अच्छी खबर : गंगा-ब्रह्मपुत्र में डॉल्फिनों की संख्या बढ़कर पहुंची 6327, पीएम मोदी ने की सराहना
देश में सिमटते जल स्रोतों और प्रदूषित होती नदियों की खबरों के बीच बीते दिनों एक अच्छी खबर सामने आई है। ये खबर है देश की सबसे बड़ी नदियों में शुमार गंगा और ब्रह्मपुत्र में डॉल्फिनों की संख्या बढ़ने की। देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि देश की नदियों में दुर्लभ प्रजाति की डॉल्फिन मछली की संख्या छह हजार से अधिक हो गई है। इस उत्साहजनक खबर का जिक्र देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी किया है।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय वन्यजीव संस्थान के निदेशक वीरेंद्र तिवारी ने बताया है कि पिछली बार नमामि गंगा प्रोजेक्ट के तहत जो सर्वे हुआ था, वह केवल गंगा और उसकी सहायक नदियों में किया गया था। इस सर्वे में डॉल्फिन की संख्या 3500 के आसपास पाई गई थी। ज्यादातर डॉल्फिन यूपी के गढ़ मुक्तेश्वर से आगे गंगा के जल में दिखाई दी थीं।
इस बार गंगा और उसकी सहायक नदियों के साथ साथ ब्रह्मपुत्र समेत कई नदियों में भी डॉल्फिन की खोज की गई, जिसके उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं। श्री तिवारी ने बताया कि भारतीय वन्य जीव संस्थान ने डॉल्फिन की संख्या के अनुमान की जो ताजा रिपोर्ट जारी की है, उसमें इनकी संख्या अब 6,327 होने का अनुमान जताया गया है। संस्थान ने यह सर्वे वर्ष 2021 से 2023 के बीच किया है। इस अध्ययन में 105 रिसर्चर, वन विभाग के 105 कर्मी और गैर सरकारी संगठन के 32 लोग शामिल थे। इस आकलन के कार्य का नेतृत्व डॉ.कमर कुरैशी और विष्णु प्रिया ने किया।
श्री तिवारी ने बताया कि डॉल्फिन आकलन अभी आठ राज्यों की 28 नदियों पर सर्वेक्षण किया गया। इसमें उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 2397 डॉल्फिन मिली हैं। बिहार में 2220, पश्चिम बंगाल में 815, असम में 635, झारखंड में 162, राजस्थान-मध्य प्रदेश में 95 और पंजाब में 3 डॉल्फिन होने की जानकारी दर्ज की गई है।
माना जा रहा है कि डॉल्फिनों की संख्या पर जारी इस ताजा रिपोर्ट से डॉल्फिन के संरक्षण के कार्यों में और मदद मिलेगी। भारतीय वन्यजीव संस्थान की भविष्य में बाघों की गिनती की तर्ज पर एक निश्चित अंतराल पर डॉल्फिन के आकलन की रिपोर्ट को जारी करने की योजना है। निदेशक ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गिर (जूनागढ़) में राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की सातवीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए डॉल्फिन की संख्या का संज्ञान लिया और इसके संरक्षण पर जोर दिया।