जल निधियों का संरक्षण एवं सम्मान, जल उत्सव अभियान,फोटो क्रेडिट:-लोक सम्मान
जल निधियों का संरक्षण एवं सम्मान, जल उत्सव अभियान,फोटो क्रेडिट:-लोक सम्मान

जल निधियों का संरक्षण एवं सम्मान, जल उत्सव अभियान

लोक भारती ने इस दिशा में अनेक सार्थक व सफल कदम उठाए हैं। इसी क्रम में 960  किमी परिधि में गोमती नदी से सम्बन्धित सभी 13  जिलों में तथा 33  स्थानों पर गोमती अध्ययन एवं गोमती अलख यात्रा तथा गोमती मित्र मण्डल का गठन किया गया है। इस क्रम में 'मां गंगा समग्र चिंतन द्वि दिवसीय गोष्ठी का दो बार सफल आयोजन हुआ है। इसके परिणामस्वरूप सामाजिक क्षेत्र में 'गंगा समग' के नाम से व्यापक अभियान तथा केंद्र एवं राज्य सरकार के स्तर पर नामामि गंगे जैसे कार्य का शुभारम्भ उत्साहवर्धक एवं प्रेरक है।
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लोक भारती पिछले एक दशक से जल संरक्षण एवं जल से जुड़े अन्य अनेक कार्य जैसे नदी, तालाब संरक्षण, कुओं का पुनर्जीवन और उन्हें वर्षा जल भरण कूप के रूप में प्रयोग करना आदि में संलग्न है। गौ आधारित प्राकृतिक खेती, वर्षा जल का संयमित उपयोग, वर्षा जल जहाँ गिरे वहीं उसे रोकने और संरक्षित करने की व्यवस्था, मेड़ बंदी, चेक डैम, छोटे-छोटे गड्ढे, ट्रेंच / खाई बनाना तथा वर्षा जल रोकने और सम्भरण के लिए वृक्षारोपण आदि अनेक कार्य, उनके प्रयोग विकसित करना और उनके लिए जागरुकता के कार्यक्रम निरन्तर चलाना आज की आवश्यकता है। लोक भारती ने इस दिशा में अनेक सार्थक व सफल कदम उठाए हैं। इसी क्रम में 960  किमी परिधि में गोमती नदी से सम्बन्धित सभी 13  जिलों में तथा 33  स्थानों पर गोमती अध्ययन एवं गोमती अलख यात्रा तथा गोमती मित्र मण्डल का गठन किया गया है। इस क्रम में 'मां गंगा समग्र चिंतन द्वि दिवसीय गोष्ठी का दो बार सफल आयोजन हुआ है। इसके परिणामस्वरूप सामाजिक क्षेत्र में 'गंगा समग' के नाम से व्यापक अभियान तथा केंद्र एवं राज्य सरकार के स्तर पर नामामि गंगे जैसे कार्य का शुभारम्भ उत्साहवर्धक एवं प्रेरक है।

लोक भारती ने तालाबों के पुनर्जीवन के लिए सामाजिक स्तर पर अभियान चलाया तो कारपोरेट जगत भी साथ आया और सीतापुर जिले में रामगढ़ और जवाहर शुगर  मिल ने लगभग 19 तालाबों के पुनर्जीवन के लिए कार्य किया, तो शाहजहांपुर जिले के लोक भारती कार्यकर्ताओं ने गोमती की सहायक नदी के पुनर्जीवन के लिए 45 किमी तक नदी में खुदाई और सफाई का कार्य किया। सीतापुर जिले में गोमती की सहायक नदी कठिना के पुनर्जीवन के लिए लगभग 40 गावों में पद यात्रा, जागरुकता प्रसार, तालाब पुनर्जीवन एवं वृक्षारोपण के कार्य निरन्तर किए गए। इसके फलस्वरूप पहले जो कठिना नदी मोटर साइकिल से पार हो जाती थी, वहां आज नाव चल रही है।

लोक भारती ने तालाबों के पुनजीवन के लिए सामाजिक स्तर पर अभियान चलाया तो कॉर्पोरेट जगत भी साथ आया और सीतापुर जिले में रामगढ़ और जवाहर शुगर मिल लगभग 16 तालाबों के पुनर्जीवन के लिए कार्य किया, तो शाहजहांपुर जिले के लोक भारती कार्यकर्ताओं ने गोमती की सहायक नदी भैंसी के पुनर्जीवन के लिए 45 किमी तक नदी में खुदाई और सफाई का कार्य किया । सीतापुर जिले में गोमती की सहायक नदी कठिना के पुनर्जीवन के लिए लगभग 40  गावों में पद यात्रा, जागरुकता प्रसार, तालाब पुनर्जीवन एवं वृक्षारोपण के कार्य निरन्तर किए गए। इसके फलस्वरूप पहले जो कठिना नदी मोटर साइकिल से पार हो जाती थी, वहां आज नाव चल रही है। इस अभियान के महत्व को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने महत्त्वपूर्ण समझा और अमृत महोत्सव काल में अमृत सरोवर बनाने की घोषणा की जो अपनी पूर्णता की ओर है। उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रत्येक जिले में 75-75  अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य लिया जिसके परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश में हजारों तालाब व्यवस्थित हुए हैं एवं शेष पर कार्य चल रहा है।
किसी भी कार्य की सफलता के लिए सामाजिक सहभागिता बहुत आवश्यक होती है।

लोक भारती निरन्तर यही प्रयत्न करती है कि शासन और समाज दोनों मिलकर समाज हित के कार्यों में आगे कदम बढाएं। इसी उद्देश्य से लोक भारती ने वर्ष 2022 की वर्ष प्रतिपदा से अक्षय तृतीया तक एक माह के कालखण्ड को जल उत्सव माह के रूप में घोषित किया। परिणामतः सैकड़ों स्थानों पर लोक भारती से जुड़े कार्यकर्ताओ और अनेकों स्थानों पर स्थानीय जागरूक समाज ने इस दिशा में पहल की। लखनऊ में लोक भारती गोमती नदी पर तो कार्य पिछले एक दशक से कर रहीं है, पर पिछले जल उत्सव माह में लखनऊ नगर की संयोजिका रहीं सुश्री शची सिंह ने निश्चय किया कि हमगोमती के गौ घाट को अपने कार्य के लिए इस लक्ष्य के साथ चुनते हैं कि अगले एक से डेढ़ साल में यह घाट स्नान योग्य बन जाए। इस हेतु प्रत्येक रविवार को प्रातः काल श्रमदान सुनिश्चित हुआ जिसके लगभग 40  सप्ताह पूरे हो गए हैं। लोक भारती गोमती पुनर्जीवन अभियान की संयोजक शचि सिंह के नेतृत्व इस अभियान में लगभग 60  प्रतिशत सफलता प्राप्त हो चुकी है, शेष कार्य भी शीघ्र ही पूरा होगा। ऐसे अनेक संकल्प पिछले जल उत्सव माह के हैं जो अत्यंत प्रेरणादायक है। इसी सफलता और सामाजिक सहभागिता देख कर लोक भारती ने जल उत्सव माह को नियमित करने का निश्चय किया जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2023 में  यह जल उत्सव माह वर्ष प्रतिपदा 22 मार्च से अक्षय तृतीया 23 अप्रैल तक है, जिसके लिए लोकभारती समाज को साथ लेकर निरन्तर आगे बढ़ रही है।

किसी भी कार्य की सफलता के लिए सामाजिक सहभागिता बहुत आवश्यक होती है। लोक भारती निरन्तर यही प्रयत्न करती है कि शासन और समाज दोनों मिलकर समाज हित के कार्यों में आगे कदम बढाएं। इसी उद्देश्य से लोक भारती ने वर्ष 2022 की वर्ष प्रतिपदा से अक्षय तृतीया तक एक माह के कालखण्ड को जल उत्सव माह के रूप में घोषित किया। परिणामतः सैकड़ों स्थानों पर लोक भारती से जुड़े कार्यकर्ताओ और अनेकों स्थानों पर स्थानीय जागरूक समाज ने इस दिशा में पहल की

इसी क्रम में लोक भारती ने लखनऊ नगर की कुछ झीलों को इस अभियान के अंतर्गत पुनर्जीवित करने का लक्ष्य लिया है। कहते हैं. कि जो व्यक्ति अपनी सहायता स्वयं करता है, ईश्वर भी उसकी सहायता करता है। इसका प्रमाण इस रूप में सामने है कि लोक भारती ने लखनऊ में वर्ष प्रतिपदा की पूर्व संध्या 21 मार्च को लखनऊ की बटलर झील को पुनर्जीवित करने का शुभारंभ किया। लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष इंद्रमणि त्रिपाठी इस कार्यक्रम में पधारे और उन्होंने घोषणा की कि लखनऊ की सात प्रमुख झीलों को पुनर्जीवित करने का लक्ष्य लखनऊ विकास प्राधिकरण ने रखा है और लोक भारती उसमें स्थान-स्थान पर हमारा सामाजिक सहयोग करे। लोक भारती की टोली ने तत्काल सहमति व्यक्त की और अब 30 मार्च को लखनऊ की उन सभी झीलों पर समाजिक सहभागिता सुनिश्चित करने हेतु एक दिवसीय जलाशय अध्ययन यात्रा का आयोजन हुआ। लखनऊ में विकास प्राधिकरण और लोक भारती के सामाजिक सहयोग से जिन झीलों का पुनरुद्धार होना है। उनके अध्ययन और उनके लिए सामाजिक सहभागी संयोजक मंडल गठित करने के उद्देश्य से 30 मार्च को जल उत्सव यात्रा प्रातः 11  बजे पूजन और नामकरण के साथ नैमिष झील, जो लखनऊ स्थित नैमिष वीवीआईपी गेस्ट हाउस के पीछे बटलर पैलेस में स्थित है, से प्रारम्भ हुई।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री के मीडिया विभाग के वरिष्ठ पत्रकार संजय भटनागर, लखनऊ विकास प्राधिकरण के अपर अभियन्ता कृष्ण प्रताप गुप्त, बलरामपुर अस्पताल के पूर्व निदेशक और लोक भारती के नगर अध्यक्ष डह राजीव लोचन, लोक भारती के अध्यक्ष विजय बहादुर सिंह, संपर्क प्रमुख श्रीकृष्ण चौधरी, सह संगठन मंत्री गोपाल उपाध्याय, संगठन मंत्री बृजेंद्र पाल सिंह, यात्रा केसंयोजक आशुतोष अवधबाल, नगर संयोजक सुनील मिश्रा एवं डह्न पाठक सहित कई अन्य बहनें सहभागी रहीं। यहाँ से यात्रा रायबरेली रोड पर स्थित एल्डिको उपवन झील, पीजीआई के पीछे स्थित हैबतमऊ झील 1 बजे पहुंची जहां पहले से संजय सिंह प्रदीप और आकाश सिंह के नेतृत्व में स्थानीय टोली उपस्थित थी, जिसने उक्त दोनों झीलों के पुनर्जीवन में सहयोग का संकल्प लिया। यहाँ से यात्रा 2.30 बजे ऐशवाग स्थित यमुना एवं मोती झील पर पहुंची जहां राकेश पांडे एडवोकेट एवं पत्रकार कवि तिवारी द्वारा बुलाई। गई टोली ने यात्रा का स्वागत किया और सहयोग का संकल्प लिया। इसके बाद 4.30  बजे यह यात्रा अपने आखिरी पड़ाव राजाजीपुरम स्थित काला पहाड़ झील पर पहुंची जहां अजय बाजपेयी और भास्कर अस्थाना सहित स्थानीय टोली उपस्थित मिली जो इस अभियान में सहयोगी बनेगी। इस अभियान के अंतर्गत प्रत्येक स्थान के लिए एक सामाजिक सहभाग की टोली का गठन किया जा रहा है।

पिछले जल उत्सव माह में लखनऊ नगर की संयोजिका रहीं सुश्री शची सिंह ने निश्चय किया कि हम गोमती के गौ घाट को अपने कार्य के लिए इस लक्ष्य के साथ चुनते हैं कि अगले एक से डेढ़ साल में यह घाट स्रान योग्य बन जाए। इस हेतु प्रत्येक रविवार को प्रातः काल श्रमदान सुनिश्चित हुआ जिसके लगभग 40 सप्ताह पूरे हो गए हैं। लोक भारती गोमती पुनर्जीवन अभियान की संयोजक शची सिंह के नेतृत्व इस अभियान में लगभग 90 प्रतिशत सफलता प्राप्त हो चुकी है, शेष कार्य भी शीघ्र ही पूरा होगा। ऐसे अनेक संकल्प पिछले जल उत्सव माह के हैं। जो अत्यंत प्रेरणादायक है। इसी सफलता और सामाजिक सहभागिता देख कर लोक भारती ने जल उत्सवमाह को नियमित करने का निश्चय किया जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2023 मे यह जल उत्सव माह वर्ष प्रतिपदा 22 मार्च से अक्षय तृतीया 23 अप्रैल तक है, जिसके लिए लोकभारती समाज को साथ लेकर निरन्तर आगे बढ़ रही है


 

लखनऊ में जल उत्सव माह ( वर्ष प्रतिपदा 22  मार्च से अक्षय तृतीया 23  अप्रैल) के अंतर्गत 24  मार्च  2023 को कुकरैल नदी के पिकनिक स्पॉट पर स्थित कुकरैल बांध स्थित क्षेत्र पर स्वच्छता अभियान चलाया गया। यहाँ पर आस्था सामग्री का विसर्जन कुंड पहले से बना है, परन्तु उसके भर जाने के कारण उसके चारों ओर विसर्जन किया गया था। सर्वप्रथम सम्पूर्ण विसर्जन सामग्री के लिए एक विसर्जन कुंड बनाया गया और श्रमदान द्वारा फैली हुई विसर्जन सामग्री को एकत्र कर उस कुंड में डाला गया। उसके बाद पूर्व निर्मित विसर्जन कुंड को जेसीबी की मदद से खाली कर उसकी सामग्री को भी नए कुंड में डालकर उसे मिट्टी से भर दिया गया। तत्पश्चात उपस्थित सभी बन्धुओं ने कुकरैल बंधे पर एकत्र होकर जल स्रोतों के संरक्षण का संकल्प लिया। इस कार्यक्रम के संयोजन का दायित्व लोक भारती पूर्वी भाग की संयोजिका प्राची श्रीवास्तव और नगर संपर्क प्रमुख सोनिया टण्डन ने सफलतापूर्वक निभाया। इस अवसर पर लोक भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री विजय बहादुर सिंह तथा नगर अध्यक्ष डह राजीव लोचन (बलराम अस्पताल के पूर्व निदेशक) सहित लगभग 150  कार्यकर्ताओं की सहभागिता रही। इस अवसर पर लखनऊ में सम्पन्न होने वाले 'जल उत्सव माह के कार्यक्रमों के संयोजक के रूप में आशुतोष अवधवाल की घोषणा की गयी।

इस अभियान की आवश्यकता इसलिए भी महसूस हुई क्योंकि पिछले कुछ दशकों ने मानवीय गतिविधियों के कारण अनेक नदियों का अस्तित्व मिट गया। उदारणार्थ आज से लगभग 25 वर्ष पूर्व गोमती नदी में एक छोटी सी नदी प्रवाहित हो रही थी जिसके किनारे तीन प्रमुख तीर्थ पढ़ते थे- बद्रीनाथ, केदारनाथ व चित्रकूट। यह नदी अब पूरी तरह से मृत हो चुकी है और नाले का रूप ले चुकी है। लोक भारती सीतापुर ने इस नदी के पुनर्जीवन का संकल्प लिया है जो वजीर नगर से निकलती है और लगभग 16  किलोमीटर यात्रा पूरी कर बरेठी ग्राम पंचायत के पास गोमती नदी में प्रवाहित होती है। आज से 20 वर्ष पहले इसमें सैकड़ों स्रोत निकलते थे। इस नदी के दोनों तरफ
लगभग 15  तालाब आज भी विद्यमान हैं जिनमें भी पूरे वर्ष भर जल रहता था और वह जलगोमती को निरंतर शीतल जल देता रहता था। आज यह नदी पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है।

जिसकी वजह से इसके किनारे के तीनों तीर्थ बद्रीनाथ केदारनाथ चित्रकूट पूरी तरह समाप्त हो गए हैं। वर्तमान में नदी के स्थान पर बह रहा नाला जब अपनी लगभग 13  किलोमीटर यात्रा पूरी कर लेता था तब इसके किनारे चित्रकूट पड़ता था चित्रकूट के पास का नाम मंदाकिनी नदी के रूप में हो जाता था और वह प्रमुख इन तीनों को पानी देता हुआ गोमती में प्रवाहित होता था। अब तक लोक भारती द्वारा जिस प्रकार अनेक नदियों को पुनर्जीवित किया गया है, उसी प्रकार संभावना है कि निकट भविष्य  में यह नदी भी पुराने स्वरूप में लौटेगी और पुनः जीवनदायिनी बन कर मानव एवं जीव-जंतुओं की प्यास बुझाने में समर्थ होगी।

पिछले वर्ष लोक भारती और वन विभाग ने मिलकर सामाजिक सहभागिता द्वारा एक और कीर्तिमान स्थापित किया। जल उत्सव माह की ही भांति लोक भारती प्रति वर्ष वर्षाकाल में गुरु पूर्णिमा से रक्षाबन्धन तक एक माह हरियाली माह का आयोजन पिछले कई वर्षों से कर रही है। गत वर्ष लोक भारती के साथ वन विभाग भी हरियाली माह में सहभागी बना और उसके अंतर्गत प्रदेश के 18 कमिश्नरी केंद्रों को चुना गया और निश्चित किया गया कि प्रत्येक कमिश्नरी केंद्र परवन विभाग के साथ स्थानीय सामाजिक संस्थाओं का समूह लोक भारती के सहयोग से 75-75  हरिशंकरी लगाने का कार्य करेगा। हरिशंकरी अर्थात पंच पल्लव के तीन पौधे पीपल, बरगद और पाकड़ एक साथ एक ही थाले में लगाए जाते हैं जो समन्वित रूप से बड़े होकर एक बड़े वृक्ष का रूप ले लेते हैं जिनसे भूमि में जल कलश स्थापित होता है। बड़े होने पर सघन छाया देकर धर्मशाला के रूप में उपयोगी होता है तथा जैव विविधता के लिए नियमित एक भंडारा प्रारम्भ हो जाता है तथा ऑक्सीजन  की एक प्राकृतिक फैक्ट्री लग जाती है। इस अभियान में 75-75 हरिशंकरी के साथ ही कहीं कहीं पर कई सौ हरिशंकरी लगी, वहीं लखनऊ में यह आंकड़ा ग्यारह सौ से पार हो गया।

सामाजिक सहभागिता के उक्त अनुभव से लोक भारती और वन विभाग दोनों को साथ-साथ कार्य करने के लिए प्रेरित किया। परिणामतः लोक भारती के साथ उत्तर प्रदेश वन विभाग ने भी लोक भारती के द्वारा घोषित काल खण्ड को ही 'जल उत्सव माह' घोषित कर सहकार का एक अवसर और उपलब्ध करा दिया है। इस जल उत्सव माह में वन विभाग ने तय किया है कि वह प्रत्येक जिले में एक झील या वेटलैंड को चुन कर उसके पुनर्जीवन के लिए उस पर सफाई, गहरीकरण तथा पानी आने के मार्ग की व्यवस्था करेगी तथा गत वर्ष की भांति हरियाली माह में झील / वेट लैंड के चारों ओर सघन वृक्षारोपण का कार्य करेगा और लोक भारती अपने स्तर पर सामाजिक सहयोग से तालाबों, झीलों, घाटों, छोटी नदियों पर कार्य करेगी, साथ ही वन विभाग द्वारा चयनित झीलों / वेट लैंड के पुनर्जीवन में सामाजिक सहयोग जोड़ने का कार्य करेगी।

लेखक लोक सम्मान भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री हैं। 

भावी जीवन के शुभहित में

वर्ष प्रतिपदा नव रात्रि आयी, शुभ जीवन का सन्देशा लाई। संकल्प साधना व्रत का पल, संगठन सूत्र की विधि समझाई।।
शुभ मुहूर्त या शुभ संस्कार, जब शुभ पल कोई आता है। भारतीय संस्कृति में सदैव, जलकलश सजाया जाता है।।
आओ सृष्टि के इस प्रथम पर्व, मिल कर जल कलश सजाएँ। वर्ष प्रतिपदा से अक्षय तृतीया, मिल जल उत्सव माह मनाएं।।
जल ही जीवन का मंत्र लिए. कुआ तालाब झील सजाएं। वर्षा जल की हर बून्द बचे, शुभ जीवन का लक्ष्य बनाएं।।
भूजल से जितना जल लेते, उतना भू को जल लौटाएं। अपने क्षेत्र में वर्षा जल को, एक रिचार्जेबल कूप बनाएं ||
पुरखों का कुआं रहे याद पुनर्जीवन अभियान चलायें। तालाब पोखरे जीवन धन, सब विधि मिल उन्हें बनाएं।।
छोटी नदियाँ जल स्रोत सभी, सुजला सजला हो सदा बहें। भावी जीवन के शुभ हित में, संकल्पित वर्तमान के साथ रहें।।

ब्रजेन्द्र पाल सिंह"

सोर्स- लोक सम्मान 

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