कृषि
पानी - यानी समृद्धि व स्वावलंबन का टिकाऊ आधार
प्राकृतिक संसाधनों के समन्वित प्रबंधन के कारण सिंचाई के लिये पानी उपलब्ध हुआ है। कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा आयोजित प्रशिक्षण एवं फसल प्रदर्शन से किसानों के अंदर जागरूकता आई, आत्मविश्वास बढ़ा और अत्यधिक उत्पादन लेने की चेष्टा ने उर्वरकों के प्रयोग की तरफ ध्यान आकृष्ट किया। जहाँ पहले किसान नाम मात्र का उर्वरक प्रयोग करता था आज कृषि विज्ञान केन्द्र में मिट्टी परीक्षण के पश्चात विशेषज्ञों की सलाह पर इसका प्रयोग जैविक खादों के साथ-साथ करना शुरू कर दिया है।
गिरता हुआ भूजलस्तर:
वर्षा की स्थिति:
वर्ष | वर्षा की मात्रा (मिमी.) | वर्षा के दिन (संख्या) |
2003 | 1298 | 49 |
2004 | 824 | 44 |
2005 | 1003 | 43 |
2006 | 748 | 34 |
2007 | 635 | 24 |
2008 | 751 | 41 |
जल संकट का कारण:
भूमि जलस्तर में वृद्धि
प्रकृतिक संसाधनों का प्रबंधन- टिकाऊ विकास:
आजीविका का आधार हुआ सशक्त
निष्कर्ष:
लेखक परिचय
वेद प्रकाश सिंह, डॉ. एस.एन. सिंह