हर्मिसर झील, भुज
हर्मिसर झील, भुज

जल निकाय क्या हैं, उनकी गणना क्या है (भाग 1)

जल निकाय से अभिप्राय उन संरचनाओं से है, जहाँ आवासीय या अन्य क्षेत्रों से हिमगलन, धाराओं, झरनों तथा वर्षा जल निकासी से जल एकत्र होता है। इनमें किसी धारा, नाले या नदी से परिवर्तित करके भंडारित किया गया जल भी शामिल है, परन्तु महासागरों, नदियों, झरनों, स्विमिंग पूलों, व्यक्तियों द्वारा बनाए गए ढके हुए जल के टैंक, कारखानों और अस्थायी जल निकायों को इस जनगणना से बाहर रखा गया है। परिगणना के दौरान जल निकायों के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में जानकारी एकत्र की गई जिसमें उनके प्रकार, स्थिति, अतिक्रमण की स्थिति आदि शामिल हैं। इसमें ग्रामीण और शहरी, दोनों ही क्षेत्रों में स्थित सभी जल निकायों को शामिल किया गया है, चाहे वे उपयोग में है या उपयोग में नहीं हैं।
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विश्व की 18 प्रतिशत जनसंख्या भारत में निवास करती है, जबकि विश्व के कुल स्वच्छ जल संसाधनों का केवल 4 प्रतिशत ही भारत में उपलब्ध है। देश में 80 प्रतिशत से अधिक जल का उपयोग कृषि में किया जाता है, जबकि शेष जल घरेलू और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए आवंटित किया जाता है। जलवायु परिवर्तन की मानसून पद्धति को प्रभावित करने के साथ, देश के जल निकायों की गुणवत्ता न केवल कृषि के लिए बल्कि सम्पूर्ण जनसंख्या हेतु पेयजल उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भी महत्वपूर्ण है। ये जल निकाय जल संतुलन बनाए रखने, बाढ़ आपदा से हानि को कम करने, जैव विविधता का समर्थन करने, खाद्य सुरक्षा और आजीविका प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, परन्तु जनसंख्या वृद्धि और शहरीकरण के दबाव के कारण भारत जल की प्रचुरता वाले देश से धीरे-धीरे जल की कमी का सामना करने वाला देश बनता जा रहा है। जनसंख्या में तीव्र वृद्धि एवं शहरीकरण के कारण जल निकायों का क्षरण हुआ है। हमारे शहरों और कस्बों में देश के तीन प्रतिशत से भी कम जलाशय हैं, जिसके कारण देश के अनेक शहरों व ग्रामीण क्षेत्रों में जनमानस को शुद्ध पेयजल भी उपलब्ध नहीं है। देश में उपलब्ध जल संसाधन अत्यधिक प्रदूषित हो गए हैं जिससे सतही जल का 70 प्रतिशत भाग मानव उपभोग के लिए, 'अनुपयुक्त' माना जाता है।

जल निकाय का अर्थ

पृथ्वी की सतह पर उपलब्ध जल के एकत्रित स्वरूप को जल निकाय कहते हैं। यह महासागर, सागर अथवा छोटे तालाबों एवं कुंडों के रूप में हो सकते हैं। इनमें सतह पर प्रवाहमान जल के रूप में स्थित नदियों और नालों इत्यादि को भी शामिल किया जाता है।

जल निकायों के प्रकार

जल पृथ्वी पर उपलब्ध सबसे हैः- महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों में से एक है और वह पृथ्वी पर विभिन्न रूपों में पाया जा सकता है। विभिन्न जल निकायों को उनकी गुणवत्ता जैसेः खारे एवं स्वच्छ जल तथा जल निकाय के आकार जैसेः छोटे एवं बड़े जल निकाय के आधार पर कई श्रेणियों में विभाजित कर सकते हैं। जल निकायों की विशेषताएं उन्हें एक दूसरे से अलग करती हैं। महासागर, नदियाँ, तालाब, जलाशय आदि जल निकाय, पृथ्वी पर समस्त जीवधारियों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण एवं अपरिहार्य हैं। विभिन्न प्रकार के निकायों जलाशयों का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित खंडों में किया गया है।

महासागर

महासागर पृथ्वी पर जल के सबसे बड़े पिंड हैं जो पृथ्वी की सतह के कम से कम 71 प्रतिशत भाग में फैले हैं। पृथ्वी पर उपलब्ध समस्त खारा जल अंततः विश्व में विद्यमान महासागर में समाहित होता है। हालांकि, जिस तरह से हमारे महाद्वीपों को व्यवस्थित किया गया है, उससे विशिष्ट महासागर एवं घाटियों के वीच अंतर करना सरल हो जाता है। इस प्रकार इस अन्तर को देखते हुए प्रशांत महासागर सबसे विशाल महासागर है। इसके पश्चात हिंद महासागर, अटलांटिक महासागर, दक्षिणी महासागर और आर्कटिक महासागर आते हैं। मानव जाति, विभिन्न प्रकार से महासागरों पर निर्भर है, उदाहरण के लिए, हम भोजन प्राप्त करने व परिवहन के लिए इसका उपयोग करते हैं और जल चक्र को भी महासागर प्रभावित करते हैं।

सागर

इन्हें मूलतः महासागरों के उप-वर्ग के रूप में जाना जाता है। महासागरों की तटीय पहुँच को जहां वे भूमि द्रव्यमान से घिरे होते हैं, समुद्र के रूप में जाना जाता है। समुद्र का सबसे सामान्य उदाहरण भूमध्य सागर है। इसके अतिरिक्त दक्षिण चीन सागर, कैरेबियन सागर और साथ ही बेरिंग सागर जैसे अन्य सागर भी लोकप्रिय हैं। इनमें से अधिकांश जल निकाय सीधे समुद्र से जुड़ते हैं। हालांकि, पृथ्वी पर विशेष खारे जल निकाय भी हैं और कैस्पियन सागर इसका एक ज्वलन्त उदाहरण है। इसके अलावा, यह खाड़ी की छोटी श्रेणियों में भी विभाजित होता है।

3. झील

ये जल के अंतर्देशीय निकाय हैं जो मीठे जल या खारे जल के साथ पाए जाते हैं। झीलें भी भूमि से घिरी होती हैं और कुछ कैस्पियन सागर को झील के रूप में वर्गीकृत भी करती हैं। झील और तालाब के बीच कोई स्पष्ट अंतर नहीं है। हालांकि, झीलें भी काफी विशाल हो सकती हैं। उत्तरी अमेरिका की महान झीलें और रूस की वैकाल झील, वृहत्त झीलों का उदाहरण हैं। झीलों का निर्माण बहुत सारी प्रक्रियाओं से होता है, जिनमें से कुछ हिमनदों के कटाव के साथ-साथ ज्वालामुखी विस्फोट के अतिरिक्त नदियों को बाँधने से सम्बद्ध हैं।

4. नदियां और नाले

ये मूल रूप से गतिमान जल निकाय हैं। दूसरे शब्दों में, जो जल पृथ्वी की सतह पर प्रवाहित होता है, वह नदियों और जलधाराओं का निर्माण करता है। जल धाराओं को नदियों का छोटा रूप कहा जा सकता है। इनमें ताजा जल होता है जो नदियों और नालों के निरंतर प्रवाह के माध्यम से अन्ततः समुद्र में मिल जाता है।

नदियां जल के साथ-साथ ऊर्जा का भी एक महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। इसके अलावा, उनका उपयोग परिवहन उद्देश्यों और मत्स्य पालन के लिए भी किया जाता है। अफ्रीका में नील नदी व दक्षिण अमेरिका में अमेजन नदी विश्व की सबसे लंबी नदियों हैं। इसके अतिरिक्त मिसिसिपी नदी, कांगो, मैकेंजी आदि विश्व की प्रमुख नदियों हैं।

5. हिमनद ग्लेशियर

हिमनद जल के हिम पिंड हैं तथा एक प्रकार के जल निकाय हैं जो जमी हुई नदियों की तरह धीरे-धीरे चलते हैं। सभी हिमनद, आइस कैंप, ग्लेशियल आइस लाखों वर्ष पुराने हैं। वे पृथ्वी के लगभग 10 प्रतिशत भूमि क्षेत्र में फैले हैं और मीठे जल के प्रमुख स्रोत हैं।
 

यह आलेख दो भागों में है - 

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