँव शिवली के पास शोभन गाँव स्थित एक मन्दिर शोभन सरकार में देखे जा सकते हैं।

अतिक्रमण के चलते पांडु नदी का पानी कई गाँवों में भर जाता था मन्दिर के बाबा ने जब यह देखा तब उन्होंने इस पानी से गाँवों को बचाने तथा पानी को सदुपयोग में लाने का प्रयास किया और मन्दिर के पास से निकलने वाली पांडु नदी के पानी को लिफ्ट करने का प्रबन्ध किया।

पानी को लिफ्ट कर किस प्रयोग में लाया जाये इसके बारे में राय ली गई और मन्दिर के आस-पास लगभग 20 गाँवों के खेतों को पानी देने की मूर्तरूप योजना बनाई गई और एक निजी नहर का निर्माण करवाया गया जिससे नदी के पानी का सदुपयोग कर किसानों को लाभ पहुँचाया जा सके। आज वह प्रयोग सफल हुआ। लेकिन ये प्रयोग कई जगह किये जाने चाहिए थे जो नहीं किये गए।

दुष्परिणामस्वरूप कानपुर नगर में प्रवेश करने के बाद नदी एक बड़े गन्दे नाले में तब्दील हो गई। लगभग 6 हज़ार से ज्यादा छोटे-बड़े कल-कारखानों का औद्योगिक कचरा तमाम नालों के जरिए पांडु नदी में डाला जाने लगा।

पनकी थर्मल पावर प्लांट की गर्म फ्लाई एश भी पांडु नदी में डाली जा रही है मालूम हो कि पनकी पावर प्लांट की ‘फ्लाई एश’ प्रतिदिन लगभग 40 टन निकलती है। नदी के पानी में ‘गर्म फ्लाई एश’ के गिरने से जहाँ नदी में प्रदूषण को सन्तुलित करने वाले जीव-जन्तु ख़त्म हो रहे हैं वहीं नदी कि गहराई भी दिनोंदिन कम हो रही है। नदी में सीओडी नाला के जरिए घरों का कचरा सीधे गिराया जा रहा है।

अनुमान है कि मल-मूत्र व घरेलू कचरा 20 करोड़ लीटर नदी के जल को ब्लैक वाटर में तब्दील कर रहा है जो बेहद चिन्तनीय है। पांडु नदी में अलवाखण्ड, सीटीआई तथा सीओडी नाले डाले जा रहे हैं।

कानपुर नगर विकास प्राधिकरण ने पांडु नदी को बचाने के लिये 8 सितम्बर 2015 को एक बैठक की जिसमें यह तय किया कि नदी के चारों ओर 200 मीटर की परिधि में किसी को भी निर्माण न करने दिया जाय जो भी इस आदेश के विपरीत कार्यकरे उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही अमल में लाई जाय। जल निगम तथा गंगा पॉल्यूशन बोर्ड के अधिकारियों को निर्देश दिये कि जल्द-से-जल्द विनगँवा में बनने वाले ट्रीटमेंट प्लांट को चालू करवाया जाये जिससे पांडु नदी में गिरने वाले नालों का पानी ट्रीट किया जा सके और पांडु नदी को प्रदूषित पानी से मुक्ति मिल सके।

पांडु नदी लाखों गाँववासियों की लाइफ-लाइन आज भी है। पांडु नदी के अस्तित्व को बचाने के लिये एक सार्थक प्रयास करने की जरूरत है।

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