विश्व हाथ स्वच्छता दिवस लोगो
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विश्व हाथ स्वच्छता दिवस: क्यों जरूरी है 'साफ हाथ' की ये वैश्विक मुहिम

हर साल 5 मई को मनाया जाने वाला विश्व हाथ स्वच्छता दिवस संक्रमण से बचाव में हाथ धोने की भूमिका पर जोर देता है। 2025 की थीम बताती है कि दस्ताने, हाथ स्वच्छता का विकल्प नहीं हैं। जानिए इसका इतिहास, भारत में चुनौतियाँ और वैश्विक प्रयास।
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विश्व हाथ स्वच्छता दिवस

हर साल 5 मई को मनाया जाने वाला विश्व हाथ स्वच्छता दिवस स्वास्थ्य सेवाओं में संक्रमण रोकने के लिए हाथ धोने की अहमियत पर ध्यान केंद्रित करता है। इस साल की थीम है — “ये दस्ताने हो सकते हैं, लेकिन हमेशा हाथ स्वच्छता।” यानी दस्ताने पहनना हाथ साफ रखने का विकल्प नहीं हो सकता।

भारत जैसे देशों के लिए यह दिन बेहद अहम है, जहां स्वास्थ्य सेवा से जुड़े संक्रमण (HAIs) आम हैं। ICMR की 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अस्पताल में भर्ती हर 8 में से 1 मरीज HAI से प्रभावित होता है। इनमें से कई संक्रमण गंदे हाथों के जरिए फैलते हैं। यह दिन विशेष रूप से भारत जैसे देशों के लिए महत्वपूर्ण है, जहां संक्रामक रोगों का बोझ अधिक है और स्वास्थ्य सेवा से जुड़े संक्रमण (HAIs) एक बड़ी चुनौती हैं। ICMR 2023 की रिपोर्ट (Annual Report: Antimicrobial Resistance Surveillance and Research Network) के अनुसार, भारत में अस्पताल में भर्ती मरीजों में से 12% तक HAIs से पीड़ित हैं, और इनमें से कई गंदे हाथों से फैलते हैं।

विश्व हाथ स्वच्छता दिवस की शुरुआत

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने साल 2009 में पहली बार इस दिन की शुरुआत की थी। मकसद था – स्वास्थ्य सेवा में हाथ धोने की आदत को एक वैश्विक आंदोलन बनाना।

यह पहल खासकर स्वास्थ्य कर्मियों को सही समय पर हाथ साफ करने के तरीकों को अपनाने और संक्रमण की रोकथाम को प्राथमिकता देने के लिए शुरू की गई। WHO की वेबसाइट के अनुसार, "क्लीन केयर इज़ सेफर केयर" कार्यक्रम के तहत यह पहल आगे बढ़ी।WHO की वेबसाइट (World Hand Hygiene Day - WHO) के अनुसार, यह दिन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए ज्ञान और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देता है, जिससे संक्रमण निवारण और नियंत्रण में सुधार होता है। यह पहल साबुन और पानी से हाथ धोने या कुंजी क्षणों पर अल्कोहल-आधारित हाथ रगड़ का उपयोग करके सही हाथ स्वच्छता अभ्यास को बढ़ावा देती है, जो विश्वव्यापी स्वास्थ्य सेवा से जुड़े संक्रमणों को कम करने का लक्ष्य रखती है।

स्वास्थ्य सेवा में हाथ स्वच्छता का रोल

भारत में अस्पतालों में संक्रमण का खतरा ज्यादा है। यहां कई बार संसाधनों की कमी और जागरूकता की कमी से हाथ स्वच्छता को नजरअंदाज कर दिया जाता है।

WHO और UNICEF की "हैंड हाइजीन फॉर ऑल" मुहिम, भारत जैसे देशों के लिए एक गाइडलाइन की तरह है, जो स्वास्थ्य संस्थानों को बेहतर मानक अपनाने की सलाह देती है।

विश्व हाथ स्वच्छता दिवस का मुख्य उद्देश्य हाथ धोने के सही तरीके और समय पर जोर देना है, जैसे कि मरीजों के संपर्क से पहले और बाद में, ताकि हानिकारक कीटाणुओं के प्रसार को रोका जा सके। यह मरीजों और स्वास्थ्य कर्मियों दोनों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार लाने में मदद करता है। WHO और UNICEF ने "हाथ स्वच्छता सभी के लिए" पहल शुरू की है, जो स्वास्थ्य देखभाल सेटिंग्स में हाथ स्वच्छता के लिए वैश्विक सिफारिशों को लागू करने पर ध्यान देती है (Hand Hygiene for All Initiative).

 दुनिया भर में हाथ स्वच्छता की स्थिति

दुनिया भर में हर साल करोड़ों मरीज HAI से प्रभावित होते हैं। WHO के मुताबिक, विकसित देशों में 7% और विकासशील देशों में 15% मरीज अस्पतालों में संक्रमण का शिकार होते हैं।

UNICEF के आंकड़े बताते हैं कि हर साल लगभग 5 लाख लोग डायरिया और सांस की बीमारियों से मरते हैं, जिन्हें हाथ धोने की आदत से रोका जा सकता था।

वैश्विक स्तर पर, HAIs हर साल सैकड़ों मिलियन मरीजों को प्रभावित करते हैं, जिसमें उच्च-आय वाले देशों में 7% और निम्न-आय वाले देशों में 15% मरीज संक्रमण से ग्रस्त होते हैं। हाथ न धोने का प्रभाव चौंकाने वाला है, विशेष रूप से मृत्यु दर के संदर्भ में। UNICEF के 2023 के डेटा के अनुसार, वैश्विक स्तर पर, हर साल लगभग 500,000 लोग डायरिया और तीव्र श्वसन संक्रमणों से मरते हैं, जो उचित हाथ धोने से रोके जा सकते थे (Hygiene and Hand Washing Statistics).

 2003 SARS प्रकोप और हाथ स्वच्छता

2003 में SARS के वैश्विक प्रकोप ने हाथ स्वच्छता की कमी को उजागर किया। इस बीमारी ने 26 देशों में 8,000 से ज्यादा लोगों को संक्रमित किया और करीब 774 की जान गई।

WHO ने 2005 में “क्लीन केयर इज़ सेफर केयर” नामक पहल शुरू की, जो बाद में 2009 में विश्व हाथ स्वच्छता दिवस की बुनियाद बनी।

अपर्याप्त हाथ स्वच्छता प्रथाओं ने अस्पतालों में वायरस के प्रसार को बढ़ाया, जिससे WHO को 2005 में "क्लीन केयर इज सेफर केयर" पहल शुरू करने के लिए प्रेरित किया गया। यह पहल बाद में 2009 में विश्व हाथ स्वच्छता दिवस की स्थापना का आधार बनी। इस घटना ने वैश्विक स्तर पर हाथ स्वच्छता के लिए नीतिगत बदलावों को उत्प्रेरित किया, जिसमें WHO के "5 मोमेंट्स फॉर हैंड हाइजीन" जैसे दिशानिर्देश शामिल हैं, जो स्वास्थ्य देखभाल में संक्रमण रोकथाम के लिए मानक बन गए।

भविष्य का रास्ता

2025 का यह दिवस हमें याद दिलाता है कि हाथ धोना स्वास्थ्य सुरक्षा का सबसे सरल और असरदार तरीका है। सरकारों, अस्पतालों और स्वास्थ्य कर्मियों को इसे मरीज देखभाल की मूलभूत आवश्यकता मानना होगा।

संदर्भ -

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