कॉर्प और महशीर मछलियों के जरिये चंपावत की झीलों का पारिस्थितिक संतुलन सुधारने और पर्यटन बढ़ाने की कवायद।
कॉर्प और महशीर मछलियों के जरिये चंपावत की झीलों का पारिस्थितिक संतुलन सुधारने और पर्यटन बढ़ाने की कवायद।

कार्प और महाशीर मछलियां सुधारेंगी चंपावत की झीलों का इको सिस्‍टम, बढ़ेगा इको-टूरिज्‍़म

जैव विविधता और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य विभाग ने कोलीढेक और श्यामलाताल झील में छोड़े मछलियों के एक लाख बीज
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उत्तराखंड के चंपावत जिले की प्रमुख झीलों कोलीढेक और श्यामलाताल का पारिस्थितिक संतुलन (Ecological balance) सुधारने के लिए राज्‍य के मत्स्य विभाग ने कार्प और महाशीर प्रजातियों की मछलियों के करीब एक लाख बीज (जीरे) छोड़े हैं। जिला मत्स्य विभाग की इस पहल का मकसद जिले की झीलों के पारिस्थितिक तंत्र को मजबूत करने और जल जीवन को समृद्ध करने के के साथ ही जिले में पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ावा देना है। विशेषज्ञों का माननना है कि इस कदम से चंपावत जिला देश में खेल मत्स्य पालन (Sport Fishing) के एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभर सकता है।

किस झील में कितनी मछलियां

जिला मत्स्य विभाग के प्रभारी कुंवर सिंह बगड़वाल के अनुसार हाल ही में इन झीलों में 50,000-50,000 कार्प मत्स्य बीज छोड़े गए हैं। कोलीढेक झील में कार्प के साथ-साथ महाशीर प्रजाति के बीजों को भी छोड़ा गया है। श्यामलाताल झील में भी विभागीय देखरेख में कार्प मछली के बीज छोड़े गए। उन्‍होंने बताया कि महाशीर मछली 'हिमालय की शान' और "हिमालय की मछली रानी" भी कहा जाता है। यह उत्तराखंड की नदियों और झीलों में पाई जाने वाली एक प्रसिद्ध मछली प्रजाति है। यह मीठे ठंडे पानी की चुनिंदा किस्‍मों में शामिल है। इसकी वृद्धि दर उत्‍तराखंड जैसे पर्वतीय इलाकों के ठंडे पानी और पर्यावरण के अनुकूल पाई गई है।

पारिस्थितिक लाभ के साथ ही इको-टूरिज्‍़म को मिलेगा बढ़ावा

प्रभारी अधिकारी के अनुसार चंपावत की प्रमुख झीलों में इन मछलियों का पालन कई तरह से लाभकारी सिद्ध होगा। झीलों की जैव विविधता और पारिस्थितिक संतुलन में सुधार होने के साथ ही झीलों के पानी की गुणवत्ता भी बेहतर होगी। इसकी वजह यह है कि ये मछलियां पानी में प्लवक और शैवाल (Plankton and Algae) की मात्रा को संतुलित रखती हैं। पानी की गुणवत्‍ता सुधरने से इन झीलों का प्राकृतिक सौंदर्य और दृश्यात्मक आकर्षण बढ़ेगा। इस तरह कार्प और महाशीर मछलियों की मौजूदगी से पर्यटन गतिविधियों, खासकर एंग्लिंग (फिशिंग पर्यटन) को बढ़ावा मिलेगा। यह पर्यावरण-संवेदनशील पर्यटन (Eco-sensitive tourism) का पहलू स्थानीय लोगों के लिए आजीविका के नए अवसर भी पैदा कर सकता है।

मत्‍स्‍य विभाग और प्रशासन की पहल

मत्स्य विभाग के प्रभारी कुंवर सिंह बगड़वाल ने बताया कि इस बीज संचयन अभियान में मत्‍स्‍य विभाग के साथ ही श्यामलाताल झील के प्रशासक जगदीश प्रसाद की सक्रिय भी काफी भागीदारी रही। विभाग का कहना है कि यह प्रयास एक सतत योजना का हिस्सा है, जिसके तहत वर्ष भर झीलों की निगरानी और मत्स्य विकास सुनिश्चित किया जाएगा।

कार्प मछली (Carp Fish) की विशेषताएं

कार्प मछली ठंडे मीठे पानी (cold fresh water) में पाई जाने वाली प्रमुखमछली है। इनका मांस स्वादिष्ट होने के साथ-साथ प्रोटीन से भरपूर होता है, इसलिए यह मछली खाने वालों की खासतौर पर पसंद आती है। इनकी बाज़ार में अच्छी मांग रहती है। इसे देखते हुए कार्प मछली का व्यावसायिक मत्स्य पालन बड़े पैमाने पर होता है। इन्हें तालाब, झील, और जलाशयों में आसानी से पाला जा सकता है। ये मछलियां काफी तेजी से बढ़ती हैं। जिससे यह ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका का एक महत्वपूर्ण साधन बन चुकी हैं। 

महाशीर मछली (Mahseer Fish) की विशेषताएं

महाशीर को "हिमालय की मछली रानी" कहा जाता है और यह भारत की सबसे प्रतिष्ठित मछलियों में से एक है। यह नदी और पहाड़ी क्षेत्रों की साफ़, ठंडी और ऑक्सीजन-युक्त धाराओं में पाई जाती है। महाशीर मछलियां आकार में बड़ी होती हैं और इनका वजन 50 किलो तक पहुंच सकता है। ये मछलियां न केवल स्वादिष्ट होती हैं, बल्कि इनका खेल मत्स्य पालन (sport fishing) के लिए भी काफी महत्त्व है। महाशीर का संरक्षण अब ज़रूरी हो गया है क्योंकि यह कई क्षेत्रों में विलुप्ति की कगार पर है। इन्हें जैव विविधता और पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाने वाली मछली माना जाता है।

क्‍या है खेल मत्स्य पालन (Sport Fishing) 

खेल मत्स्य पालन (Sport Fishing) एक प्रकार की शौकिया मछली पकड़ने की गतिविधि है। इसमें मछलियों को मारा या खाया नहीं जाता, बल्कि उन्‍हें मनोरंजन, प्रतियोगिता, या अभ्यास के उद्देश्य से पकड़ा जाता है और फिर पानी में वापस छोड़ दिया जाता है। इसमें आमतौर पर फेंककर पकड़ने की विधि (angling) का उपयोग होता है, जिसमें कांटे, रील, और रॉड का प्रयोग कर मछली को पकड़ा जाता है। पकड़ी गई मछली को अक्सर फोटोग्राफ या वीडियो बनाने और माप व वजन लेने के बाद पानी में छोड़ दिया जाता है, जिससे कि जैव विविधता को नुकसान न हो। यह गतिविधि नदी, झील और समुद्री क्षेत्रों में पर्यावरण संतुलन बनाए रखते हुए की जाती है। इस वजह से इको फ्रेंडली टूरिज्‍म की श्रेणी में रखा जाता है और Sport Fishing दुनिया भर में पर्यटन तथा स्थानीय अर्थव्यवस्था का हिस्सा भी बनती जा रही है। 

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