गंधर्व सागर तालाब
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गंधर्व सागर तालाब का पुनरुत्थान शुरू: उज्जैन में जल-जागरण अभियान का ऐतिहासिक आगाज़

गंधर्व सागर तालाब से अतिक्रमण हटाने और तालाब की सीमाओं की ड्रोन मैपिंग शुरू, प्रशासन सख्त
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उज्जैन, 18 अप्रैल – मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन अब जल संरक्षण की दिशा में भी मिसाल बनने जा रही है। शहर के ऐतिहासिक सप्तसागर में शामिल गंधर्व सागर तालाब का पुनरुत्थान कार्य शुक्रवार को जल-जागरण अभियान के तहत प्रारंभ हो गया। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह की अगुवाई में हुए भूमि पूजन के साथ इस कार्य का विधिवत शुभारंभ किया गया। इस पहल को जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत प्रमुख माना जा रहा है।

कलेक्टर सिंह ने कहा कि यह महज एक तालाब की सफाई नहीं बल्कि उज्जैन की सांस्कृतिक और पर्यावरणीय विरासत को पुनर्स्थापित करने का प्रयास है। “जल संकट का स्थायी समाधान तभी संभव है जब हम अपने परंपरागत जल स्रोतों को पुनर्जीवित करें,” उन्होंने समारोह में कहा।

गंधर्व सागर तालाब: ऐतिहासिक महत्व

गंधर्व सागर तालाब उज्जैन शहर के मध्य में स्थित एक प्राचीन जलाशय है, जो सप्त सागर (उज्जैन के सात प्रमुख तालाब: रुद्र सागर, पुष्कर सागर, क्षीर सागर, गोवर्धन सागर, रत्नाकर सागर, विष्णु सागर, और पुरुषोत्तम सागर) का हिस्सा माना जाता है। यह तालाब कालियादेह महल क्षेत्र के निकट, घट्टिया विकास खंड में स्थित है। इसका भौगोलिक महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह क्षिप्रा नदी के जलग्रहण क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। तालाब का मूल क्षेत्रफल लगभग 5-7 हेक्टेयर अनुमानित है, लेकिन अतिक्रमण और गाद जमा होने के कारण इसका वास्तविक क्षेत्रफल कम हो गया है।

गंधर्व सागर तालाब का उल्लेख उज्जैन की ऐतिहासिक और धार्मिक कथाओं में मिलता है। यह तालाब स्थानीय समुदाय के लिए जल का प्रमुख स्रोत रहा है, जो खेती, पशुपालन, और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए उपयोग किया जाता था। तालाब के किनारे होने वाले सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजन, जैसे तीज-त्योहारों पर पूजा और सामुदायिक समारोह, इसे उज्जैन की सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न हिस्सा बनाते हैं। इसके आसपास प्राचीन वृक्ष और छोटे मंदिर इसकी सौंदर्य और धार्मिक महत्ता को और बढ़ाते हैं।

जल-जागरण अभियान: पुनरुत्थान की शुरुआत

18 अप्रैल 2025 को, उज्जैन के कलेक्टर नीरज कुमार सिंह की अगुवाई में गंधर्व सागर तालाब के पुनरुत्थान के लिए भूमि पूजन समारोह आयोजित किया गया। यह आयोजन जल गंगा संवर्धन अभियान का हिस्सा है, जिसकी शुरुआत मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने जनवरी 2025 में की थी। समारोह में स्थानीय समुदाय, समाजसेवी संगठन, और प्रशासनिक अधिकारी शामिल हुए। कलेक्टर ने कहा, “गंधर्व सागर का पुनरुत्थान जल संकट से निपटने और उज्जैन की सांस्कृतिक और पर्यावरणीय विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक मील का पत्थर होगा।”

अतिक्रमण: एक प्रमुख चुनौती और कानूनी पहलू

गंधर्व सागर तालाब के आसपास अतिक्रमण की स्थिति

गंधर्व सागर तालाब के आसपास अतिक्रमण एक गंभीर समस्या है। शहरीकरण, जनसंख्या वृद्धि, और प्रशासनिक उपेक्षा के कारण तालाब के किनारों पर अवैध निर्माण, जैसे आवासीय मकान, दुकानें, और अस्थायी संरचनाएं, बन गए हैं। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, तालाब के 30-40% क्षेत्र पर अतिक्रमण हो चुका है, जिसने इसके जलग्रहण क्षेत्र को सिकोड़ दिया है। धार्मिक अनुष्ठानों से उत्पन्न कचरा, जैसे पूजा सामग्री और प्लास्टिक, ने भी तालाब को प्रदूषित किया है।उज्जैन के अन्य तालाबों, जैसे गोवर्धन सागर और क्षीर सागर, में भी अतिक्रमण की समस्या देखी गई है। 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने 2023 में मध्य प्रदेश के तालाबों से अतिक्रमण हटाने के लिए सख्त निर्देश दिए थे, जिसके बाद उज्जैन प्रशासन ने गोवर्धन सागर से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की। गंधर्व सागर के लिए भी यही प्रयास अब तेज हो रहे हैं।

अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई

जल-जागरण अभियान के तहत, उज्जैन प्रशासन ने गंधर्व सागर के आसपास अतिक्रमण हटाने की योजना बनाई है। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि तालाब की सीमाओं की पैमाइश की जाए और राजस्व अभिलेखों के आधार पर अवैध निर्माणों की पहचान की जाए। मध्य प्रदेश सरकार के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने सभी तालाबों से अतिक्रमण हटाने के सख्त निर्देश दिए हैं।

अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया में निम्नलिखित कदम शामिल हैं:

सर्वे और मैपिंग: ड्रोन और जीआईएस तकनीक का उपयोग कर तालाब की मूल सीमाओं की पहचान की जा रही है। यह कार्य राजस्व विभाग और स्थानीय निकायों के सहयोग से हो रहा है।

नोटिस जारी करना: मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 की धारा 57 और 251 के अनुसार, अतिक्रमणकर्ताओं को नोटिस जारी किए जाएंगे, जिसमें उन्हें सुनवाई का अवसर दिया जाएगा।

कार्रवाई: नोटिस अवधि समाप्त होने के बाद, बुलडोजर और पुलिस बल की सहायता से अवैध निर्माण हटाए जाएंगे। यह कार्रवाई मई 2025 तक शुरू होने की संभावना है।

अतिक्रमण से संबंधित कानूनी पहलू

अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया को कई कानूनी प्रावधानों और न्यायिक निर्देशों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। ये निम्नलिखित हैं:

मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959:

धारा 57: यह धारा स्पष्ट करती है कि तालाब, नदियां, और अन्य जल स्रोत सार्वजनिक संपत्ति हैं और इन पर निजी स्वामित्व अवैध है। गंधर्व सागर तालाब को राजस्व अभिलेखों में सार्वजनिक तालाब के रूप में दर्ज किया गया है, इसलिए इस पर कोई निजी दावा मान्य नहीं है।

धारा 67: यह धारा अतिक्रमणकर्ताओं को नोटिस जारी करने और सुनवाई के बाद अतिक्रमण हटाने का प्रावधान देती है। इसके तहत अतिक्रमणकर्ता पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

धारा 251: यह धारा जल स्रोतों के संरक्षण और रखरखाव के लिए प्रशासन को कार्रवाई करने का अधिकार देती है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के निर्देश:

NGT ने 2023 में मध्य प्रदेश के तालाबों और जलाशयों से अतिक्रमण हटाने के लिए समयबद्ध योजना प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। इसके तहत उज्जैन प्रशासन ने सप्त सागर तालाबों की पैमाइश और अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया शुरू की।

NGT ने यह भी निर्देश दिया कि तालाबों की मूल सीमाओं को पुनर्स्थापित करने के लिए ड्रोन सर्वे और जीआईएस मैपिंग का उपयोग किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय:हिंचलाल तिवारी बनाम कमला देवी (2001): सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्पष्ट किया कि तालाब की भूमि पर निजी स्वामित्व अवैध है, और ऐसी भूमि को सार्वजनिक उपयोग के लिए पुनर्स्थापित किया जाना चाहिए।

जगपाल सिंह बनाम पंजाब सरकार (2011): इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ग्राम पंचायतों और प्रशासन को निर्देश दिया कि वे तालाबों और अन्य सामुदायिक भूमि से अतिक्रमण हटाएं और उनकी मूल स्थिति बहाल करें।

इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्णय:2020 में एक जनहित याचिका के जवाब में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि राजस्व अभिलेखों में तालाब के रूप में दर्ज भूमि से अतिक्रमण हटाया जाए और निजी पट्टे समाप्त किए जाएं। यह निर्णय गंधर्व सागर जैसे तालाबों पर लागू होता है।

राजस्व अभिलेखों की स्थिति

राजस्व अभिलेखों के अनुसार, गंधर्व सागर तालाब सप्त सागर का हिस्सा है और उज्जैन के 1899 के नक्शे में इसे एक सार्वजनिक जलाशय के रूप में दर्ज किया गया है। 1927 के अधिकार अभिलेखों में भी इसे तालाब के रूप में चिह्नित किया गया है। मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 की धारा 57 के अनुसार, ऐसी भूमि पर राज्य सरकार का पूर्ण अधिकार है।हालांकि, कुछ हिस्सों में निजी व्यक्तियों के नाम राजस्व प्रविष्टियों में दर्ज होने की बात सामने आई है, जैसा कि गोवर्धन सागर और क्षीर सागर के मामले में देखा गया। यह संभवतः निम्नलिखित कारणों से हुआ है:

  • ऐतिहासिक पट्टे: ब्रिटिश काल या स्वतंत्रता के बाद कुछ तालाबों की भूमि को व्यक्तियों को पट्टे पर दी गई थी, जो बाद में अतिक्रमण में बदल गई।

  • अभिलेखों में छेड़छाड़: राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से कुछ भूमि निजी व्यक्तियों के नाम दर्ज की गई।

  • अस्पष्ट सीमांकन: पुराने नक्शों में तालाब की सीमाओं का स्पष्ट सीमांकन न होने के कारण अतिक्रमण को बढ़ावा मिला।

वर्तमान कानूनी स्थिति और कार्रवाई

उज्जैन प्रशासन ने गंधर्व सागर की पैमाइश शुरू कर दी है, और राजस्व अभिलेखों के आधार पर अतिक्रमण की पहचान की जा रही है। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने अनुविभागीय अधिकारियों (SDM) और तहसीलदारों को निर्देश दिए हैं कि वे तालाब की मूल सीमाओं को पुनर्स्थापित करें। यदि कोई निजी प्रविष्टि पाई जाती है, तो उसे सुप्रीम कोर्ट और NGT के निर्देशों के अनुसार सुधारा जाएगा।

प्रशासन ने एक एंटी- एंक्रोचमेंट टास्क फोर्स गठित की है, जो तालाब की पैमाइश, अतिक्रमण की पहचान, और हटाने की कार्रवाई को समन्वित कर रही है। 

ड्रोन सर्वे और जीआईएस मैपिंग के माध्यम से तालाब की मूल सीमाओं को पुनः स्थापित करने का कार्य मई 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। इसके बाद, नोटिस जारी कर और कानूनी प्रक्रिया पूरी कर अतिक्रमण हटाया जाएगा।

भविष्य की मिसाल

गंधर्व सागर तालाब का पुनरुत्थान उज्जैन के लिए एक ऐतिहासिक कदम है, जो जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण को एक साथ जोड़ता है। नवांकुर संस्था, जल सहेली फाउंडेशन, इंटैक, नमामि गंगे, और स्थानीय पर्यावरण समूहों जैसे ग्रीन उज्जैन और क्षिप्रा संरक्षण समिति के सहयोग ने इस परियोजना को एक जन आंदोलन का रूप दिया है। अतिक्रमण और कानूनी जटिलताएं प्रमुख चुनौतियां हैं, लेकिन मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता, NGT, और सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के आधार पर इनका समाधान संभव है। राजस्व अभिलेखों में तालाब की सार्वजनिक स्थिति और प्रशासन की सक्रियता इस प्रक्रिया को मजबूती दे रही है। 

स्रोत:

  • 1- HindiKhabar, 18 अप्रैल 2025 जल गंगा संवर्धन अभियान, उज्जैन, 

  • 2 - अमर उजाला, 9 अप्रैल 2025

  • 3 - मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959, भोपाल समाचार

  • 4 - नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश, जागरण उज्जैन तालाब अतिक्रमण, 

  • 5 - Ghamasan.com, 14 अक्टूबर 2024 जल सहेली फाउंडेशन, 

  • 6 - हिन्दुस्थान समाचार, 5 फरवरी 2025

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