वानस्पतिक समोच्च अवरोध (Vegetative contour barriers)
शुष्क क्षेत्रों में वर्षाजल से ही पैदा हो जाने वाली घासें मिट्टी और पानी के संरक्षण का कार्य करती हैं, निरंतर रहने वाली ये घासें और झाड़ियां मृदा अपरदन के अवरोधक का कार्य करती हैं, सेंट्रल एरिड जोन रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर ड्राइ लैंड एग्रीकल्चर, हैदराबाद द्वारा किये गए शोध द्वारा यह स्पष्ट हुआ है कि वानस्पतिक समोच्च अवरोध तकनीक द्वारा जल अपवाह 97 फीसदी से 28 फीसदी तक कम हुआ. परिणाम स्वरूप मृदा में आर्द्रता वृद्धि तथा फसलों में 35 फीसदी तक अतिरिक्त वृद्धि देखी गई है।
इस विधि द्वारा सामान्यत: घासों (नेपीयर, धोलू, भांभर या झाड़ियों जैसे करोंदा, फालसा, इत्यादि) की कुछ पंक्तियों समोच्च बंधो पर या उनके ठीक नीचे ऊगाई जाती है। इस प्रकार ऊगाई गई वनस्पति न सिर्फ समोच्च बंधों को मजबूती प्रदान करती है बल्कि ग्रामीण समुदाय के पालतु जानवरों के लिये हरा चारा भी उपलब्ध कराती है।