जल में जन भागीदारी जरूरी
बेंगलुरु का जल संकट न पहला है और न अंतिम। जल विशेषज्ञ वर्षों से चेतावनियां जारी करते रहे हैं कि भारत में एक तरफ जहां प्राकृतिक जल स्रोतों में कमी आ रही है तो दूसरी ओर भू-जल की भी तीव्रता से क्षय हो रहा है। अगर यही हालत रही तो कुछ ही वर्षों में देश के अनेक शहरों में जल की उपलब्धता जरूरत के अनुसार संभव ही नहीं रहेगी। इसलिए जल का संरक्षण करना बहुत आवश्यक है। हम यह कहते नहीं थकते कि जल ही जीवन है, लेकिन इसके संरक्षण के पारंपरिक उपायों को हमने त्याग दिया है जबकि ये बेहद सरल और सहज थे। तथ्य यह है कि जमीन में कुछ 71 फीसद जल है, लेकिन 1 फीसद ही पेयजल है।
जल का संकट भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए बड़ी चिंता जल का विषय बन गया है। पिछले दिनों हमने देखा भी, कैसे कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में पानी को लेकर हाहाकार मच गया। हालांकि, जल को लेकर जिस तरह से विगत 10 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गंभीरता दिखाई है, और कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं तो उम्मीद की एक किरण भी दिखी है। 2019 में मोदी 2.0 सरकार की शुरुआत में उन्होंने जल को लेकर एकीकृत मंत्रालय का गठन कर दिया था। जहां पहले 13 मंत्रालय मिल कर जल के विषय को देखते थे, आज केवल जलशक्ति मंत्रालय के अधीन ये सभी कार्य हो रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी का प्रयास जल को जनांदोलन में बदलने का रहा है।
भारत सरकार ने पिछले 10 वर्षों में जल क्षेत्र में सबसे अधिक निवेश किया है। ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश है। भारत करीब 250 अमेरिकी विलियन डॉलर का निवेश पानी के विभिन्न स्पेक्ट्रम चाहे सिंचाई हो, नदियों का शुद्धीकरण हो, पेय जल हो या भूगर्भ जल का पुनर्भरण हो-में कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने वाटर रिटेंशन स्टोरेज कैपेसिटी को वढ़ाने के लिए सिंचाई की विभिन्न परियोजनाएं, जो लंबे समय से लंबित थीं, चिह्नित कीं और आज 60 परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं।
'कैच द रेन' की शुरुआत
मोदी सरकार 2.0 में प्रधानमंत्री मोदी ने 'जल शक्ति अभियान: कैच द रेन' की शुरुआत की। इस अभियान के तहत देश भर में 1.29 करोड़ जल संबंधी कार्य किए गए हैं, जो बड़ी उपलब्धि है। 661 जल शक्ति केंद्र स्थापित हुए हैं। 527 जिलों में जिला जल संरक्षण योजनाएं तैयार की गई हैं। इसका व्यापक असर पूरे देश है। 'कैच द रेन' अभियान जनजागरूकता से भी बढ़ी है, और लोग स्वयं आगे जाकर कार्य करने लगे हैं। मानसून के सीजन में चलने वाले इस अभियान से करोड़ों लोग जुड़ते हैं।
देश में कई राज्य ऐसे हैं, जहां भूजल का स्तर नीचे जा रहा है। इसी को देखते हुए मोदी सरकार ने 2019 में अटल भूजल योजना, जो 6000 करोड़ रुपये की है, का शुभारंभ किया। यह योजना सात राज्यों राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के 80 जिलों में संचालित हो रही है। योजना में 50 प्रतिशत फंड विश्व बैंक और 50 प्रतिशत फंड भारत सरकार देती है, जहां-जहां यह योजना चल रही है, वहां भूजल में वृद्धि रिकॉर्ड की गई है। अच्छे परिणामों को देखते हुए योजना की अवधि बढ़ा दी गई है।
इन दिनों देश में लोक सभा चुनाव चल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी अपने भाषणों में जल जीवन मिशन का जिक्र करना नहीं भूलते। यह अति महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी परियोजना 2019 में मोदी सरकार ने लागू की थी, जिसमें 19 करोड़ से अधिक ग्रामीण घरों को नल से जल उपलब्ध कराना है। जब यह मिशन शुरू हुआ था, उस समय केवल 3.23 करोड़ यानी 16 प्रतिशत से कुछ अधिक ग्रामीण घरों में नल से जल पहुंच रहा था, लेकिन विगत साढ़े चार साल और वो भी कोरोना महामारी की वैश्विक आपदा के बावजूद 76 प्रतिशत ग्रामीण घरों यानी 14.62 करोड़ परिवारों को नल कनेक्शन मिल चुका है।
जल संरक्षण की जिम्मेदारी केवल सरकार की ही नहीं है, बल्कि जनभागीदारी भी बेहद जरूरी है। विगत 10 वर्षों में जल को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने बहुत कार्य किए हैं, और त्वरित गति से परियोजनाओं को आगे लेकर गए हैं। उससे न केवल जनजागरूकता बढ़ रही है, बल्कि जल स्रोतों का भी संरक्षण हो रहा है, लेकिन इन प्रयासों को और अधिक गति प्रदान करने की आवश्यकता है।