लखीमपुर के सरायण नदी को मिलेगा पुनर्जीवन
सरायण नदी, जिसे अब सरायन नदी भी कहते हैं, उत्तर प्रदेश के लखीमपुर और सीतापुर के मध्य बहने वाली गोमती की एक सहायक नदी है जिसकी लंबाई लगभग 285 किलोमीटर है। इसका उद्गम स्थल बांकेगंज ब्लाक के ग्रट नंबर अट्ठारह के बिजोखर मजरे के एक तालाब को माना जाता है। लखीमपुर जिले के गोला ब्लॉक और मितौली ब्लाक में लगभग 62 किलोमीटर तय करने के बाद यह सीतापुर में प्रवेश कर जाती है। लोगों द्वारा जगह-जगह पर अतिक्रमण किए जाने के कारण और गोला चीनी मिल और नगरपालिका द्वारा अपने ब्लैक वाटर सरायन नदी में डाले जाने के कारण इसका अस्तित्व खतरे में है। यह पौराणिक नदी लखीमपुर और सीतापुर जिले के लिए जीवनरेखा जैसी है।
पौराणिक मान्यता है कि वनवास के समय भगवान राम ने सरायन नदी में स्नान किया था। ऐसे में इस नदी का संकटग्रस्त होना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। इसी को देखते हुए लखीमपुर खीरी के जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी के निर्देश पर लोक भारती के वरिष्ठ कार्यकर्ता एवं पर्यावरणविद प्रोफेसर वेंकटेश दत्ता के वैज्ञानिक मार्गदर्शन में सरायन नदी के पुनर्जीवन का कार्य प्रारंभ किया जा रहा है। सरायन नदी के दोनों तरफ 500 मीटर के दायरे में आने वाले तालाब और झीलों को नदी से जोड़ा जाएगा।
राजस्व प्रशासन की मदद से सरायन नदी को अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा। गोला ब्लाक में लगभग 12 किलोमीटर जेसीबी से साफ कराया जायेगा। छोटे तालाबों की साफ-सफाई मनरेगा से होगी। बड़े झाबर तालाब और झीलों की सफाई के लिए नमामि गंगे से सहयोग लिया जाएगा। इस संदर्भ में मुख्य विकास अधिकारी महोदय की अध्यक्षता में सरायण नदी जीर्णोद्धार समिति बनाई गई है जिसमें डीसी मनरेगा और नदी विशेशज्ञ प्रोफेसर दत्ता के साथ-साथ संबंधित बीडीओ, एसडीएम और तहसीलदार तथा जिन ग्राम पंचायतों से यह नदी गुजरती है, उसके प्रधान और सचिव को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। इसमें गोलानगर पालिका के अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी के साथ-साथ गोला चीनी मिल के प्रबंधक को भी सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। इस नदी के साफ होने से जहां लखीमपुर खीरी और सीतापुर के किसानों को लाभ मिलेगा, वहीं गोला शहर में जलभराव और गंदे जल से फैलने वाली बीमारियों से मुक्ति मिलेगी और पर्यावरण का संरक्षण भी होगा।
हरगांव विधानसभा क्षेत्र के हैदरपुर के भवनापुर में जमुआरी नदी सरायन में विलीन होती है। खीरी ब्रांच शारदा नहर का स्केप जमुआरी नदी में ही गिरता है। इस तरह लखीमपुर खीरी से जमुआरी नदी सीतापुर जिले में आकर सरायन नदी में विलीन होती है और सरायन नदी सफर करते हुए गोंदलामऊ ब्लाक में पहुंचकर गोमती नदी में विलीन हो जाती है। सरायन की तरह गोमती की लगभग सभी सहायक नदियों के संरक्षण की दिशा में लोक भारती लंबे समय से संलग्न रही है। कई नदियों की दशा सुधारने में सफलता भी मिली है। हमें इस कार्य में सतत संलग्न रहना होगा।