ब्रह्मपुत्र महानद का जलविज्ञानीय विश्लेषण (भाग 1)
पर्वतराज हिमालय विश्व के तीन प्रमुख नदी तंत्रों सिंधु, गंगा एवं ब्रह्मपुत्र का उद्गम स्थल है। भारतवर्ष का लगभग एक तिहाई भू-भाग गंगा-ब्रह्मपुत्र-बराक बेसिन से आच्छादित है। गंगा एवं ब्रहपुत्र नदियों का संगम बांग्लादेश में होता है जिसके बाद इसे पद्मा नदी के नाम से जाना जाता है। यह नदी अंततः मेघना नदी में मिलने के बाद बंगाल की खाड़ी में समाहित हो जाती है। भारत, नेपाल एवं बांग्लादेश के अंतर्गत गंगा, ब्रह्मपुत्र एवं मेघना नदियों के संयुक्त भू-भाग को ग्रेटर गंगा बेसिन के नाम से जाना जाता है।
ब्रह्मपुत्र एवं बराक नदियाँ भारत के पूर्वोत्तर राज्यों की प्रमुख नदियाँ हैं। ब्रह्मपुत्र नदी को भारत की सबसे बड़ी नदी और विश्व की तीसरी सबसे बड़ी नदी माना जाता है। संस्कृत में, ब्रह्मपुत्र का तात्पर्य "ब्रह्मा के पुत्र" से है। यह नदी बांग्लादेश और चीन जैसे अपने पड़ोसी देशों के साथ भारत में भी बहती है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में आदिवासी बस्तियों और घने जंगलों से होकर प्रवाहित होती है। भारत के सात पूर्वोत्तर राज्यों, अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, एवं त्रिपुरा, जिन्हें संयुक्त रुप से सात बहनों के नाम से जाना जाता है, का कुल भू-भाग 2,70,230 वर्ग किलोमीटर है जो देश के कुल भू-भाग का 8.11% है। ब्रह्मपुत्र बेसिन का 65% भाग पर्वत श्रृंखलाओं एवं उनके मध्य घाटियों से घिरा है। देश के इस भू-भाग में 2000-4000 मिमी. तक भारी वर्षा होती है जिसके कारण पर्वतों के मध्य घाटी क्षेत्र बाढ़ग्रस्त हो जाते हैं जबकि पर्वतीय क्षेत्रों में जल की कमी पाई जाती है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में ब्रह्मपुत्र, बराक नदियों तथा त्रिपुरा, मणिपुर एवं मिजोरम से उद्गमित नदियों सहित कुल 647.8 वर्ग किलोमीटर जल संभाव्यता उपलब्ध है जिन्हें सारणी-1 में दर्शाया गया है। प्रस्तुत प्रपत्र को ग्रेटर गंगा बेसिन के अंतर्गत ब्रह्मपुत्र बेसिन पर केन्द्रित किया गया है। जिसमें आने वाली बाढ़ के कारण प्रति वर्ष होने वाली हानि के परिणामस्वरूप इसे असम का शोक के नाम से भी जाना जाता है।
ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम 30-30' उत्तरी अक्षांश एवं 82'-10' पूर्वी देशांतर पर समुद्र तल से 5300 मीटर की ऊंचाई पर तिब्बत में हिमालय पर्वत की कैलाश पर्वत श्रृंखला के निकट स्थित कांग्तुंग कांग हिमनद से होता है जो मानसरोवर झील के दक्षिण में लगभग 60 मील की दूरी पर स्थित है। यहाँ यह नदी तम्चोक खाम्बाब कांगरी के नाम से जानी जाती है। अपने उद्गम से बंगाल की खाड़ी में समाहित होने तक यह नदी 2880 किलोमीटर मार्ग में तीन देशों चीन. भारत एवं बांग्लादेश से होकर गुजरती है। तिब्बत में अपने उद्गम से भारत-चीन सीमा तक यह नदी 1625 किलोमीटर की दूरी तय करती है. यहाँ इस नदी को तिब्बत में 'सांगपो' कहते हैं, जिसका अर्थ है जलशोधक। इस भाग में इस नदी में अनेक सहायक नदियाँ समाहित होती हैं जिनमें मयुम चू एवं चेमा युंग ढुंग प्रमुख हैं।
भारत में प्रवेश करने के बाद यह नदी अपने मध्य खंड में अरुणाचल प्रदेश और असम राज्यों से प्रवाहित होती हुई कुल 918 किलोमीटर की दूरी तय करके बांग्लादेश में प्रवेश करती है। अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी भाग में इस नदी को सियांग व निचले भागों में दिहांग के नाम से जाना जाता है। दिहांग नदी के असम में कोबो नामक स्थल पर दिबांग एवं लोहित नदियों से संगम के पश्चात इस नदी को ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है। बोडो लोग ब्रह्मपुत्र नदी को भुल्लम-बुथुर भी कहते हैं जिसका अर्थ है कल कल की आवाज निकालना। असम में यह नदी काफी चौड़ी हो जाती है और कहीं-कहीं तो इस नदी की चौड़ाई दस किलोमीटर तक है। डिब्रूगढ़ तथा लखीमपुर जिले के बीच नदी दो शाखाओं में विभक्त हो जाती है। असम में ही नदी की दोनों शाखाएं मिलकर मजुली द्वीप बनाती है जो विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप है। भारत-चीन सीमा से बांग्लादेश सीमा तक इस नदी में समाहित होने वाली प्रमुख सहायक नदियाँ सुवनसिरी, मानस, रंगानदी. बोरगोंग, जिया-बरहाली. संकोश आदि हैं। असम के मध्य खण्ड में ब्रहमपुत्र नदी में समाहित होने वाली सहायक नदियों से सम्बद्ध जानकारी सारणी 2 में दर्शाई गई है।
बांग्लादेश में प्रवेश के बाद बंगाल की खाड़ी में समाहित होने तक यह नदी 337 किलोमीटर की दूरी तय करती है। इस भाग में इस नदी में समाहित होने वाली प्रमुख सहायक नदियों में तीस्ता, गंगा-पद्मा एवं मेघना प्रमुख हैं। बांग्लादेश में तीस्ता नदी के संगम के बाद इस नदी को जमुना के नाम से, तत्पश्चात गंगा-पद्मा नदी के साथ संगम के बाद गंगा-पद्मा के नाम से तथा अंत में मेघना नदी के साथ संगम होने के पश्चात बंगाल की खाड़ी में समाहित होने तक मेघना के नाम से जाना जाता है। ब्रहमपुत्र नदी तंत्र को निम्न चित्र में दर्शाया गया है।
सारणी : असम राज्य में ब्रह्मपुत्र नदी में समाहित होने वाली कुछ प्रमुख सहायक नदियों की जानकारी |
|||||
क्र.सं. |
सहायक नदी |
ब्रह्मपुत्र नदी के उद्गम से ब्रह्मपुत्र नदी के संगम तक नदी की लंबाई (कि.मी. में) |
अपवाह क्षेत्र |
||
कुल (वर्ग कि.मी.) |
पर्वतीय क्षेत्र में (%) |
मैदानी क्षेत्र में (%) |
|||
1 |
जियाढाल |
877 |
1,346 |
22.7 |
77.3 |
2 |
सुवानसिरी |
820 |
37,000 |
95.7 |
4.3 |
3 |
रंगानदी |
811 |
2,940 |
76.2 |
23.8 |
4 |
बोरगोंग |
719 |
550 |
63.6 |
36.4 |
5 |
जिया भराली |
675 |
11,843 |
71.9 |
28.1 |
6 |
गभरू |
635 |
295 |
19.3 |
80.7 |
7 |
बेलसिरी |
617 |
751 |
24.6 |
75.4 |
8 |
धनसिरी (उत्तर) |
607 |
956 |
34.8 |
65.2 |
9 |
नोआनदी |
567 |
366 |
18.6 |
81.4 |
10 |
नोनोई |
552 |
860 |
23.8 |
76.2 |
11 |
बरनादी |
542 |
739 |
17.2 |
82.8 |
12 |
पुथिमरी |
509 |
1,787 |
33.4 |
66.6 |
13 |
पगलादिया |
507 |
1,820 |
24.2 |
75.8 |
14 |
मानस |
422 |
41,350 |
85.9 |
14.1 |
15 |
चम्पामति |
400 |
1,038 |
13.2 |
86.8 |
16 |
गौरंग |
380 |
1,023 |
18.5 |
81.5 |
17 |
तिपकई |
377 |
1,744 |
9.8 |
90.2 |
18 |
संकोश |
337 |
10,345 |
92.4 |
7.6 |
19 |
दिबोंग |
982 |
12,270 |
96.5 |
3.5 |
20 |
लोहित |
977 |
23,400 |
79.6 |
20.4 |
21 |
डिब्रु |
929 |
1,852 |
0 |
100.0 |
22 |
बूढी दिहिंग |
877 |
8,730 |
56.8 |
43.2 |
23 |
देसांग |
852 |
3,950 |
45.7 |
54.3 |
24 |
दिखोव |
842 |
4,370 |
78.4 |
21.6 |
25 |
झंजी |
832 |
1,349 |
64.7 |
35.3 |
26 |
धनसिरी (दक्षिण) |
757 |
12,580 |
51.3 |
48.7 |
27 |
कोपिली |
557 |
20,068 |
79.1 |
20.0 |
28 |
कुलसी |
477 |
4,005 |
77.0 |
23.0 |
29 |
क्रिश्नाई |
445 |
1,615 |
80.0 |
20.0 |
30 |
जिनारी |
437 |
594 |
69.0 |
31.0 |
31 |
जिन्जिराम |
337 |
3,467 |
70.4 |
29.6 |