लिरिड्स उत्‍का वर्षा में कुछ इस तरह दिखाई देता है उल्‍का पिंडों से रोशनी पैदा होने का खूबसूरत नज़ारा।
लिरिड्स उत्‍का वर्षा में कुछ इस तरह दिखाई देता है उल्‍का पिंडों से रोशनी पैदा होने का खूबसूरत नज़ारा।

पृथ्‍वी दिवस पर आकाश में दिखेगा लिरिड्स उल्का वर्षा का मनमोहक नज़ारा

भारत में टेली स्‍कोप या दूरबीन के बिना अपनी आंखों से ही देख सकेंगे अनूठी खगोलीय घटना, तारों के टूटने जैसा होगा दृश्‍य
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22 अप्रैल को भारत सहित सारी दुनिया में पृथ्‍वी दिवस यानी Earth Day मनाया जाएगा। इस दिन धरती पर बढ़ते प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, ग्‍लोबल वॉर्मिंग और बढ़ते जल संकट के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। पर, इस लेख में जो हम आपको बताने जा रहे हैं, वह इस सबसे एकदम हटकर कुछ खास है। जी हां, इस दिन एक बेहद खास खगोलीय घटना होने जा रही है। अच्‍छी बात यह है कि कुदरत के इस अद्भुत नज़ारे को हम भारत में भी देख सकते हैं। हम बात कर रहे हैं 22 अप्रैल की रात आसमान में दिखाई देने वाले रोशनी के एक मनमोहक नज़ारे की, जो लिरिड्स उल्का वर्षा (Lyrids Meteor Shower) के कारण दिखाई देने वाला है। 

लिरिड्स उल्का वर्षा वैसे तो हर साल अप्रैल में होने वाली एक प्रमुख खगोलीय घटना है, जो उत्तरी गोलार्ध में दिखाई देती है।​ पर, खासबात यह है कि इस बार इसे भारत में भी काफी स्‍पष्‍ट और नंगी आंखों से देखा जा सकता है। NASA के अनुसार, यह उल्का बारिश 19 अप्रैल से शुरू हो जाएगी जब आसमान में रात के अंधरे में उल्का गिरतीं देखी जा सकेंगी। लेकिन यह शुरुआती दौर में धीमी रहेगी। फिर 21, 22 अप्रैल को यह अपने चरम पर होगी। 22 अप्रैल को सबसे ज्यादा उल्काएं गिरती देखी जा सकेंगी।

क्‍या है लिरिड्स उल्का वर्षा

लिरिड्स उल्का वर्षा दरअसल धूमकेतुओं के धरती के करीब से गुजरने की घटना है, जिसमें इन खगोलीय पिंडों की रोशनी दिखाई देती है। सूर्य का चक्‍कर लगाती पृथ्‍वी हर साल अप्रैल के महीने में (16 से 25 अप्रैल) जब अपनी कक्षा में एक ऐसे स्‍थान से गुज़रती है, जहां लाखों साल पहले Thatcher (C/1861 G1) नाम का धूमकेतु टूटकर अपने टुकड़े छोड़ गया था। धरती के पास आने पर धूमकेतु के यह टुकड़े पृथ्‍वी के गुरुत्‍वाकर्षण से आकर्षित होकर पृथ्‍वी पर गिरना शुरू हो जाते हैं। पृथ्‍वी के वायुमंडल में पहुंचने पर हवा के साथ घर्षण के कारण इनसे तेज प्रकाश उत्‍पन्‍न होता है, जो रोशनी की एक लकीर के रूप में हमें दिखाई देता है। इसलिए आमतौर पर लोग इसे टूटा तारा यानी किसी तारे के नष्‍ट होने की घटना समझते हैं। इसमें डरने या चिंता करने की कोई बात नहीं, क्‍योंकि धरती की सतह तक पहुंचने से काफी पहले ही ये पिंड पूरी तरह जलकर राख हो जाते हैं। इनका आकार इतना बड़ा नहीं होता कि यह वायुमंडल को पार कर धरती तक पहुंच सकें। इस उल्का वर्षा के दौरान प्रति घंटे 15 से 20 उल्काएं (औसतन 18 उल्काएं प्रति घंटा) आकाश में रोशनी की लंबी लकीर के रूप में जलकर नष्‍ट होती दिखाई देती हैं। यह खगोलीय घटना केवल धरती के उत्तरी गोलार्ध में ही दिखाई देती है। भारत के भी इसी गोलार्ध में स्थित होने के कारण यह हमारे देश में भी दिखाई देती है। धरती की स्थिति के कारण इस बार इसे भारत में काफी स्‍पष्‍ट रूप से बिना किसी दूरबीन या टेलीस्‍कोप की मदद के देखा जा सकेगा।  

लिरिड्स का इतिहास 

इस अनूठी आकाशीय घटना का गवाह इंसान सदियों से बनता आया है। दूरबीन, टेलीस्‍कोप और सेटेलाइट्स के आविष्‍कार से करीब ढाई हज़ार साल पहले से इसे मनुष्‍यों द्वारा देख जा रहा है। लिरिड्स उल्का वर्षा का पहला उल्लेख 687 ईसा पूर्व (687 BCE) के चीन के अभिलेखों में मिलता है, जो इसे सबसे पुरानी ज्ञात उल्का वर्षाओं में से एक बनाता है। चीनी शासक झोउ डाइ वांग के समय के इस प्राचीनतम उल्‍लेख में लिखा गया कि: "सितारे आकाश से बरसते दिखे, जैसे बारिश हो रही हो।" इससे पता चलता है कि उस समय इसे एक खगोलीय चेतावनी (astronomical omen) की तरह देखा गया था। ऐतिहासिक उल्‍लेखों के मुताबिक प्राचीन चीनियों ने इसे Tian Lei यानी '’आकाश रो रहा है" के रूप में देखा था। मध्यकालीन कोरिया और जापान के खगोलीय पांडुलिपियों में हर अप्रैल में 'सितारों की वर्षा' के रूप में लिरिड्स का उल्लेख मिलता है। कोरियन इतिहास में इसे ‘Byeol-bi’ (तारों की बारिश) कहा गया है।

क्‍या है खासियत

Thatcher धूमकेतु के मलबे से उत्पन्न लिरिड्स शावर में गिरने वाली उल्‍काएं उज्ज्वल उल्काओं की श्रेणी में आती हैं। इसलिए यह उल्‍काएं इनमें से कई एक लंबी चमकदार ट्रेल (trail) छोड़ती हैं, जो कुछ सेकंड तक बनी रहती है। कभी-कभी यह उल्का वर्षा काफी चमकीले "फायरबॉल्स" उत्पन्न करती है, जो आकाश में कई सेकंड तक चमकीली रोशनी  के रूप में चलते हुए दिखाई देती हैं। लिरिड्स का रेडिएंट पॉइंट नक्षत्र Lyra में स्थित होता है। यह उल्काएं अकसर लगभग 49 किलोमीटर प्रति सेकंड की तेज गति से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती हैं। लिरिड्स की उल्काएं पृथ्वी के वायुमंडल में लगभग 90 से 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर जलती हैं। अन्य उल्काओं की तुलना में यह ऊंचाई थोड़ी अधिक होती है, जिससे इनकी चमक कुछ ज्‍यादा देर तक बनी रहती है। हर साल Lyrids Meteor Shower के Peak Hours में औसतन 15–20 उल्काएं प्रति घंटे देखी जाती हैं। हालांकि कभी-कभी किसी साल यह दर 100 प्रति घंटे तक भी पहुंच सकती है, जिसे Lyrid outburst कहते हैं। यह घटना आखिरी बार जैसे 1982 में देखी गई थी। अमेरिकी स्‍पेस एजेंसी NASA के रिकॉर्ड्स में लिरिड्स की सबसे ज्यादा गतिविधि 1922, 1945 और 1982 में दर्ज की गई थी। इस वर्ष लिरिड्स वर्षा में अमेरिका के कुछ हिस्सों में 90 से 100 उल्काएं प्रति घंटे देखी गई थीं। इसके अलावा 1945 और 1922 में भी कुछ असामान्य तेज गतिविधियां रिकॉर्ड की गईं, हालाँकि तब वैज्ञानिक उपकरण सीमित थे। यह उल्का वर्षा बहुत लंबे समय तक नहीं चलती। हर साल इसका पीक केवल 6 से 12 घंटे में खत्म हो जाता है। इसलिए "Brief but Bright Meteor Shower" भी कहा जाता है। लिरिड्स उल्‍का वर्षा को जन्‍म देने वाला Thatcher धूमकेतु (C/1861 G1) को पिछली बार 1861 में देखा गया था। इसके बाद से यह धरती से दिखाई नहीं दिया है, क्योंकि इसका परिक्रमण काल 415 वर्ष है। ऐसे में इसके अगली बार सन् 2276 में दिखने की संभावना है।

देखने का सबसे बेहतर समय

इस बार लिरिड्स उल्का वर्षा को देखने का सर्वोत्तम समय 21-22 अप्रैल की रात यानी 21 अप्रैल की रात से 22 अप्रैल की सुबह तक है। वैसे तो इस उल्‍का वर्षा का समय रात 10.30 बजे से ही शुरू हो जाएगा, पर भारत में रात 11:30 बजे से यह बेहतर ढंग से दिखना शुरू हो जाएगा। हालांकि इसे देखने का Peak Time 22 अप्रैल की मध्‍य रात्रि 1:00 बजे से तड़के 4:00 बजे तक का रहेगा। क्‍योंकि, इस समय चंद्रमा क्षीण होगा और उसकी रोशनी कम रहेगी, जिससे आकाश अंधेरा रहेगा, जिसमें उल्का वर्षा के नज़ारे को काफी साफ तौर पर देखा जा सकेगा। 

कैसे देखें, क्‍या करें तैयारी

लिरिड्स उल्का वर्षा को बेहतर ढंग से देखने के लिए 22 अप्रैल की रात 11:30 बजे और उसके बाद आकाश में उत्तर-पूर्व दिशा में देखें, जहां नक्षत्र Lyra स्थित है। बढ़ते वायुप्रदूषण और हवा में धूल व धएं के कारण घने शहरी इलाकों में इसे देखने में परेशानी हो सकती है। इसलिए बेहतर होगा कि इस अद्भुत नज़ारे को देखने के लिए शहर की रोशनी से दूर किसी अंधेरे और खुले स्थान पर चले जाएं। हमारी आंखों को घने अंधेरे के साथ तालमेल बैठाने में कुछ वक्‍त लगता है। इसलिए आंखों को अंधेरे में समायोजित होने के लिए कम से कम 20-30 मिनट का समय दें। इस दौरान मोबाइल, कंप्‍यूटर स्‍क्रीन के इस्‍तेमाल या रोशनी से दूर रहें। लिरिड्स उल्का वर्षा को देखने के लिए आपकी आंखें ही पर्याप्‍त हैं, पर ज्‍यादा स्‍पष्‍ट देखने के लिए आप दूरबीन या टेलीस्कोप का सहारा ले सकते हैं। ध्‍यान रखें, धरती से लाखों किलोमीटर दूर घटित होने वाली इस तरह की खगोलीय घटनाएं एकदम से और बहुत स्‍पष्‍ट रूप से दिखाई नहीं देतीं। इन्‍हें देखने के लिए धैर्य जरूरी है। एक बार आपकी नज़रें सही दिशा में टिकने अंधेरे के साथ आंखों का सामंजस्‍य बैठने के बाद आपको यह आनंददायक नज़ारा अच्‍छी तरह दिखाई देने लगेगा। रोशनी की बारिश जैसा यह दृश्‍य तकरीबन रात भर चलेगा। इसलिए पूरी तैयारी के साथ चेयर और चादर/ कंबल और पानी वगैरह अपने साथ रखें और आराम से आकाश तले बैठ कर घंटों तक इस मनोरम दृष्‍य का आनंद लें। यह घटना पूरे लगभग भारत में समान रूप से दिखाई देगी। हालांकी स्थानीय मौसम और वायु प्रदूषण व प्रकाश प्रदूषण (air and light pollution) के कारण दृश्यता (Visibility) में अंतर हो सकता है।

फोटोग्राफी के लिए सुझाव

लिरिड्स उल्का वर्षा की घटना धरती से सैकड़ों किलोमीटर दूर उल्‍का पिंडों के टूटने से घटित होती है। उल्‍काओं के जलने की घटना 90 से 100 किलोमीटर की दूरी पर होती है। इसलिए इसकी फोटोग्राफी के लिए कुछ खास कैमरा सेटिंग्स की जरूरत होती है। इसके लिए ज्‍यादा एक्सपोज़र और ऊंची ISO सेटिंग्स का इस्‍तेमाल करें। तस्‍वीरों और वीडियो में स्थिरता के लिए कैमरे को हाथों में पकड़ने के बजाय गिंबल या ट्राइपॉड का इस्‍तेमाल करें। कैमरा ट्राइपॉड पर लगाना सबसे बेहतर रहेगा। बिल्‍कुल स्‍पष्‍ट तस्‍वीरों के लिए अच्‍छी रेंज वाले ज़ूम लेंस साथ रखें और फोटोग्राफी/वीडियोग्राफी के लिए रोशनी और प्रदूषण से दूर किसी साफ-सुथरी हवा वाले स्थान का चुनाव करें।

भारत के प्रमुख शहरों में Lyrids उल्का वर्षा देखने का समय और दिशा

शहर

देखने का सर्वोत्तम समय (IST)

दिशा (Radiant Point)

मौसम पूर्वानुमान (21 अप्रैल)

लखनऊ

रात 10:30 बजे से सुबह 4:00 बजे तक

उत्तर-पूर्व (Lyra नक्षत्र)

धुंधली धूप और कम आर्द्रता, अधिकतम 40°C, न्यूनतम 26°C

दिल्ली

रात 10:30 बजे से सुबह 4:00 बजे तक

उत्तर-पूर्व (Lyra नक्षत्र)

अधिकांशतः धूप और बहुत गर्म, अधिकतम 40°C, न्यूनतम 24°C

मुंबई

रात 10:30 बजे से सुबह 4:00 बजे तक

उत्तर-पूर्व (Lyra नक्षत्र)

शानदार धूप, अधिकतम 34°C, न्यूनतम 28°C

चेन्नई

रात 10:30 बजे से सुबह 4:00 बजे तक

उत्तर-पूर्व (Lyra नक्षत्र)

बहुत गर्म और धूप, अधिकतम 39°C, न्यूनतम 27°C

कोलकाता

रात 10:30 बजे से सुबह 4:00 बजे तक

उत्तर-पूर्व (Lyra नक्षत्र)

अधिकांशतः धूप, बहुत गर्म और आर्द्र, अधिकतम 36°C, न्यूनतम 27°C

बेंगलुरु

रात 10:30 बजे से सुबह 4:00 बजे तक

उत्तर-पूर्व (Lyra नक्षत्र)

अधिकांशतः धूप, अधिकतम 34°C, न्यूनतम 22°C

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