नैनीताल के चन्दन ने पेश की प्रकृति प्रेम की अनोखी मिसाल | Chandan of Nainital presented a unique example of love for nature
यह नैनीताल जिले के ओखलकांडा ब्लॉक का नाई गांव है, इस गांव में आप जहां भी नजर डालेंगे सब हरा भरा लगेगा,ऐसा इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि आज से 10 साल पहले गांव का ही एक युवा ऐसा करनी की ठान चुका था। और उसकी जिद्द ने गांव को तो सावारा ही साथ ही समाज में भी एक मिसाल पेश की कि कुछ भी असंभव नहीं है।
29 साल के चंदन सिंह नयाल बचपन से ही प्रकृति प्रेमी रहे है। पॉलिटेक्निक की पढ़ाई करने के बाद नौकरी करने के बजाय चंदन ने अपने प्रकृति प्रेम को अहमियत दी। चंदन कहते है कि उनकी पढ़ाई शहरो में हुई है जब भी वह गर्मियों की छुट्टी में अपने गांव आते थे। तो हमेशा गांव के जंगलों में आग लगा हुआ देखते थे वह अक्सर अपने पिता के साथ उसे बुझाने जाते थे। इसी दौरान उन्होंने देखा कि उनके गांव में चीड़ के पेड़ो के कारण जंगल में आग बढ़ती जा रही जिससे फलदार और जलस्रोत वाले पेड़ नष्ट होते जा रहे है। यह देख उन्हें काफी पीड़ा हुई और तब से उन्होंने ठान लिया कि वह गांव के जागलों को नष्ट होने से बचाने का काम करेंगे।
10 साल पहले शुरू की गई अपनी इस मुहिम में उन्होंने 58 हजार से अधिक पेड़ लगाए है साथ ही 8000 से अधिक चाल खाल- खांतिया खोद चुके है। शुरवाती दौर में बिना आर्थिक मदद के अपनी इस मुहिम को आगे बढ़ाना चंदन के लिए मुश्किल था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी मुहिम के साथ गांव के लोगों और महिलाओं को भी जागरूक करते रहे ।
वर्ष 2016 चंदन की मेहनत रंग लाई और गांव के युवा और महिलाएं उनके मुहिम का हिस्सा बन गए। और अब ये सभी अपना कुछ कीमती समय निकाल कर बंजर जमीनों में पेड़ पौधे लगाने के साथ जल संरक्षण के लिए छोटे छोटे पोखर और खांतिया खोदते है।
पेड़ पौधे लगाने के साथ चंदन जल संरक्षण पर भी अपना फोकस कर रहे है। वर्षा जल संरक्षण के लिए उन्होंने पुरानी परंपरा को जमीन में उतारा दिया है । गांव में छोटे छोटे पोखर और खांतिया खोदी जा रही है ताकि वर्षा के पानी के संरक्षण के साथ जंगलों को आग से बचाया जा सके।
चंदन का मानना है कि इस पद्धति से सुख चुके जल स्रोतो को पुनर्जीवित किया जा सकता है और ये उन्होंने करके भी दिखया है । उनके द्वारा दो नदियों के जल स्रोत को जिंदा किया गया है अब उनमें पूरे वर्ष यानी 12 महीने पानी रहता है।
अपने इस लंबे सफर की कामयाबी के बारे में चंदन कहते है उहोंने जो आज से 10 साल पहले जो निर्णय लिया था वो सही साबित होता दिख रहा है आज उन सभी जगहों पर घास उगने के साथ प्राकृतिक रूप से पैदा होने वाले पेड़ पौधों की भरमार हो रही है । यह देख उन्हें बहुत खुशी हुई है ।
उन्होंने लोगों से अपील की है कि वह पर्यावरण के संरक्षण के लिए जागरूक से ज्यादा जमीनी स्तर पर काम करे। क्योंकि उन्का मानना है कि सेमिनार, कार्यक्रमों से हम पर्यावरण को संरक्षित करने में वो सफलता हासिल नही कर सकते,जो जमीनी स्तर पर काम करके पाएंगे। उन्होंने राज्य और केंद्र की सरकारों से भी जमीनी स्तर पर अधिक फोकस करने की हिदायत दी है।
चंदन को अपने इस काम के लिए कई अवॉर्ड मिल चुके है साल 2020 में भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा उन्हें वाटर हीरो की उपाधि दी गई थी वही 4 दिसंबर 2020 मन की बात में पीएम मोदी ने भी उनके अटूट प्राकृतिक प्रेम का जिक्र कर सरहाना की था। इसके अलावा चंदन नयाल को utrakahnd रत्न सुंदर लाल बहुगुणा स्मृति वृक्ष मित्र सहित ढेरों सम्मान भी मिल चुके है
जलवायु परिवर्तन के इस दौर में चंदन आज भी आर्थिक सहायता से महरूम है लेकिन उनका पेड़ पौधों के प्रति प्रेम कम नहीं हुआ है वो कहते है वह अपने जज्बे में कोई कमी नही छोड़ेगे भले ही कितनी परेशानी का सामना करना पड़े।..... लेकिन उन्हें पूरी उम्मीद है कि भविष्य में उनके इस जज्बे के सामने आर्थिक मजबूरी भी गायब हो जाएगी ।