घरों में पानी की खपत घटाकर जल संरक्षण में मदद कर रहे हैं मोबाइल ऐप
देश और दुनिया में जल संकट लगातार गंभीर होता जा रहा है। बढ़ती आबादी, शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन के पीने योग्य पानी की उपलब्धता घटती ही जा रही है। भारत जैसे देश, जहां अधिकांश शहर गर्मियों में जल संकट का सामना कर रहे हैं। ऐसे में घरेलू स्तर पर जल उपयोग की निगरानी और बचत पर गंभीरता से ध्यान दिया जाना बेहद जरूरी हो गया। अच्छी बात यह है कि डिजिटल तकनीक इस दिशा में सहायक साबित हो रही है। मोबाइल ऐप जैसे स्मार्टफोन आधारित समाधान एक प्रभावी विकल्प के रूप में सामने आए हैं।
अमेरिका के कैलिफोर्निया में ड्रॉपकाउंटर मोबाइल ऐप से लेकर भारत में भी WaterOn, VenAqua, AquaGen जैसे कई ऐप तैयार हो चुके हैं, जो पानी के इस्तेमाल पर नज़र रखकर इसकी बचत में मददगार साबित हो रहे हैं। ये ऐप यूजर्स को उनके घर में रोजाना इस्तेमाल किए जा रहे पानी की मात्रा बताने के साथ ही खपत में बढ़ोतरी होने और पानी की बर्बादी के बारे में सचेत करते हैं। साथ ही यह घर में होने वाले वाटर लीकेज के बारे में भी अलर्ट करते हैं।
ड्रॉपकाउंटर की सफलता हो सकती है बड़ा समाधान
कई वर्षों से सूखे की समस्या झेल रहे अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य में बीते दिनों ‘ड्रॉपकाउंटर’ नाम के एक मोबाइल ऐप का प्रयोग किया गया। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की पानी पर रिसर्च करने वाली इकाई यूसी रिवरसाइड (यूसीआर) में सार्वजनिक नीति के सहायक प्रोफेसर मेहदी नेमाती के नेतृत्व में किए गए अध्ययन की रिपोर्ट को रिसोर्स एंड एनर्जी इकोनॉमिक्स नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया। अध्ययन का शीर्षक है “उच्च आवृत्ति विश्लेषण और आवासीय जल उपभोग: विषम प्रभावों का आकलन।” इसके सह-लेखक केंटकी विश्वविद्यालय के स्टीवन बक और कैल पॉली सैन लुइस ओबिस्पो के हिलेरी सोल्दाती हैं।
इस रिसर्च में पाया गया कि ड्रॉपकाउंटर नामक ऐप के उपयोग से औसत घरेलू जल के उपयोग में 6.2% की कमी आई। अच्छी बात यह है कि पानी की सबसे ज़्यादा बचत जल का अधिक उपयोग करने वाले उपयोगकर्ताओं के बीच देखने को मिली। रिपोर्ट के मुताबिक शीर्ष 20% उपयोगकर्ताओं ने तो अपने पानी के उपयोग में 12% तक की कटौती की। ऐप द्वारा जल रिसाव अलर्ट भेजे जाने के बाद अगले दिन पानी का उपयोग लगभग 50% कम हो गया, उसके बाद अगले दिन 30% की गिरावट आई और छह दिन बाद भी 9% की निरंतर कमी आई।
यह शोध उत्तरी कैलिफोर्निया के फॉल्सम शहर में किया गया, जहां 2014 के अंत में आवासीय ग्राहकों को ड्रॉपकाउंटर की पेशकश की गई थी। लगभग 3,600 परिवारों ने इस कार्यक्रम में स्वेच्छा से भाग लिया। इसमें 2013 से 2019 तक स्मार्ट मीटर का डेटा एकत्र किया गया। इससे शोधकर्ताओं को दैनिक जल उपयोग के 32 मिलियन से अधिक रिकॉर्ड का विश्लेषण करने की अनुमति मिली। रिसर्च के अनुसार ड्रॉपकाउंटर के अलावा अमेरिका में Flume Water और Hydrao जैसे ऐप्स भी लोकप्रिय हो रहे हैं, जो स्मार्ट मीटरिंग और डेटा अलर्ट के जरिए उपयोगकर्ताओं को पानी की खपत कम करने के लिए प्रेरित करते हैं।
ये ऐप डेटा के आधार पर उपयोगकर्ताओं को पानी की बचत के तरीके भी सुझाते हैं, जैसे कि कम समय तक स्नान (शावर) करना, नल के लीक को ठीक करना, डिशवॉशर और वॉशिंग मशीन जैसे उपकरणों का उपयोग तब तक टालना जब तक वे अपनी पूरी क्षमता तक भर न जाएं। ऐप, उपयोगकर्ताओं को तब भी सचेत करता है जब उनकी पानी की खपत ऊंची टैरिफ दर वाले स्तर के करीब पहुंच जाती है। यह अलर्ट मिलने पर लोग वाटर बिल में बढ़ोतरी से बचने के लिए पानी की खपत घटा देते हैं।
कैसे काम करते हैं ये ऐप?
ये मोबाइल ऐप स्मार्ट मीटर, फ्लो सेंसर्स और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) तकनीक से जुड़े होते हैं, जो घर में पानी के स्रोतों जैसे टंकी, नल, शॉवर और वॉशिंग मशीन – से पानी के बहाव की मात्रा को ट्रैक करते हैं। ये ऐप उपयोगकर्ता को दैनिक, साप्ताहिक और मासिक रिपोर्ट देते हैं। घर में पानी की खपत अगर अचानक से बढ़ जाती है, तो ऐप तुरंत इसका अलर्ट भेजते हैं। इसके अलावा यह ऐप कहीं भी पानी लीकेज होने पर भी अलर्ट भेजते हैं। ऐप की कार्य प्रणाली को कुछ इस प्रकार से समझा जा सकता है-
1. रीयल टाइम डेटा कलेक्शन : घर में जब-जब नल, शॉवर या वॉशिंग मशीन जैसे उपकरणों का इस्तेमाल होता है, सेंसर उस पानी की मात्रा, दबाव (pressure), और गति (flow rate) को रिकॉर्ड करता है। इस तरह ऐप हर समय पानी के बहाव की निगरानी करके डेटा को तुरंत ही (real-time) में मोबाइल ऐप या क्लाउड सर्वर पर भेजते हैं। इससे न केवल यह पता चलता है कि कितना पानी उपयोग हुआ, बल्कि यह भी कि किन समयों में खपत अधिक होती है।
2. पैटर्न एनालिसिस और रिपोर्टिंग : ऐप में एक आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस आधारित एल्गोरिद्म (AI-based algorithm) होता है, जो उपयोगकर्ता के पानी उपयोग की दैनिक, साप्ताहिक और मासिक आदतों का विश्लेषण करता है। आंकड़ों और उनका विश्लेषण उपयोगकर्ता को एक डैशबोर्ड के ज़रिये दिखाया जाता है। इसमें यह भी बताया जाता है कि पानी की खपत सामान्य से अधिक कब और क्यों हो रही है।
3. लीकेज और बर्बादी की पहचान : अगर सेंसर लगातार धीमी गति से पानी के बहाव को रिकॉर्ड करता है (जैसे टपकता नल), या यदि अचानक बड़ी मात्रा में पानी बहता है (जैसे पाइप फट जाना), तो ऐप तुरंत अलर्ट भेजता है। यह फीचर शुरुआती चरण में ही लीकेज का पता लगाने में मदद करता है, जिससे बड़ी मात्रा में पानी की बर्बादी रोकी जा सकती है।
4. वॉटर बेंचमार्किंग और तुलना : कुछ ऐप उपयोगकर्ताओं को यह सुविधा भी देते हैं कि वे अपने पानी के उपयोग की तुलना अपने क्षेत्र के अन्य घरों से कर सकें। इससे यूज़र को यह समझने में मदद मिलती है कि वह कहां-कहां सुधार करके अपनी पानी की खपत को घटा सकते हैं।
5. गेमीफिकेशन और यूज़र एंगेजमेंट : पानी की बचत व किफ़ायती इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए कुछ ऐप इसमें गेमीफिकेशन तकनीक का उपयोग करते हैं। इसमें ऐप के ज़रिए पानी बचाने को एक खेल की तरह प्रस्तुत करके उपयोगकर्ताओं को पानी की बचत करने पर पॉइंट्स या रिवॉर्ड दिए जाते हैं, जैसे, हर हफ्ते 10% कम खपत करने पर बैज या रिवार्ड पॉइंट्स मिलना। इससे उपयोगकर्ता जागरूक और प्रेरित रहते हैं और यह मनोरंजन उन्हें ऐप के साथ जोड़े रखने में भी मदद करता है।
6. इंटीग्रेशन और ऑटोमेशन : कुछ ऐप स्मार्ट होम सिस्टम (जैसे Alexa, Siri, Google Home) से भी जुड़ जाते हैं, जिससे यूजर्स वॉयस कमांड के जरिये अपनी पानी की खपत की रिपोर्ट मांग सकते हैं या अलर्ट सेट कर सकते हैं। कुछ ऐप तो भारी लीकेज का पता चलने पर घर की पाइपलाइन को अपने आप बंद करने की सुविधा भी देते हैं।
पानी की खपत में तेज़ गिरावट से पता चलता है कि लोग ध्यान दे रहे हैं और तेजीतेजी से कार्रवाई कर रहे हैं। यह एक महत्वपूर्ण परिणाम है, क्योंकि हर बूंद मायने रखती है। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि अध्ययन में यह भी पाया गया कि यह व्यवहारिक परिवर्तन लंबे समय तक बने रहे। हमने 50 महीने बाद पानी के उपयोग पर नज़र डाली और फिर भी निरंतर कमी पाई। इसका मतलब, लोग सिर्फ़ एक बार प्रतिक्रिया करके भूल नहीं रहे थे। वे इससे जुड़े रहे।
मेहदी नेमाती, सहायक प्रोफेसर (पब्लिक पॉलिसी), यूसी रिवरसाइड (यूसीआर)
कई देशों में शुरू हो चुकी है पहल
अमेरिका की ही तरह ऑस्ट्रेलिया में Smart Water Advice जैसे ऐप्स और यूरोप में Watersmart जैसे प्लेटफॉर्म स्थानीय सरकारों और नागरिकों के सहयोग से जल उपयोग में दक्षता लाने का काम कर रहे हैं। चीन में ‘iWater’ और ‘Water Stewardship App’ जैसे ऐप्स प्रमुख हैं, जो स्मार्ट शहर परियोजनाओं (Smart Cities) के साथ एकीकृत किए गए हैं।
सिंगापुर में ‘MyWaters’ और ‘WaterWise Report’ जैसे डिजिटल टूल इस्तेमाल किए जाते हैं, जो सिंगापुर पब्लिक यूटिलिटीज बोर्ड (PUB) द्वारा विकसित किए गए हैं। थाईलैंड में EGAT Smart Water और Thai Smart Metering System जैसे प्रयासों के ज़रिए जल आपूर्ति में पारदर्शिता और रिसाव नियंत्रण को बढ़ावा दिया जा रहा है। ये सभी ऐप्स जल संरक्षण को शहरी जीवनशैली से जोड़ने और इसे लोगों की आदतों में शामिल करने का काम कर रहे हैं।
भारत में उभरते समाधान
भारत में अभी ऐसे ऐप का चलन शुरुआती स्तर पर है, लेकिन कुछ कंपनियां इस दिशा में प्रयास कर रही हैं। WaterOn, VenAqua और AquaGen जैसे ऐप्स स्मार्ट वॉटर मीटरिंग के जरिए उपयोगकर्ताओं को पानी की रियल-टाइम खपत बताने लगे हैं। WaterOn का दावा है कि उनके मीटर से जुड़े घरों में पानी की खपत में औसतन 25-30% तक कमी लाई जा सकती है। VenAqua जैसे ऐप बड़े अपार्टमेंट्स और गेटबंद कॉलोनियों में जल प्रबंधन के लिए खासे उपयोगी साबित हो रहे हैं। हालांकि, फिलहाल देश में इन ऐप्स का इस्तेमाल काफी सीमित है, पर आने वाले समय में इनका उपयोग बढ़ने पर बेहतर नतीजे मिलने की उम्मीद है।