गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए अब नई कार्ययोजना

तस्वीर में जो गंगा के किनारे उमड़ा जनसैलाब आप देख रहे है वो मनुष्य की सभ्यता के विकास का इतिहास समेटे हुए है गंगा का आचरण कुछ यूँ हमारे सामने आता है की प्रयागराज पहुंचते ही यमुना अपना आस्तित्व सौप देती है और गंगा यहाँ यमुना की पहचान को सुरक्षित रखते हुए साथ रहती है गंगा और यमुना की यह परसपरता गंगा जमुनी तहजीब की शक्ल में आती है ये भारत की विश्व धरोहर है हरिद्वार प्रयागराज में गंगा के तट पर नासिक में गोदावरी के तट पर  और उज्जैन के छित्रा के तट पर लगने वाले कुम्भ मेलो का सामाजिक उद्देश्य यह रहा है की पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण जो हमारी बहुरंगी संस्कृति है उसे एक दूसरे से मिलने का जरिया बनाया जा सके 2525 किलोमीटर यह नदी अपने उदगम स्थल गंगोत्री से समुद्र तक पहुंचने में 17 हजार छोटे बड़े नालो को अपने में समा लेती है गौमुख गंगोत्री से निकल कर ऋषिकेश हरिद्वार कानपुर प्रयागराज वाराणसी पटना व कोलकाता आदि शहरों से होते हुए गंगा बंगाल के खाड़ी में मिलने से पूर्व DDTI फैक्ट्री चरमुद्देग खाद के कारखाने आदि विसैले पदार्थो से निरन्तर प्रदूषित होती है जा रही है टाटा एनआरसी रिसर्च अध्ययन में  इस बात की पुष्टि हुई हैं की गंगा देश के 40 फीसदी आबादी के लिए जीवनदायनी का काम करती है लेकिन राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की रिपोर्ट के अनुसार 97 स्थानों पर जल आचमन के योग्य नहीं है WWEF की 2007 की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के सबसे  10 संकट ग्रस्त नदियों में से गंगा को भी माना गया है BHU स्थित गंगा प्रयोगशाला की एक रिपोर्ट में पता चलता है कि गंगाजल में ऑक्सीजन कंटेंट बारह होना चाहिए लेकिन ये अब लुढ़क्कर तीन-चार पे आ चूका हैं आपको बता दे की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 21 जनवरी 2021 में गंगाजल की शुद्धता STP और ग्रीनेज में सुधार के लिए कहा था लेकिन इसको लेकर सरकार की तरफ से कोई गंभीरता नहीं दिखाई दी। जिसके बाद कोर्ट ने कहां  की या तो अधिकारी गंगा की सफाई नहीं कर पा रहे हैं या करना ही नहीं चाहते । 

प्रयागराज के कुंभ मेला शुरू होने से एक दिन पहले जनहित याचिका  में कहां गया कि 'कोर्ट के आदेश के बावजूद गंगा स्नान के लिए उपयुक्त नहीं है गंगा का पानी गंदा है नालों का गन्दा पानी सीधे गंगा में जा रहा है अधिवक्ता ने अपनी दलील मैं कहा कि गंगा के स्वच्छता के नाम पर केवल अधिकारी पैसा खर्च कर रहे हैं उन्होंने कोर्ट को बताया कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लान्ट की शोभन क्षमता से दुगना पानी आ रहा है 60% फ़ीसदी सीवर सी एच ट्रीटमेंट प्लान से जोड़े गए हैं और 40% सीवर सीधे गंगा में गिर रहा है नालों के बायो रेमीडीएल शोभन की अधूरी प्रणाली से खानापूर्ति की जा रही है माघ के दौरान केवल चार हजार क्यूसेक पानी छोड़ने से गंगा का पानी स्वच्छ नहीं हो पाएगा कोर्ट ने इस पूरे मामले में सरकार की तरफ से महाधिवक्त ने कहा कि राज्य सरकार यहां कुंभ को देखते हुए गंगा योजना तैयार करने पर विचार कर रही है । 

वही कोर्ट ने कहा 16 साल से केंद्र और राज्य सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च किया लेकिन गंगा प्रदूषण पर कोई फर्क नहीं दिखाई दिया आपको बता दें कि आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर राजू सिन्हा के अध्ययन के मुताबिक पिछले वर्षों में गंगा में  बैक्टीरिया की संख्या 10 गुना हो गई है कानपुर से रोज चमड़ा उद्योग से 39.2 प्रदूषण निकलता है जिसका बड़ा हिस्सा गंगा में गिरता है सरकार का पक्ष रख रहे महाधिवक्ता ने कोर्ट से कहा की कानपुर उन्नाव चर्म उद्यगों का पानी गंगा ना जाने पाए इसके लिए प्रयागराज डीएम और कानपुर के अधिकारियों से बात कर रहे हैं जल्द ही इसका समाधान निकाला जाएगा। 

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