उत्तराखंड में पांच नदियों को जल संरक्षण के लिए चिन्हित किया गया
उत्तराखंड में पांच नदियों को जल संरक्षण के लिए चिन्हित किया गया

उत्तराखंड में पांच नदियों के पुनर्जीवन पर होगा काम

सौंग, पूर्वी और पश्चिमी नयार, शिप्रा, गौड़ी नदी का पुनर्जीवन के लिए चिह्नीकरण  - दैनिक जागरण
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देहरादून। राज्य में जल संरक्षण अभियान के तहत प्रथम चरण में पांच नदियों के पुनर्जीवन पर काम किया जाएगा। सोमवार को एसीएस वित्त आनंद वर्द्धन की अध्यक्षता में सचिवालय में ‘जलस्रोत नदी पुनर्जीवन प्राधिकरण-सारा’ की बैठक में यह निर्णय लिया गया। देहरादून-टिहरी में सौंग नदी, पौड़ी में पूर्वी और पश्चिमी नयार, नैनीताल में शिप्रा और चंपावत में गौड़ी नदी को चुना गया है। इनके संरक्षण और पुनर्जीवन को दीर्घकालिक उपाय किए जाने हैं। 

वर्द्धन ने कहा कि सारा का गठन बेहद महत्वपूर्ण उद्देश्य के साथ किया गया है। इससे जुड़े सभी विभाग परस्पर समन्वय के साथ काम करें। सूख रहे जलस्रोतों, नदियों एवं जलधाराओं का जल्द से जल्द चिन्हीकरण करते हुए उनके उपचार के काम भी शुरू कर दिए जाएं। 

हर प्रोजेक्ट के मूल्यांकन के लिए भी ठोस सिस्टम तैयार किया जाए। जलस्रोत संरक्षण के लिए राज्य एवं जिला स्तर पर प्राधिकरण के तहत होने वाले कामों का सालाना लक्ष्य भी तय किए जाएंगे। उन्होंने वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए एक महीने के भीतर कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश भी दिए। 

बैठक में अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी-सारा नीना ग्रेवाल ने जल संरक्षण अभियान की जानकारी दी। बताया कि अब तक प्रदेश में उपचार के लिए 5428 जलस्रोत चिन्हित किए गए हैं। 

83 जलस्रोतों का मास्टर प्लान बनेगा

राज्य के 83 मुख्य जल स्रोतों के संवर्द्धन को मास्टर प्लान तैयार होगा। वन विभाग, सिंचाई विभाग समेत जल निगम इस दिशा में काम करेगा। एजेंसियों ने मौजूदा सीजन में पानी को लेकर मचे हंगामे को देखते हुए इस दिशा में काम भी शुरू कर दिया है। स्रोतों के सूखने का सबसे बड़ा कारण बारिश, बर्फबारी न होना रहा। सितंबर 2023 से अभी तक पूरे समय सही तरीके से बारिश, बर्फबारी न होने से, इस सीजन गर्मियों में पानी का बड़ा संकट रहा। इस संकट को देखते हुए स्रोतों, गदेरों में पानी की स्थिति की पड़ताल की गई। पूर्व के सालों के हिसाब से इस बार पानी कितना कम हुआ, इसका ब्योरा जुटाया गया। ये पूरी प्रक्रिया के बाद 83 स्रोत ऐसे निकले, जहां पानी बहुत अधिक कम हुआ है। इन स्रोतों में 53 वन भूमि क्षेत्र में रहे। 26 राजस्व भूमि और चार अन्य क्षेत्रों में स्रोत रहे। इनमें तीन स्रोत रेल लाइन के काम के कारण प्रभावित हुए। दो स्रोत सड़क निर्माण से प्रभावित हुए। इसके अलावा 40 स्रोत कम बारिश और 38 स्रोत अन्य कार्यों की वजह से प्रभावित हुए। इसमें 46 स्प्रिंग और 37 गदेरे शामिल हैं। जहां पानी कम हुआ है। इन 83 स्रोतों पर करीब 61 पेयजल योजनाएं निर्भर हैं। जिनमें पानी कम हुआ है। इन्हीं योजनाओं में पानी लौटाने को इन योजनाओं से जुड़े स्रोतों को दोबारा रिचार्ज किया जाएगा।

इस बार 477 स्रोतों में पानी हुआ है कम गर्मियों के मौजूदा सीजन में इस बार 477 पेयजल स्रोतों में पानी कम हुआ है। जल संस्थान के पेयजल सप्लाई सिस्टम को इससे बड़ा नुकसान पहुंचा। राजधानी देहरादून समेत कोई भी जिला ऐसा नहीं बचा, जहां स्रोतों में पानी कम न हुआ हो। पेयजल योजनाएं प्रभावित न हुई हों

जिन स्रोतों में पानी कम होने से पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं, उन स्रोतों की स्थिति को सुधारा जा रहा है। सभी सम्बन्धित विभाग इस दिशा में मिल कर काम कर रहे हैं। पूरा प्रयास किया जा रहा है कि गर्मियों के अगले सीजन तक स्रोतों का संवर्द्धन सुनिश्चित करते हुए पेयजल योजनाओं में पानी बढ़ाया जा सके।  - संजय सिंह, मुख्य अभियंता जल निगम मुख्यालय

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