पन्ना में ऐतिहासिक तालाबों का अस्तित्व संकट में
मध्यप्रदेश के पन्ना में पुरखों के बनाए दर्जनों तालाब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. कभी पन्ना अपने यहाँ समृद्ध तालाबों की परम्परा के लिए खासी पहचान रखता था. शहर और उसके आसपास बरसाती पानी को सहेजने के लिए दर्जनों बड़े तालाब बनवाए गए थे. शहर में गिरने वाली बारिश की एक-एक रजत बूंदों को इकट्ठा कर उसे शहर के लोगों के काम में लाने का एक बेहतरीन सिस्टम यहाँ था, जो उस जमाने की जल प्रबंधन दक्षता और कौशल की बेमिसाल कहानी बयान करता है. साथ ही उस दौर के लोगों की पानी के प्रति चेतना और उनकी प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित करता है. .
स्टेट के जमाने में लोगों को पीने तथा निस्तार का पानी उपलब्ध कराने के लिए तत्कालीन रियासत के राजाओं ने बड़े-बड़े तालाबों का निर्माण किया था. इनमें से कुछ तो पूरे साल पानी से भरे रहते थे, लेकिन अब लापरवाही, उपेक्षा और बढ़ते अतिक्रमण के कारण इनका आकार लगातार सिकुड़ता जा रहा है. हालात यह है कि कभी सालभर पानी देने वाले ये भीमकाय तालाब अब सर्दियों के बाद ही सूखने लगते हैं और मार्च का महीना बीतते न बीतते तो इनमें बच्चे क्रिकेट खेलने लगते हैं.
पन्ना जिला मुख्यालय में स्टेट जमाने के राजाओं ने लगभग एक दर्जन ऐतिहासिक तालाबों का निर्माण कराया था. इनमें लोकपाल सागर, बेनी सागर, धरम सागर, पथरिया तालाब, महाराज सागर तालाब, मिश्र की तलैया, मठ्या तालाब प्रमुख हैं और अब भी बड़े क्षेत्रफल को घेरे बारिश का बड़ा हिस्सा अपने में सहेज लेते हैं लेकिन इनकी लगातार उपेक्षा हो रही है. दिन ब दिन अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है. इनमें भी सर्वाधिक कब्जा रसूखदारों का है लेकिन इनके खिलाफ़ आज तक कोई यथोचित कार्यवाही नहीं की गई है. यहाँ तक कि कोर्ट के कड़े निर्देशों के बाद भी प्रशासन न तो शहर के तालाबों के सीमांकन का काम पूरा करा पाया और न ही इनके स्थायी-अस्थायी अतिक्रमण हटाने के कोई प्रयास किए गए.
तालाबों के संरक्षण के नाम पर महज औपचाकिरता पूरी की जा रही है. धरम सागर तालाब का पानी नगर में पीने के लिए सप्लाई किया जाता है इससे यह अन्य तालाबों की अपेक्षा काफी साफ-सुथरा है. लेकिन बाकी तालाबों की दुर्दशा किसी से छुपी नहीं है. प्रशासन के अधिकांश जल संरक्षण अभियानों में स्थानीय जनता का आत्मीय जुड़ाव नहीं होने से वे महज औपचाकिरता में ही सिमट रहे हैं.
कोर्ट के आदेश के बाद भी सीमांकन पूरा नहीं:-
शहर के तालाबों के सीमांकन कराकर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करने के लिए कोर्ट ने जिला प्रशासन को निर्देश दिए थे. कोर्ट के निर्देश के बाद बीते साल शुरू हुआ तालाबों का सीमांकन महज तीन तालाबों तक ही सिमटकर रह गया। यह कोई पहली बार नहीं हुआ है ,ऐसा लगभग हर बार होता है जब कभी सीमांकन की बात आती है तो रसूखदार अपने रसूख का इस्तेमाल कर प्रशासन की कार्यवाही को रोक देता है। यही कारण है कि आज तक रसूखदारों के प्रभाव के चलते प्रशासन सभी तालाबों का सीमांकन नहीं करा सका और काम को बीच में ही रोक दिया गया. सिर्फ धरम सागर, निरपत सागर, लोकपाल सागर और बेनीसागर तालाबों का सीमांकन किया गया. इन तालाबों में पाए गए अतिक्रमण भी नहीं हटाए गए. एक दर्जन से भी अधिक लोगों का अतिक्रमण सिर्फ बेनीसागर तालाब में पाया गया था.
अधिकांश तालाबों में फैली गंदगी:-
नगर के दर्जनभर तालाब गंदगी से बजबजा रहे हैं उनमें नालियों और नालों की गंदगी समाहित हो रही है, जिन्हें अनदेखा कर नगर के सबसे स्वच्छ माने जाने वाले धरम सागर तालाब को स्वच्छता अभियान के लिए चयनित किया गया है. अन्य तालाबों के पानी को लोग दैनिक उपयोग में इस्तेमाल करते हैं लेकिन वर्तमान में दर्जन भर से अधिक तालाब इस हद तक गंदगी और प्रदूषण की चपेट में हैं कि लोग चाह कर भी इनके पानी का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं.
पन्ना हलका, पटवारी संतोष कुमार का कहना है चार तालाबों का सीमांकन हो गया था. संबंधित प्रतिवेदन भी भेज दिया गया था. मामले में तहसील कोर्ट से क्या निर्णय हुआ है, अभी इसकी जानकारी नहीं है. सीमांकन के दौरान मैं पन्ना हल्का का पटवारी नहीं था.