खूनी भंडारा जो बुझा रहा है पीढ़ियों की प्यास लगातार बिना रुके बिना थके
तकरीबन 100 फीट जमीन के नीचे दुनिया की एकमात्र जिंदा ऐसी सुरंग है जो अमृत जैसा पानी देती है। जो नापती है 4 किलोमीटर लंबा सफर। हैरान होने के लिए इतना ही काफी नहीं है। पिछले 400 सालों से इसने कई पीढ़ियों की प्यास बुझाई है। आज भी ये सुरंग लाखों लोगों की प्यास बुझा रही है।
ये जो आप कुओं की लंबी कतार देख रहे हैं ये कोई साधारण कुएं नहीं हैं। ये उसी खूनी भंडारे के निशान हैंजिसकी शुरूआत 400 साल पहले की गई थी। दरअसल इन कुओं के नीचे एक लंबी सुरंग है जो इनको 108 कुओं को आपस में जोड़ती है। इस पूरे सिस्टम को ही खूनी भंडारा कहा जाता है। ये एक नायाब तरीका है जमीन के नीचे पानी के मैनेजमेंट का। जिसे मुगलों ने विकसित किया।
एक जाने-माने इंटरनेशनल चैनल के लिए हमें इस पूरे सिस्टम पर डॉक्युमेंट्री बनानी थी...बात सन् 2002 की है...हमने अपनी बेसिक रिसर्च पूरी की और अपने पूरे तामझाम के साथ पहुंच गए खूनी भंडारा कवर करने।
कुछ इस तरह का नजारा रहा होगा शुरुआत में
अंदर कुछ इस तरह का नजारा दिखता है
गेट वे ऑफ साउथ इंडिया
कुछ इस तरह सुरंग आपस में कुओं को जोड़ती है
खूनी भंडारे की टेक्नोलॉजी
जलधारा जहां लगातार प्रवाहित होती रहती है
बाहर का एक कुआं
मुगलों के लिए खूनी भंडारे का रणनीतिक महत्व
‘रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून’
का संदेश देने वाले अब्दुल रहीम खानखाना ने इस कहावत को हकीकत का जामा भी पहनाया। दरअसल दक्षिण भारत पर राज करने के इरादे से मुगलों को बुरहानपुर सबसे मुफीद जगह लगी। इसी सामरिक अहमियत की वजह से मुगलों ने बुरहानपुर को खासतौर पर विकसित किया। कहा जाता है कि इस जगह बहने वाली ताप्ती नदी में अगर दुश्मन जहर घोल देता तो मुगलों की विशाल सेना बेमौत मारी जाती। इसलिए जमीन के नीचे पानी को बहाने का फैसला लिया गया। पानी के साथ-साथ इसके पीछे एक और रणनीति काम कर रही थी, वो थी संकट के समय दुश्मन से बचने के लिए इस खूनी भंडारे को भागने के लिए इस्तेमाल किया जा सके। इस सुरंग का इस्तेमाल मुगल सुरक्षित मार्ग के तौर पर किया भी करते थे।