आन्तरिक जल परिवहन : चुनौतियाँ व सम्भावनाएँ

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सरकार ने अन्तरदेशीय जल परिवहन के विकास की दिशा में जो ठोस पहल की है, वे अगर ज़मीन पर उतरती हैं तो यह भविष्य के लिहाज से मील का पत्थर साबित होंगी लेकिन योजनाकारों को बहुत सावधानी से काम करने और प्राकृतिक पथ के संरक्षण की दिशा में लगातार सक्रिय रहने की जरूरत होगी। साथ ही जलयानों की कमी को दूर करने के लिये एक ठोस योजना और नया माहौल भी बनाना होगा। ऐसा करने से इस क्षेत्र के कायाकल्प को कोई रोक नहीं सकता है।

संकुचित होती सड़कें और रेलों पर दबाव

जल परिवहन-गौरवशाली अतीत

भारतीय अन्तरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण

भारत के राष्ट्रीय जलमार्गों का महत्त्व

तालिका 1 : स्वीकृत जलमार्ग

जलमार्ग

क्षेत्र

लम्बाई

वर्ष

राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-1

गंगा-भागीरथी-हुगली नदी प्रणाली

1620 किमी

1986

राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-2

ब्रह्मपुत्र-सादिया से धुबरी

891 किमी

1988

राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-3

केरल

205 किमी

1993

राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-4

आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु एवं पुडुचेरी

1078 किमी

2008

राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-5

ओड़िशा तथा पश्चिम बंगाल

588 किमी

2008

गंगा: व्यापक सम्भावनाओं वाला जलमार्ग

माल परिवहन और ओवर डाइमेंशनल कार्गो

पर्यटन विकास की सम्भावनाएँ

तटीय जहाजरानी से जुड़ाव

राज्यों में अन्तरदेशीय जल परिवहन तंत्र

जल परिवहन विकास : संसद का समर्थन

जल परिवहन से जुड़े कुछ अहम सवाल

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