मौसम विभाग ने इस बार मानसून अच्‍छा रहने से देश में औसतन 85 सेंटीमीटर बारिश का अनुमान जताया है।
मौसम विभाग ने इस बार मानसून अच्‍छा रहने से देश में औसतन 85 सेंटीमीटर बारिश का अनुमान जताया है।

किसानों के लिए खुशखबरी : मौसम विभाग ने जताया मानसून में झमाझम बारिश का अनुमान, 105% तक होगी वर्षा

अच्‍छा मानसून अर्थव्‍यवस्‍था के लिए अच्‍छी खबर, रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (Ind-Ra) ने जताई कृषि क्षेत्र के उत्‍पादन में 4% की बढ़ोतरी की उम्‍मीद, अर्थव्‍यवस्‍था को मिलेगी मजबूती
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देश के किसानों के लिए मौसम विभाग की ओर से एक अच्‍छी खबर आई है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने वित्त वर्ष 2026 में मानसून अच्‍छा रहने की संभावना जताई इै। इस अनुमान से इस साल देश के कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन मजबूत रहने की संभावना जगी है। IMD के अनुमान के मुताबिक  इस मानसून सीजन में दीर्घावधि औसत (LPA) की 105% वर्षा होगी। 

मौसम विभाग का यह अनुकूल पूर्वानुमान रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (Ind-Ra) की ओर से हाल में जारी देश के कृषि सकल मूल्य वर्धन (GVA) में सालाना आधार पर 4% की बढ़ोतरी होने के अनुमान को पुष्ट करता है। हालांकि यह वद्धि के वल अच्‍छी बारिश पर ही नहीं, बल्कि कई अन्‍य बातों पर भी निर्भर करती है। यह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि आगामी मानसून की वर्षा देश के विभिन्न क्षेत्रों कब और कितनी होगी। यानी वर्षा का वितरण कैसा रहेगा। हालांकि इस सबके बावजूद औसत से अधिक मानसून का पूर्वानुमान देश के कृषि क्षेत्र (Agri Sector) के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। 

आईएमडी ने देश में मानसून की औसत वर्षा 105% रहने का अनुमान जताने के साथ ही वर्षा का वितरण असमानता रहने की आशंका भी व्‍यक्‍त की है। विभाग ने उत्तर-पश्चिम भारत (NWI), पूर्वोत्तर भारत (NEI) और विशेष रूप से दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत (SPI) में सामान्य से कम वर्षा की संभावना जताई है। इस पूर्वानुमान में जून-सितंबर मानसून अवधि के दौरान वर्षा पैटर्न की बारीक निगरानी की आवश्यकता भी जताई गई है। वर्षा के वितरण में असमानता रहने से देश के कई क्षेत्रों में किसानों का मुनाफा कम रह सकता है।

87 सेमी बारिश होने की उम्मीद

IMD के अनुमान के अनुसार जून से सितंबर तक पूरे देश में मानसूनी वर्षा की अवधि लंबी रहने वाली है। इस दौरान करीब 105 प्रतिशत बारिश का अनुमान लगाया गया है, जिसमें सिर्फ 5 प्रतिशत बारिश कम या ज्यादा होने की उम्मीद है। इस साल का मानसून सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। विभाग ने  1971 से 2020 तक करीब 50 साल के वर्षा के आंकड़ों का विश्‍लेषण करके बताया है कि इस साल 87 सेमी बारिश होने की उम्मीद है। 

अल नीनो के कमजोर पड़ने से ला नीना का दिखेगा असर

IMD ने मानसून के मजबूत रहने की वजह अल नीनो (El Nino) की स्थिति धीरे-धीरे कमजोर होने को बताया है। अल नीनो की स्थिति कमजोर होने से अगस्त-सितंबर के बीच ला नीना (La Nina)की स्थिति पैदा हो सकती है, जो इस साल अच्छी बारिश के आसार मजबूत करता है। 

बता दें कि वर्तमान में प्रशांत महासागर के भूमध्यरेखीय क्षेत्र पर अल नीनो की मध्यम स्थिति बनी हुई है। जलवायु मॉडल के ताजा पूर्वानुमान से संकेत मिलता है कि मानसून सीजन के शुरुआती भाग के दौरान अल नीनो की स्थिति और कमजोर होकर तटस्थ एन्‍सो (ENSO) की स्थिति में परिवर्तित होने की संभावना है, जिसके बाद मानसून के दूसरे चरण में ला नीना की स्थिति बनने की संभावना है। इन कारणों की वजह से इस साल सामान्य से अधिक वर्षा होने के आसार हैं। 

वहीं हिंद महासागर पर द्विध्रुव/डाइपोल (IOD) की स्थिति मौजूद है और नवीनतम जलवायु मॉडल पूर्वानुमान से संकेत मिलता है कि इस IOD की स्थिति के कारण से भारत में अधिक मानसूनी वर्षा हो सकती है। आईएमडी की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले तीन महीनों (जनवरी से मार्च 2024) के दौरान उत्तरी गोलार्ध में बर्फ की आवरण सीमा सामान्य से कम थी। उत्तरी गोलार्ध के साथ-साथ यूरेशिया में सर्दियों और वसंत में बर्फ की आवरण सीमा का आगामी भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून वर्षा के साथ सामान्यत विपरीत संबंध है। ऐसे में बर्फ कम रहने के बाद बारिश अधिक होने का अनुमान है। विभाग द्वारा जारी किए गए ये पूर्वानुमान कृषि क्षेत्र के लिए काफी मददगार होते हैं क्योंकि इससे किसानों को सही निर्णय लेने में मदद मिलती है। हालांकि मौसम विभाग मई 2024 के अंतिम सप्ताह में मानसून का एक संशोधित पूर्वानुमान भी जारी करेगा। 

अच्‍छा मानसून देश की आर्थि‍क खपत में बढ़ोतरी का संकेत

Ind-Ra के मुख्य अर्थशास्त्री और सार्वजनिक वित्त प्रमुख देवेंद्र कुमार पंत ने कहा कि अच्‍छे मानसून का पूर्वानुमान भारत की अर्थव्यवस्था में खपत में बढ़ोतरी के लिए शुभ संकेत है। हमारे पास पहले से ही दो अच्छी फसलें हैं। 2024 में खरीफ और रबी की पैदावार अच्‍छी रहने के बाद अब वित्त वर्ष 26 में दो और अच्छी फसलों के अनुमान से देश की आर्थि‍क खपत में बढ़ोतरी की उम्मीद के साथ ही महंगाई नियंत्रण में (आरबीआई के 4 प्रतिशत के लक्ष्य के करीब) रहने की भी उम्‍मीद है। इससे भारतीय रिजर्व बैंक के लिए मौद्रिक सहजता (Monetary easing) का रुख अपनाते हुए ब्‍याज दरों में कमी की राह खुलेगी। साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था में अमेरिकी टैरिफ के प्रतिकूल प्रभाव को झेलने की क्षमता में भी मजबूती आएगी।

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