ई-कोलाई बैक्टीरिया से बढ़ता खतरा
ई-कोलाई बैक्टीरिया से बढ़ता खतरा

भारत में ई. कोलाई जल प्रदूषण: एक बढ़ता स्वास्थ्य संकट

ई. कोलाई जल प्रदूषण: चेन्नई, पुणे और अहमदाबाद सहित कई शहरों में दूषित पानी से बढ़ते स्वास्थ्य खतरे और समाधान पर चर्चा। देश की नगर-निकाय प्रबंधन शुद्ध पेयजल देने की गारंटी कब देंगीं?
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भारत में जल प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है, और 'एस्चेरिचिया कोलाई' (ई. कोलाई) जैसे जीवाणुओं का प्रसार इस संकट को और गहरा रहा है। हाल की घटनाओं, जैसे चेन्नई के पल्लावरम में दूषित पाइप जल से तीन लोगों की मौत और पुणे में गिलेन-बारे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में वृद्धि, ने इस मुद्दे की गंभीरता को उजागर किया है। यह लेख ई. कोलाई जल दूषण के कारणों, प्रभावों और समाधानों का विश्लेषण करता है, जिसमें चार प्रमुख घटनाओं पर ध्यान दिया गया है।

पल्लावरम की त्रासदी: एक चेतावनी

5 दिसंबर 2024 को, चेन्नई के पल्लावरम में संदिग्ध दूषित पाइप जल के सेवन से तीन लोगों-88 वर्षीय वरलक्ष्मी, मोहनारंगन (42), और तिरुवेदी (54)-की मौत हो गई, जबकि 34 अन्य डायरिया से पीड़ित होकर अस्पताल में भर्ती हुए। शुरुआती जांच में पानी के दूषण को दोषी ठहराया गया, और पानी के नमूने किंग्स इंस्टीट्यूट ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन एंड रिसर्च, गुंडी भेजे गए। 'द हिंदू' की रिपोर्ट के अनुसार, लक्षण जैसे उल्टी और डायरिया ई. कोलाई संक्रमण की ओर इशारा करते हैं, जो मल दूषण का संकेत है ([Three die in Chennai’s Pallavaram due to suspected drinking water contamination]। हालांकि, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने गंभीर खाद्य विषाक्तता को कारण बताया, जिससे विवाद पैदा हुआ। बीजेपी नेता के. अन्नामलाई ने स्वतंत्र प्रयोगशाला परीक्षण के आधार पर दावा किया कि पानी में कोलीफॉर्म और ई. कोलाई मौजूद थे, जिसने सरकारी दावों पर सवाल उठाए E coli in water supplied to Pallavaram, says BJP]। यह घटना शहरी जल आपूर्ति प्रणालियों में कमियों को उजागर करती है।

घटनाएं: एक राष्ट्रव्यापी समस्या

पल्लावरम कोई अपवाद नहीं है। देश भर में ई. कोलाई दूषण की घटनाएं बढ़ रही हैं:

- 'पुणे और पिंपरी-चिंचवड (जनवरी 2025)': गिलेन-बारे सिंड्रोम (GBS) के 140 मामलों और चार मौतों को दूषित पानी से जोड़ा गया। 'टाइम्स ऑफ इंडिया' के अनुसार, आठ पानी के स्रोतों, जिनमें सिंहगड़ रोड का एक बोरवेल शामिल था, में ई. कोलाई पाया गया, जो मल या पशु अपशिष्ट दूषण का संकेत देता है ([Eight water sources found with E. Coli in Pune]

- 'अहमदाबाद': साबरमती नदी का पानी, जिसमें एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी ई. कोलाई पाया गया, किसानों द्वारा सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है, जिससे उपभोक्ताओं के लिए जोखिम बढ़ता है। 'टाइम्स ऑफ इंडिया' ने बताया कि यह खाद्य श्रृंखला के माध्यम से स्वास्थ्य संकट पैदा कर सकता है ([Farmers at high risk from E. coli-laden water

- 'केंद्रपाड़ा, ओडिशा': गैस्ट्रोएंट्राइटिस के प्रकोप, जिसमें कुछ मौतें शामिल थीं, पानी के नमूनों में ई. कोलाई की उपस्थिति से जुड़े थे। 'टाइम्स ऑफ इंडिया' की रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में खराब स्वच्छता इसकी मुख्य वजह थी ([E.coli bacteria found in water samples from K’pada, Kendrapada district]

इन घटनाओं से पता चलता है कि ई. कोलाई दूषण शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में एक व्यापक समस्या है।

ई. कोलाई प्रदूषण के कारण

ई. कोलाई एक जीवाणु है जो सामान्यतः मनुष्यों और जानवरों की आंतों में पाया जाता है, लेकिन इसके कुछ तनाव, जैसे O157:H7, गंभीर बीमारियां पैदा कर सकते हैं। पानी में इसकी उपस्थिति मल दूषण का संकेत देती है। भारत में ई. कोलाई दूषण के प्रमुख कारण हैं:

  • 1. 'शहरीकरण और औद्योगीकरण': तेजी से बढ़ते शहरों में अपर्याप्त सीवेज उपचार और औद्योगिक अपशिष्ट निपटान से नदियां और भूजल प्रदूषित हो रहे हैं। उदाहरण के लिए, साबरमती नदी में औद्योगिक अपशिष्ट ई. कोलाई दूषण का स्रोत है।  

  • 2. 'अपर्याप्त जल उपचार': कई शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में आधुनिक जल उपचार संयंत्रों की कमी है। पल्लावरम में, पुरानी पाइपलाइनों और रखरखाव की कमी ने दूषण को बढ़ावा दिया।  

  • 3. 'खराब स्वच्छता': खुले में शौच और अपर्याप्त स्वच्छता सुविधाएं, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों जैसे केंद्रपाड़ा में, मल दूषण का कारण बनती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, वैश्विक स्तर पर 1.7 अरब लोग मल-दूषित पानी का उपयोग करते हैं।  

  • 4. 'जलवायु परिवर्तन': बाढ़ और सूखा पानी के स्रोतों को प्रभावित करते हैं। बाढ़ सीवेज को पेयजल में मिला देती है, जबकि सूखा प्रदूषकों को केंद्रित करता है।  

  • 5. 'कृषि पद्धतियां': अपर्याप्त रूप से उपचारित अपशिष्ट जल का सिंचाई में उपयोग, जैसा कि अहमदाबाद में देखा गया, ई. कोलाई को खाद्य श्रृंखला में प्रवेश करने देता है।  

प्रभाव: स्वास्थ्य और उससे आगे

ई. कोलाई दूषण के प्रभाव बहुआयामी हैं:

  1. - 'स्वास्थ्य जोखिम': डायरिया, गैस्ट्रोएंट्राइटिस, और गंभीर मामलों में GBS जैसी बीमारियां। पल्लावरम और केंद्रपाड़ा में मौतें इसकी गंभीरता को दर्शाती हैं।  

  2. - 'आर्थिक नुकसान': बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती और उत्पादकता में कमी। पुणे में GBS मामलों ने स्वास्थ्य प्रणाली पर बोझ डाला।  

  3. - 'खाद्य सुरक्षा': दूषित पानी से उपजाई गई फसलों से उपभोक्ताओं तक ई. कोलाई पहुंचता है, जैसा कि अहमदाबाद में देखा गया।  

  4. - 'सामाजिक प्रभाव': पानी की कमी और दूषण सामुदायिक तनाव को बढ़ाते हैं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।  

तत्काल कार्रवाई की जरूरत

पल्लावरम, पुणे, अहमदाबाद और केंद्रपाड़ा की घटनाएं भारत में ई. कोलाई जल दूषण के बढ़ते खतरे की चेतावनी हैं। यह संकट न केवल स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि आर्थिक और सामाजिक स्थिरता को भी खतरे में डालता है। सरकार, समुदाय और उद्योगों को मिलकर जल उपचार, स्वच्छता और निगरानी में सुधार करना होगा। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2010 में जल और स्वच्छता को मानव अधिकार के रूप में मान्यता दी गई थी, और भारत को इस दायित्व को पूरा करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। यदि अभी कार्रवाई नहीं की गई, तो ई. कोलाई दूषण एक और बड़ा स्वास्थ्य संकट बन सकता है।

'संदर्भ'  

1. 'द हिंदू': [Three die in Chennai’s Pallavaram due to suspected drinking water contamination]

2. 'न्यू इंडियन एक्सप्रेस': [E coli in water supplied to Pallavaram, says BJP

3. 'टाइम्स ऑफ इंडिया': [Eight water sources found with E. Coli in Pune]

4. 'द हिंदू': [Suspected GBS deaths in Maharashtra rise to 4, case tally at 140; E.coli found in water sample]

5. 'टाइम्स ऑफ इंडिया': [Farmers at high risk from E. coli-laden water]

6. 'टाइम्स ऑफ इंडिया': [E.coli bacteria found in water samples from K’pada, Kendrapada district]

7. 'नेचर': [Waterborne pathogen monitoring in Jaipur, India reveals potential microbial risks of urban groundwater supply]

8. 'टाइम्स ऑफ इंडिया': [Postmortem microbiological reports suggest Pallavaram deaths not due to water contamination]

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