नेपाल के कारण बिहार में बाढ़ का खतरा
बिहार का बाढ़ से पुराना नाता है। यहां हर साल बाढ़ आती है। एक तरह से बरसात के दौरान बाढ़ आना बिहार में न्यू नार्मल है। सालों से आ रही बाढ़ यहां के लोगों के जीवन का हिस्सा बन गई है। बिहार में बाढ़ आने के प्राकृतिक से ज्यादा मानवीय कारण जिम्मेदार हैं, लेकिन उनके समाधान की तरफ अपेक्षाकृत कम ध्यान दिया जा रहा है। परिणामतः हर साल बाढ़ लाखों लोगों के जीवन की खुशहाली को बहाकर ले जाती है। 2017 की बाढ़ ने 17 जिलों को अपनी चपेट में लिया था। करीब 1.71 करोड़ लोग इससे प्रभावित हुए थे। 8.5 लाख लोगों के घर टूट गए थे और करीब 8 लाख एकड़ फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई थी। बाढ़ की यही तबाही 2018 और 2019 में भी दिखाई दी, लेकिन इस बाढ़ बिहार में बाढ़ की वजह बन सकता है नेपाल।
भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद चल रहा है। इस सीमा विवाद ने अब नया मोड़ ले लिया है। नेपाल सरकार ने पूर्वी चम्पारण के ढाका अनुमंडल में लाल बकेया नदी पर बन रहे तटबंध के पुनर्निर्माण कार्य को रोक दिया है। यह इलाका ‘नो मैंस लैंड’ में आता है। बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार ने एएनआई को कहा कि
‘वाल्मीकि नगर में गंडक बैराज के 36 गेट हैं, जिनमें से भारत के हिस्से में एक से लेकर 17 तक के बैराज हैं, जबकि नेपाल के हिस्से में 18 से लेकर 36 तक के बैराज हैं। अपने तरफ नेपाल ने बैरियर लगा दिए हैं। जिस कारण इन बांध/तटबंध की मरम्मत नहीं हो सकी। नेपाल मरम्मत सामग्री भी नहीं ले जाने दे रहा है, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। रविवार को बैराज से 1.5 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। अगर बाढ़ से निपटने वाली सामग्री और हमारे अधिकारी नहीं पहुंची तो स्थिति बेहद गंभीर हो सकती है।’
दैनिक जागरण के मुताबिक वाल्मीकिनगर बैराज से 1.5 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद मुजफ्फरपुर समेत पूर्वी व पश्चिमी चंपारण, वैशाली, गोपालगंज, सारण, शिवहर, सीतामढ़ी, दरभंगा, समस्तीपुर और खगडिया जिले में बाढ़ का संकट गहरा गया है। तो वहीं सोमवार की शाम तक जिले में बागमती, गंडक और बूढ़ी गंडक नदी के जलस्तर बढ़ना शुरु हो गया था। नीचे टेबल में नदियों का नाम, खतरे का निशान और सोमवार की शाम का जलस्तर बताया गया है।
नदी | खतरे का निशान | जलस्तर |
डुब्बाघाट शिवहर | 61.28 | 59.54 |
सोनाखान रीगा | 68.80 | 67.85 |
चंदौली बेलसंड | 59.06 | 56.77 |
ढेंग बैरगनिया | 70.10 | 69.58 |
कटौझा रून्नीसैदपुर | 53.73 | 54.00 |
बेनीबाद मुजफ्फरपुर | 48.68 | 48.28 |
हायाघाट दरभंगा | 45.72 | 42.90 |
बिहार की लगभग 700 किलोमीटर की सीमा नेपाल से लगती है। इस ‘नो मैंस लैंड’ इलाके में बांध बीस साल से है। हर साल मरम्मत और तटबंध निर्माण कार्य किया जाता है। बिहार सरकार नदी पर तटबंध बनाती है और फिर हर साल बाढ़ से बचने के लिए मानसून से पहले मरम्मत का कार्य किया जाता है। पिछले साल भी बिना परेशानी के मरम्मत कार्य किया गया किया था, लेकिन सीमा विवाद के चलते इस बार बिहार सरकार के सामने समस्या खड़ी हो गई है। नेपाल मधुबनी के जयनगर में कमला नदी पर भी मरम्म कार्य नहीं करने दे रहा है। यदि इस समस्या का वास्तव में जल्द समाधान नहीं हुआ तो बिहार को इस बार भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि बिहार में बाढ़ का जिम्मेदार नेपाल होगा। 2017 में भी जमीन को लेकर भारत और नेपाल के बीच विवाद पैदा हुआ था। बांध निर्माण के स्थल को नेपाल अपनी जमीन बता रहा था। कई लोगों का ये भी कहना है कि बिहार पहले भी कई बार तटबंध निर्माण को लेकर अड़ंगा लगाता रहा है।