पर्यावरण से जुड़े कुछ तथ्य
प्रकृति में उपस्थित सभी प्रकार के जीवधारी अपनी वृद्धि, विकास तथा सुव्यवस्थित एवं सुचारू जीवन-चक्र को चलाते हैं। इसके लिए उन्हें ‘संतुलित वातावरण’ पर निर्भर रहना पड़ता है। वातावरण का एक निश्चित संगठन होता है तथा उसमें सभी प्रकार के जैविक एवं अजैविक पदार्थ एक निश्चित अनुपात में पाए जाते हैं। ऐसे वातावरण को ‘संतुलित वातावरण’ कहते हैं। कभी-कभी वातावरण में एक या अनेक घटकों की प्रतिशत मात्रा किसी कारणवश या तो कम हो जाती है अथवा बढ़ जाती है या वातावरण में अन्य हानिकारक घटकों का प्रवेश हो जाता है, जिसके कारण पर्यावरण प्रदूषण हो जाता है। यह प्रदूषित पर्यावरण जीवधारियों के लिए अत्यधिक हानिकारक होता है। यह हवा, पानी, मिट्टी, वायुमंडल आदि को प्रभावित करता है। इसे ही ‘पर्यावरण प्रदूषण’ कहते हैं। ‘इस प्रकार पर्यावरण प्रदूषण, वायु, जल एवं स्थल की भौतिक, रासायनिक एवं जैविक विशेषताओं में होने वाला वह अवांछनीय परिवर्तन है, जो मानव एवं उसके लिए लाभकारी तथा अन्य जंतुओं, पेड़-पौधों, औद्योगिक तथा दूसरे कच्चे माल इत्यादि को किसी भी रूप में हानि पहुंचाता है।’ दूसरे शब्दों में, ‘पर्यावरण के जैविक एवं अजैविक घटकों में होने वाला किसी भी प्रकार का परिवर्तन ‘पर्यावरण प्रदूषण’ कहलाता है।’र्यावरण हम सभी को सतर्क कर रहा है कि अगर हमने पर्यावरण का सोच-समझकर इस्तेमाल नहीं किया तो हमारे पास कुछ भी नहीं बचेगा. इसी को देखते हुए यूएनईपी ने कुछ सुझाव भी दिए हैं जो दुनिया को बचाने में हमारी मदद कर सकते हैं. आइए जानते हैं पर्यावरण से जुड़े कुछ तथ्यों के बारे में जो हमें चेतावनी दे रहे हैं