सौ साल पहले देखा गया समुद्री जीव पहली बार हुआ कैमरे में कै़द
वैज्ञानिकों ने इतिहास में पहली बार मेसोनीचोटेथिस हैमिल्टन नाम के विशालकाय स्क्विड की तस्वीरें कैमरे में कैद करने में कामयाबी पाई है। मेसोनीचोटेथिस हैमिल्टन स्किविड का समुद्र की अतल गहराइयों में स्थित अपने प्राकृतिक आवास में यह पहला ऑथेंटिक लाइव वीडियो बताया जा रहा है।
1925 में व्हेल के पेट में पाए गए थे विचित्र स्क्विड के अंश
मेसोनीचोटेथिस हैमिल्टन (Mesonychotethis Hamiltoni) के बारे में पहली बार 100 साल पहले 1925 में वैज्ञानिकों को दक्षिण शेटलैंड द्वीप समूह के पास पकड़ी गई एक व्हेल के पेट में पाए गए स्पर्म व्हेल के पेट में दो स्क्विड के हाथ के टुकड़े मिले थे। उसके बाद से अब तक किसी ने भी जीवित विशाल स्क्विड की फोटो या वीडियो कैप्चर नहीं किया है।विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रजाति के विशाल स्क्विड की कुल लंबाई 6 से 7 मीटर तक हो सकती है और इसका वजन 500 किलोग्राम से अधिक हो सकता है, जो उन्हें सबसे भारी बिना रीढ़ वाला प्राणी बनाता है। यह ऑक्टोपी और कटलफिश सहित समुद्री जानवरों के वर्ग सेफेलोपोड्स में आता है। अपने विशाल आकार के बावजूद, ये गहरे समुद्र में पाए जाने वाले स्क्विड अब तक हमारी नज़रों से बाहर बने हुए थे। इसकी पहचान और नामकरण के एक सदी बाद हाल ही में पहली बार इसके प्राकृतिक वातावरण में इसका चित्र (वीडियो) लिया जा सका है।
पिछले महीने श्मिट ओशन इंस्टीट्यूट के रिमोट से संचालित सबमरीन सुबास्टियन ने दक्षिण अटलांटिक महासागर में स्थित साउथ सैंडविच द्वीप समूह से लगभग 600 मीटर की दूरी पर एक रिमोट से संचालित सबमरीन पर सवार वैज्ञानिकों ने समुद्र की सतह से 2,000 फीट नीचे करीब 30-सेंटीमीटर यानी एक फ़ीट लंबे एक किशोर मेसोनीचोटेथिस हैमिल्टन स्किविड को रिकॉर्ड किया। इस वीडियो की फुटेज को 15 अप्रैल को जारी किया गया। इस छोटी सबमरीन को एक विशेष खोजी अभियान के दौरान नई समुद्री प्रजातियों की खोज करने के उद्देश्य से अटलांटिक महासागर में उतारा गया था। इस छोटी से पनडुब्बी में सवार वैज्ञानिकों के शोध दल ने पानी में तैरते मेसोनीचोटेथिस हैमिल्टन का वीडियो बनाया है। वीडियो बनाने के लिए उसपर डाली गई रोशनी से उसकी आंखें इस प्रकार चमती हुई दिखीं, मानों उनमें लाइट जल रही हो। हालांकि यह चमक उसपर डाली जा रही रोशनी के परावर्तन से पैदा हो रही थी।
वैज्ञानिकों को है बहुत कम जानकारी
ऑकलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कैट बोलस्टैड ने बताया कि मेसोनीचोटेथिस हैमिल्टन स्क्विड की तस्वीर ले पाना लगभग असंभव है। ऐसा उनकी बड़ी, संवेदनशील आंखों के कारण होता है, जो शायद उन्हें कैमरे जैसे उपकरणों से दूर रखती हैं, जो चमकीले और रोशनी वाले होते हैं। अबतक देखे न जा सकने के कारण ही शोधकर्ताओं को विशाल स्क्विड के आहार, जीवनकाल या प्रजनन लक्षणों के बारे में बहुत कम जानकारी है। इस जीव के बारे में हमारी ज़्यादातर समझ व्हेल और अन्य समुद्री जीवों के पेट में पाए जाने वाले मृत या मरते हुए नमूनों से आती है, या जब वे मछली मारने वाले समुद्री जहाजों के ट्रॉल जाल में फंस जाते हैं। मेसोनीचोटेथिस हैमिल्टन सतह से 600 से 3,000 फ़ीट नीचे समुद्र की ठंडी गहराई में रहते हैं। वे उष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण इलाकों के गहरे समुद्र की मछलियों और स्क्विड की अन्य प्रजातियों को खाने के लिए जाने जाते हैं।
क्या है इनके विशाल आकार की वजह?
विशेषज्ञों का मानना है कि विशाल स्क्विड आमतौर पर सात मीटर या 23 फीट तक लंबा हो सकता है और इसका वजन आमतौर पर 275 किलोग्राम तक पहुंच सकता है। हालांकि माना जाता है कि कुछ दुर्लभ मामलों में यह 13 मीटर या 43 फीट तक बढ़ सकता है और इसका वजन 500 किलोग्राम तक हो सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि एक बार पूरी तरह से विकसित होने के बाद समुद्र में उन्हें खाने वाला एकमात्र जानवर स्पर्म व्हेल होता है, जो दुनिया का सबसे बड़ा शिकारी है। इनके विशाल आकार के कारण उन जानवरों की संख्या बढ़ जाती है जिनका वे शिकार कर सकते हैं और उन प्रजातियों की संख्या कम हो जाती है जो उनका शिकार कर सकती हैं। हालांकि इन्हें इतना विशाल और परिपक्व होने में वर्षों लग जाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इन स्क्विड्स की विशाल आंखें बास्केटबॉल जितनी बड़ी हो सकती हैं, जो अपने शत्रुओं को काफी दूर से और घने अंधेरे में भी पहचानने में मदद करती हैं। इसके बावजूद अधिकांश स्क्विड गहरे समुद्र के कठिन हालात और अपनी तेज भागमभाग भरी जिंदगी के कारण कम उम्र में ही मर जाते हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि विशाल स्क्विड आमतौर पर दो से 12 साल तक ही जीवित रहते हैं। हालांकि विशाल स्क्विड के औसत जीवन काल पर वैज्ञानिकों में कोई स्पष्ट सहमति नहीं है।
इतना महत्वपूर्ण क्यों माना जा रहा है यह वीडियो
विशाल स्क्विड का यह हाई-रिज़ॉल्यूशन वाला वीडियो इस दुर्लभ जानवर के बारे में कई रहस्यों को सुलझाने में मदद कर सकता है, जैसे कि ये जानवर आमतौर पर अपना समय कहां बिताते हैं, वे संभोग (मेटिंग) या अंडे देने के लिए कहां जाते हैं और वे कितने समय तक जीवित रहते हैं। इस खोज अभियान का हिस्सा नहीं रहे एक इंडिपेंडेंट रिसर्चर डॉ आरोन इवांस का कहना है कि "हमारे लिए एक नवजात (हैचलिंग) और एक वयस्क के स्क्विड के बीच इस तरह के मध्यम आकार के स्क्विड को देखना रोमांचक है, क्योंकि यह हमें इस बहुत ही रहस्यमय जानवर के जीवन के कुछ अज्ञात हिस्सों के बारे में जानने का मौका देता है।" शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि इस स्क्विड के देखे जाने से गहरे समुद्र में खनन जैसी समुद्री जीवन को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचाने वाली मानवीय गतिविधियों के बारे में निर्णय लेने में भी मदद मिल सकती है।
पुरानी कहानियों में 'जल दैत्य' के रूप में मिलता है उल्लेख
बता दें कि प्राचीन कहानियों में दैत्याकार स्किविड द्वारा समुद्री व्यापारियों की नौकाओं और जहाजों को डुबोने और लोगों को मारकर खा जाने के उल्लेख अनेक लोक कथाओं में मिलते हैं। इन कहानियों के चलते स्किविड वैज्ञानिकों की जिज्ञासा का विषय रहे हैं कि क्या वास्तव में समुद्र की गहराइयों में ऐसे विशालकाय स्किविड्स रहते हैं या फिर यह महज़ कलानीकारों की कल्पना मात्र हैं। इन कथाओं के चलते ही कई शताब्दियों तक समुद्र के रास्ते व्यापार करने वाले व्यापारियों और नाविकों के लिए यह स्क्विड (क्रैकन) एक सबसे बुरा सपना था। लॉर्ड अल्फ्रेड टेनिसन ने अपनी 1830 की कविता ‘द क्रैकन’ में लिखा था "ऊपरी गहराई की गड़गड़ाहट के नीचे; बहुत दूर, बहुत नीचे अथाह समुद्र में; उसकी प्राचीन, स्वप्नहीन, अप्रभावित नींद; क्रैकन सोता है: सबसे फीकी धूप भाग जाती है..." सॉनेट छन्द में लिखी गईअंग्रेजी की यह मशहूर कविता नॉर्वे के तट पर जहाजों पर हमला करने वाले एक समुद्री राक्षस के बारे में एक मिथक पर आधारित थी।