प्लास्टिक कटिंग बोर्ड से माइक्रोप्लास्टिक और बैक्टीरिया का खतरा
प्लास्टिक कटिंग बोर्ड : माइक्रोप्लास्टिक का स्रोत
नॉर्थ डकोटा स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का हालिया अध्ययन चेतावनी देता है कि प्लास्टिक कटिंग बोर्ड पर भोजन काटते समय सूक्ष्मकण (माइक्रोप्लास्टिक) भी भोजन में जा सकते हैं। प्रयोगों में 500 काट के नमूनों (लहसुन, सब्ज़ियाँ आदि) पर परीक्षण किया गया, जिसके परिणामस्वरूप यह पाया गया कि पीई (polyethylene) बोर्ड पर हर कट से करीब 1–14 माइक्रोप्लास्टिक कण निकलते हैं, जबकि पीपी (polypropylene) बोर्ड पर 3-15 कण निकलते हैं। अगर मान लें कि औसतन एक व्यक्ति दिन में 5 बार काटता है, तो साल भर में लगभग 128,000 कट हो सकते हैं, जिससे कुल मिलाकर 7.4 से 50.7 ग्राम प्लास्टिक तक भोजन के साथ शरीर में पहुँच सकता है। उदाहरण के लिए, एक क्रेडिट कार्ड का वजन करीब 5 ग्राम होता है, अतः उच्च अनुमान पर करीब दस क्रेडिट कार्ड की मात्रा प्लास्टिक प्रतिवर्ष हमारे खाने में घुल सकती है। शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि इसके विपरीत लकड़ी के बोर्ड पर काटने से केवल लकड़ी के सूक्ष्म कण निकलते हैं, जो प्राकृतिक होते हैं।
भारत में च़़ॉपिंग बोर्ड
भारत में पारंपरिक तौर पर प्लास्टिक बोर्ड (मामूली कीमत के HDPE या PVC) व्यापक रूप से प्रयोग होते हैं, विशेषकर सब्ज़ियाँ और मसाले काटने के लिए। जबकि कई रसोई घरों में लकड़ी या स्टील के बोर्ड भी हैं, प्लास्टिक की लोकप्रियता अधिक रही है। भारतीय रसोई में प्याज, धनिया, अदरक–लहसुन इत्यादि छोटी-छोटी सामग्रियों को बार-बार बारीक काटना सामान्य है, जिससे इन बोर्डों पर गहरे निशान बन जाते हैं। अध्ययन के अनुसार कटिंग बोर्ड पर गहरे खरोंच होते ही प्लास्टिक के कण भोजन में मिल सकते हैं, अतः पुराने या बहुत खरोंच वाले बोर्ड को बदल देना चाहिए।
इस संदर्भ में कई पर्यावरणविदों का कहना है कि लकड़ी, बांस या स्टील के बोर्ड माइक्रोप्लास्टिक जोखिम को न के बराबर करते हैं। लकड़ी के बोर्ड, जैसे नीम या सागौन, स्वाभाविक रूप से जीवाणुरोधी गुणों वाले होते हैं (नीम में विशेष तैलीय यौगिक होते हैं जो फफूंद व बैक्टीरिया से बचाते हैं। नीम की लकड़ी के बोर्ड कठोर और टिकाऊ होते हैं, चाकू के निशान कम बनते हैं और इन्हें सही देखभाल से कई साल तक चलाया जा सकता है। इसी प्रकार सागौन (टीक) की लकड़ी भी उच्च गुणवत्ता वाली, पानी और कीटरोधी लकड़ी है। बांस के बोर्ड भी पर्यावरण-मित्र विकल्प हैं, जो मजबूत एवं हल्के होते हैं, हालाँकि ये नीम या सागौन की तरह स्वाभाविक रूप से जीवाणुरोधी नहीं होते। एक आधुनिक विकल्प स्टेनलेस स्टील का बोर्ड है – इसकी सतह नॉन-पोरस होती है, जिससे बैक्टीरिया नहीं पनपते और यह साफ करना बेहद आसान है। स्टील बोर्ड बहुत टिकाऊ तो होते हैं लेकिन इनसे चाकू की धार जल्दी कुंद हो सकती है।
वैज्ञानिक प्रमाण
माइक्रोप्लास्टिक 5 मिलीमीटर से छोटे प्लास्टिक कण होते हैं, जो खाद्य पदार्थों के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। प्लास्टिक कटिंग बोर्ड पर चाकू से काटने से सतह पर खरोंच बनती हैं, जिससे सूक्ष्म प्लास्टिक कण निकलते हैं। ये कण आपके खाने में मिल सकते हैं।
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन (2024) के अनुसार, माइक्रोप्लास्टिक रक्तप्रवाह में प्रवेश कर हृदय रोग और कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं।
डॉ. सौरभ सेठी, हार्वर्ड मेडिकल हेल्थ (2025) ने चेतावनी दी कि माइक्रोप्लास्टिक पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
सस्ते प्लास्टिक बोर्डों में BPA और फथालेट्स जैसे रसायन होते हैं, जो हार्मोनल असंतुलन और मोटापे का कारण बन सकते हैं।
स्वास्थ्य संबंधी जोखिम और सावधानियाँ
खाद्य सामग्री में माइक्रोप्लास्टिक का समावेश स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय है। कुछ वैज्ञानिक अनुसंधान में पाया गया है कि माइक्रोप्लास्टिक शरीर में प्रवेश करने पर एंडोक्राइन (हार्मोन) व्यवधान, कैंसर और प्रजनन संबंधी समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं। इसलिए उपर्युक्त शोध के निष्कर्ष हमारी दिनचर्या में एक चेतावनी की तरह हैं। खाने की तैयारी के दौरान प्लेट में जाने वाले माइक्रोप्लास्टिक को न्यूनतम करने के लिए विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि प्लास्टिक बोर्ड की जगह कांच, संगमरमर, बांस या लकड़ी के बोर्ड अपनाएं।
इस बीच, कटिंग बोर्ड की साफ-सफाई और देखभाल भी अहम है। लकड़ी के बोर्ड को गर्म पानी और हल्के साबुन से धोकर, साफ कपड़े से पोछकर हमेशा हवा में सुखाएं। इन्हें डिशवॉशर में धोने से बचें और जब भी बोर्ड पर गहरे दरार या कट निशान हों तो बोर्ड बदल दें। लकड़ी के बोर्ड को महीने में एक बार खाद्य-ग्रेड नारियल या बेअनाम तेल से चिकना करके रखे, ताकि वह सूखने या फटने से बचे. प्लास्टिक बोर्ड के लिए यदि अनिवार्य हो तो यह सुनिश्चित करें कि बोर्ड BPA-फ्री हो, और कट के निशान समय-समय पर अच्छे से साफ हों।
नोट - BPA (Bisphenol A) एक औद्योगिक रसायन है जिसका इस्तेमाल कई प्लास्टिक और रेज़िन (resins) को मजबूत और पारदर्शी बनाने के लिए किया जाता है।