यमुना नदी गंगा संगम पर
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संदर्भ गंगा : आगरा से प्रयागराज संगम तक की यमुना की दर्द-ए-दास्तां (भाग 4)

आगरा से प्रयागराज तक यमुना की यात्रा और प्रदूषण की कहानी। राजस्थान और मध्यप्रदेश की नदियों का योगदान, चंबल का साफ पानी और इलाहाबाद के नाले। जानिए यमुना की दर्द-ए-दास्तां।
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आगरा से आगे चलने पर फतेहाबाद और रजौरा के बीच राजस्थान की चार नदियां खारी, गंभीर, उटंगन और पार्वती राजस्थान के जयपुर और भरतपुर आदि शहरों की गंदगी ढोकर यमुना में मिलती हैं।

आगरा से लगभग 210 कि0मी0 आगे चलने पर इटावा जिले के भरे घाट पर मध्यप्रदेश और राजस्थान से गुजरती हुई चंबल नदी यमुना में मिलती है। प्रत्यक्षतः यहां चम्बल काफी मात्रा में साफ पानी लेकर यमुना से मिलती है, जिससे बहाव बढ़ने पर उसकी शुद्धिकरण प्रक्रिया तेज होने के फलस्वरूप वह अपना रूप पुनः संवार लेती है।

पीपुल्स यूनियन फार सिविल लिबर्टीज की मध्यप्रदेश इकाई ने "दि गैस चैम्बर आन दि चम्बल" शीर्षक से प्रकाशित पुस्तक में नागदा (उज्जैन) की ग्वालियर रेयान सिल्क मिल्स फैक्ट्री द्वारा फैलाये जा रहे प्रदूषण तथा श्रमिकों को हो रही बीमारियों का विस्तृत अध्ययन किया है। नागदा से इटावा तक की लंबी दूरी तय करते हुए चंबल देखने में काफी साफ हो जाती है। पर इस पुस्तक की भूमिका में नदी को गंदी, बदबूदार तथा मृत्युदायिनी बताते हुए कहा गया है कि उसमें जिंक और पारा जैसे घातक केमिकल्स भी छुपे होते हैं। पारे का प्रदूषण अत्यंत खतरनाक होता है, इसमें शक नहीं। यह वैज्ञानिक अनुसंधान का विषय है कि भरे घाट पर चंबल यमुना को कितना रासायनिक प्रदूषण विरासत में देती है।

यहां से चलने पर पंचनद में यमुना पर एक बांध प्रस्तावित है। प्रयाग में गंगा से संगम यमुना में विंध्य की पहाड़ी से निकली सिंध, पहुज, बेतवा, केन और मंदाकिनी नदियां मिलती हैं। केन नदी बुंदेलखंड के बांदा शहर से और मंदाकिनी कर्वी से शहरी मलजल लाती है। राजापुर कस्बे का मलजल नालों से सीधे यमुना में गिरता है। लेकिन यहां पर पानी का बहाव तेज होने से यमुना की सेहत पर खास प्रतिकूल असर नहीं पड़ता।

इलाहाबाद शहर में संगम से पहले यमुना में अब भी शहर के कई नाले गिरते हैं। इनमें 2.7 करोड़ लीटर सीवेज रोजाना यमुना में गिराने वाला चाचर नाला सबसे बड़ा है। चाचर नाला के अलावा घागर नाला तथा किला नाला भी यमुना में गंदा पानी गिराते हैं। ये तीनों नाले संगम से पहले गिरते हैं। इलाहाबाद शहर का लगभग 6.5 करोड़ मलजल नदी के उस पार नैनी तथा डांडी सीवेज फार्म भेज दिया जाता है।

उ०प्र० प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जुलाई (1987 में) तैयार एक रिपोर्ट में बताया गया था कि इलाहाबाद में यमुना में छह नाले गिरते हैं। रिपोर्ट के अनुसार गऊघाट और बलुआघाट में नदी का पानी नहाने लायक नहीं है, लेकिन चूंकि आगे फिर सीवेज नहीं मिलता इसलिए संगम से पहले सरस्वती घाट पहुंचते-पहुंचते ही नदी साफ हो जाती है। इस रिपोर्ट के अनुसार इलाहाबाद में यमुना का पानी मत्स्य पालन, सिंचाई और औद्योगिक कार्यों के लिए अच्छा है।

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