..प्राचीन नदी को भी नहीं बख्शा

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जयपुर/कालवाड़। नदी-नालों को बचाने के राज्य सरकार के आदेशों की खुद उसकी ही एक एजेंसी ने हवा निकाल दी है। जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) ने ऎसे क्षेत्र में आवासीय योजना काट दी है, जहां एक प्राचीन नदी का विशाल बहाव क्षेत्र गुजर रहा है। दरअसल दो दिन पहले ही लांच की गई अमृतकुंज आवास योजना के तहत न केवल जयपुर के पश्चिम में कालवाड़ रोड के पास से गुजर रहे बांडी नदी के बहाव क्षेत्र के कुछ हिस्से को योजना में शामिल कर लिया गया, बल्कि यहां सड़कों का जाल बनाने का कार्य भी जोर-शोर से शुरू कर दिया है। सूत्रों की मानें तो करीब 4 लाख 13 हजार 203 वर्गमीटर की इस आवास योजना का बहुत सा हिस्सा बांड़ी नदी में आता है।

नींव को खतरा

नदी से बजरी खनन भी होता है। इस खनन क्षेत्र को भी जेडीए ने योजना में शामिल किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यहां मकानों की मजबूती कमजोर ही रहेगी। जमीन में बजरी होने से मकानों की नींव को खतरे की पूरी आशंका रहेगी।

आदेशों की अवमानना

हाईकोर्ट ने अब्दुल रहमान प्रकरण के तहत नदी-नालों, जलाशयों, पोखर, बावडियों के बहाव व जल ग्रहण क्षेत्र के उपयोग पर पूर्णतया पाबंदी लगा रखी है। इस बारे में राज्य सरकार के नगरीय विकास विभाग ने परिपत्र जारी कर सभी जिला कलक्टरों को न्यायालय के आदेश की पालना के लिए हिदायत दी थी।

स्थानीय लोगों के लिए भी मुसीबत

कालवाड़ के उप सरपंच बजरंग सिंह नाथावत कहते हैं कि जेडीए ने बहाव क्षेत्र में आवास योजना शुरू कर भविष्य में हजारों लोगों के जीवन को बड़े खतरे में डाल दिया है। बहाव को देखे बिना आनन-फानन में योजना विकसित करने के लिए बुलडोजर चला दिए। कालवाड़ के वार्ड पंच प्रभुदयाल प्रजापत ने कहा कि इसके बदले में गांव को कुछ नहीं मिला। उलटा स्थानीय लोगों के लिए मुसीबत ही पैदा की है। भाजपा नेता कैलाश चोटिया व पार्टी के देहात जिला महामंत्री नारायण हरितवाल ने कहा कि जिस तरह से यह आवास योजना प्लान की गई है, उसे देखकर जेडीए अधिकारियों की मानसिकता पता लगती है।

नदी में तीस साल बाद आया था पानी

सामोद के वीर हनुमान क्षेत्र के पहाड़ों से कालवाड़ होते हुए कालख बांध तक आने वाली बांडी नदी में कभी छठ-बारह महीनों पानी बहता था। वर्ष 1981 की बाढ़ में तो इस नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया था। कालवाड़ थाने के पास करीब 72 लाख रूपए की लागत से सड़क का निर्माण हो रहा है। हाल ही नदी का पानी निर्माणाधीन सड़क के पास से गुजर चुका है। इस मानसून में करीब तीस साल बाद नदी में जलाई गांव तक पानी आया था। पानी का बहाव थोड़ा भी आगे बढ़ जाता, तो इस योजना के आस-पास पानी से कटाव आकर जमीन का ढांचा बिगड़ जाता।

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