दफन हुए ताल-तलैये

Published on
5 min read

कभी रायपुर में करीब 181 तालाब थे और इसे तालाबों का शहर कहा जाता था लेकिन आज यहां अंगुलियों पर गिनने लायक तालाब बचे हैं और वे भी बेहद खस्ताहाल हैं।

रायपुर, छत्तीसगढ़ में

'बिन पानी सब सून'

को ध्यान में रखते हुए बड़ी संख्या में ताल-तलैये खुदवाए गए, जो गर्मी के दिनों में भी लबालब रहते थे। राजधानी रायपुर तो

'तालाबों का शहर'

कहलाता रहा है। लेकिन आज यहां के ताल-तलैयों पर उपेक्षा का ग्रहण लग गया है। आज स्थिति यह है कि जिस बूढ़े तालाब की खूबसूरती और उसके स्वच्छ जल के आमंत्रण को शहर में निजी काम से आए पृथ्वीराज कपूर ठुकरा नहीं सके थे उसमें आज डुबकी लगाने का मतलब त्वचा रोगों को आमंत्रित करना साबित होगा।

कभी बूढ़े तालाब का फैलाव समंदर जैसा लगता था। जब तेज हवा चलती तो इसके स्वच्छ पानी में लहरें उठने लगतीं। तालाब जीवन का अभिन्न हिस्सा थे और इन्हें पूरी योजना के साथ बनाया गया था। राजधानी के तमाम तालाब नहरों के माध्यम से जुड़े थे। ऐसे में जैसे ही बूढ़ा तालाब का जल स्तर बढ़ता तो उसका पानी महाराजबंध तालाब में चला जाता, महाराजबंध तालाब का जलस्तर बढ़ता तो जल किसी और तालाब का पेट भरता। तालाबों का यह नेटवर्क रायपुर शहर का जीवन था और लोगों के लिए भविष्य में किसी जलसंकट की कल्पना करना भी कठिन था। बूढ़ा तालाब एवं बूढ़ेश्वर मंदिर से होकर पहले कोलकाता-मुंबई राजमार्ग निकलता था। इसका प्रमाण राजकुमार कॉलेज के भीतर निशान से मिलता है। जगन्नाथपुरी जाने का रास्ता भी यहीं से था। जिस समय यह तालाब खुदवाया गया था, वहां पर सीताफल का बहुत बड़ा बगीचा था।

बूढ़ा तालाब कब एवं किसने खुदवाया, इसका कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है। राजा ब्रह्मदेव के शासनकाल में वर्ष 1402 के आसपास रायपुर नगर की स्थापना हुई थी। कुछ लोग मानते हैं कि ब्रह्मदेव के शासनकाल में ही यह तालाब खुदवाया गया था। तालाब के आसपास रहने वाले मछुआरों ने घास-फूस एवं खपरैल का मंदिर बनवाया था।

तब और अब के बूढ़ा तालाब में बड़ा फर्क है। दूर से देखने पर यह तालाब अपनी विशालता की वजह से लोगों का मन खींचता है, लेकिन पास जाने पर गंदगी के कारण तालाब का पानी बदबू मारता है। आज इस तालाब में नहाने से खुजली और त्वचा संबंधी दूसरे रोग हो रहे हैं।

बुजुर्ग बताते हैं कि जब पृथ्वीराज कपूर सितारा छवि प्राप्त कर चुके थे और 'पृथ्वी थिएटर' ने रंगमंच की दुनिया में अपनी अनूठी पहचान बना ली थी, उस दौरान निजी काम के सिलसिले में उनका रायपुर आना हुआ था। उन्हें तालाबों का यह शहर बहुत भाया। जितने दिन तक वह यहां रहे, उन्होंने बूढ़ा तालाब में ही स्नान किया। वह अच्छे तैराक थे और उन्हें उन्मुक्त तैरते देखने के लिए सैकड़ों नगरवासियों की भीड़ उमड़ जाती थी। जो लोग तालाब के उस सुनहरे वक्त के गवाह हैं, वे इस विशाल तालाब को देखते हैं तो सहज ही उनकी स्मृति में पृथ्वीराज कपूर आ जाते हैं। कितनी स्वच्छ जलराशि रही होगी इस तालाब की, जब कपूर का मन इसमें डुबकी लगाने के लिए मचल उठा रहा होगा! आज अगर पृथ्वीराज कपूर होते और बूढ़ा तालाब को देखते तो क्या कहते, इसकी कल्पना ही की जा सकती है। संभव है, वे वहीं कहते जो नगर के वे जागरूक लोग कहा करते हैं,

‘शहर ने अपनी विरासत संभाल कर नहीं रखी।’

उपेक्षा की मार झेलता बूढ़ा तालाब आज बेहद सिमट गया है। कुछ तो शहर के विस्तार ने तो कुछ सौंदर्यीकरण के विचित्र प्रयासों ने इसे समेट दिया है। अब यह पर्यटक स्थल बना दिया गया है लेकिन इसमें जल को स्वच्छ रखने के प्रबंधन पर ध्यान नहीं दिया गया है। नतीजा, तालाब के दूषित और अस्वच्छ जल में बड़ी मात्रा में जलकुंभी नजर आती है। यूं तालाब के किनारे को मरीन ड्राइव जैसी खूबसूरती प्रदान करने की बाद कही जा रही थी पर वह सार्वजनिक तौर पर कूड़ा फेंकने के जगह में तब्दील हो गया है।

नहीं हो रही है तेलीबांधा तालाब की खूबसूरती बरकार रखने की कोशिशें

उपेक्षा का आलम यह है कि राजधानी के कई तालाब तो इतिहास के पन्नों में दफन हो गए। तालाबों की श्रृंखलाओं के साथ यहां करीब 181 तालाब थे, जिसमें से आज महज 100 रह गए हैं। इनमें भी अधिकांश अतिक्रमण की चपेट में हैं। या तो पट रहे हैं, सूख गए हैं या दलदल में तब्दील हो गए हैं। महज चार-पांच तालाब ही ऐसे हैं, जिन पर शासन का ध्यान जा रहा है, बाकी तालाबों को बचाने और उनकी उपयोगिता बनाए रखने के लिए कोई ठोस कार्य नहीं किया जा रहा। नतीजतन, इनका अस्तित्व धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है।

सुप्रीप कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि तालाबों को उनका वास्तविक रूप प्रदान किया जाए। अवैध निर्माण हटाकर उन्हें गहरा और चौड़ा किया जाए। ऐसे में, शासन की ओर से तालाबों के संरक्षण की राज्यव्यापी मुहिम शुरू की गई। राजधानी में भी शहर के तेलीबांधा व नरैया तालाब से तालाबों के गहरीकरण व सौंदर्यीकरण की शुरूआत की गई है। जिला प्रशासन ने राजधानी सहित पूरे जिले के ऐसे तालाबों की सूची राज्य शासन को भेज दी है। हालांकि प्रशासनिक गतिविधि शुरू होने में बहुत देर हो चुकी है। शहर से 51 तालाबों का नामोनिशान मिट चुका है। अधिकांश को पाटकर वहां पक्का निर्माण हो चुका है। शासन ने तीन तालाब उद्योगों के लिए दे दिए हैं तो मछली पालन के लिए 87 तालाब लीज पर दे दिया गया है और 22 तालाब निजी हाथों में हैं। बाकी सूख गए हैं या दलदल में तब्दील हो गए हैं। कुछ ही तालाब हैं, जहां पानी है और जिनका उपयोग निस्तारी के लिए किया जा रहा है। अधिकतर तालाबों का वजूद खत्म हो जाने से भीषण जल-संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। मई में ही तापमान 42-43 डिग्री पहुंच गया है। इससे जल-स्तर लगातार नीचे जा रहा है। अगर बचे हुए तालाबों को नहीं बचाया गया तो और भी ज्यादा जल-संकट व्याप्त हो सकता है।

रायपुर शहर के तालाबों पर एक नजर

तालाब स्थान हेक्टेयर हाल
पचारी तालाब गोगांव 0.486 उद्योग विभाग को आवंटित
तालाब नया गोगाव 0.012 उद्योग विभाग को आवंटित
गोगांव तालाब गोगांव 0.012 उद्योग विभाग को आवंटित
ढाबा तालाब कोटा 0.445 पट गया है
खंतो तालाब शंकरनगर 1.619 शक्तिनगर बसा है
डबरी तालाब खम्हारडीह 0.331 पुलिस चौकी निर्माण
डबरी तालाब खम्हारडीह 0.299 तालाब पट चुका है
ट्रस्ट तालाब शंकरनगर 0.793 रविशंकर गार्डन बना है
नारून डबरी टिकरापारा 1.761 तालाब पट गया है
रजबंधा तालाब रायपुर खास 7.975 तालाब पट गया है
लेंडी तालाब रायपुर खास 1.696 तालाब पट गया है
श्याम टॉकीज के

बाजू में डबरी

रायपुर 0.242 तालाब पट गया है
कंकाली तालाब रायपुर खास 0.918 निस्तारी
दर्री तालाब रायपुर खास 1.396 राजकुमार कॉलेज के अंदर
खदान तालाब रायपुर खास 1.777 सुंदरनगर समिति के अंदर
सरजूबांधा तालाब रायपुर खास 6.121 पुलिस लाइन के अंदर
गोपिया डबरी बंजारी नगर 1.044 विवाद ग्रस्त

संबंधित कहानियां

No stories found.
India Water Portal - Hindi
hindi.indiawaterportal.org