अक्षय तृतीया पर बढ़ाएं अक्षय ऊर्जा की ओर कदम, लें ‘अक्षय संकल्प’
आज अक्षय तृतीया है, जिसे हिन्दू पंचांग में एक ऐसा दिन माना जाता है जो बिना मुहूर्त देखे कोई भी शुभ कार्य या खरीदारी की जा सकती है। यह दिन समृद्धि, सतत विकास और नई शुरुआत करने के लिए शुभ माना जाता है। इसी भावना को आगे बढ़ाते हुए क्यों न इस अक्षय तृतीया को हम अक्षय ऊर्जा यानी रिन्युएबल एनर्जी अपनाने का संकल्प लें? हमारे इस कदम से हमारा बिजली और ऊर्जा संबंधी जरूरतों पर खर्च तो बचेगा ही, साथ में ऐसा करके हम पर्यावरण के संरक्षण और ग्लोबल वॉर्मिंग जैसी विकराल होती समस्या के समाधान में अपने स्तर पर योगदान भी दे सकेंगे। तो हुआ न ये अक्षय तृतीया पर एक शुभारंभ!
जीवाश्म ईंधन से हो रहा नुकसान
आज की तारीख में दुनिया भर में अधिकांश ऊर्जा जरूरतें कोयला, पेट्रोल और डीज़ल जैसे जीवाश्म ईंधनों से पूरी की जा रही हैं। इन ईंधनों के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड और ग्रीनहाउस गैसें उत्सर्जित होती हैं, जो पृथ्वी के तापमान को बढ़ा रही हैं। इसका नतीजा अमें इन समस्याओं के रूप में देखने को मिल रह है :
ग्लोबल वार्मिंग बड़ी ही तेजी से बढ़ती जा रही है।
ग्लेशियर पिघल रहे हैं, जिससे सागरों का जलस्तर बढ़ रहा है।
जलवायु परिवर्तन के कारण चरम मौसमी घटनाएं (Extreme weather events), सूखा, बाढ़ और चक्रवात जैसी आपदाएं बढ़ रही हैं।
वायु प्रदूषण का हमारी सेहत पर काफी बुरा असर पड़ रहा है। दुनिया के कई शहरों की हवा तो सांस लेने लायक भी नहीं रह गई है।
रिन्युएबल एनर्जी: एक अक्षय समाधान
रिन्युएबल एनर्जी यानी सौर, पवन, जल, बायोमास और जियोथर्मल ऊर्जा ऐसे स्रोत हैं जो कभी खत्म नहीं होते। इनके उपयोग से न केवल पर्यावरण की रक्षा होती है, बल्कि दीर्घकालीन आर्थिक लाभ भी मिलते हैं। अक्षय ऊर्जा:
यह प्रदूषण मुक्त होती है।
स्थायी होती है और स्थानीय स्तर पर उपलब्ध होती है।
जीवाश्म ईंधनों पर हमारी निर्भरता को घटाती है।
ऊर्जा सुरक्षा देने के साथ ही यह रोजगार के नए अवसर प्रदान कर रही है।
हम रिन्युएबल एनर्जी को कैसे अपना सकते हैं?
घरों की छतों पर सोलर पैनल लगवाएं, छोटी पवन चक्की भी लगा सकते हैं।
LED बल्ब और ऊर्जा दक्ष उपकरण अपनाएं।
BLDC मोटर वाले पंखे लगाएं जो 25 से 35 वाट तक के होते हैं।
इलेक्ट्रिक वाहन (EV) और सोलर चार्जिंग स्टेशन का प्रयोग करें।
सौर हीटर और एनर्जी एफिशिएंट इंडक्शन कुकिंग अपनाएं।
पवन ऊर्जा का उपयोग ग्रामीण या तटीय क्षेत्रों में बढ़ाएं।
अपने घरों की डिजाइनिंग में नेचुरल लाइट और हवा देने वाले ग्रीन बिल्डिंग के कॉन्सेप्ट को अपनाएं।
रिन्युएबल एनर्जी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
सौर ऊर्जा का मात्र 0.01% भी यदि पृथ्वी पर इस्तेमाल हो जाए, तो पूरी दुनिया की साल भर की ऊर्जा जरूरतें पूरी हो सकती हैं (Source: National Renewable Energy Laboratory – NREL).
फोटोवोल्टिक (PV) सेल्स की दक्षता (Efficiency) लगातार बढ़ रही है – पेरोव्स्काइट सोलर सेल्स की प्रयोगशाला दक्षता अब 32% से अधिक तक पहुंच गई है, जबकि पारंपरिक सिलिकॉन आधारित सेल्स 22% के करीब हैं।
पवन टर्बाइन की ब्लेड लंबाई में 1970 के दशक की तुलना में 500% तक वृद्धि हुई है, जिससे अब एक टर्बाइन हजारों घरों को बिजली दे सकती है (Source: IEA).
जर्मनी ने 2022 में अपने ग्रिड की 46% ऊर्जा रिन्युएबल स्रोतों से पूरी की, और कुछ दिनों में तो 100% से भी अधिक (ओवरसप्लाई) उत्पन्न कर ली थी।
बायोमास से बनी ऊर्जा, ग्रीनहाउस गैसों में 90% तक की कटौती कर सकती है, बशर्ते उसका सही और स्थायी दोहन हो (Source: IPCC, Bioenergy Report).
जियोथर्मल एनर्जी एकमात्र ऐसी रिन्युएबल टेक्नोलॉजी है जो 24x7 बिजली सप्लाई कर सकती है, बिना मौसम पर निर्भर हुए। आइसलैंड में इसका 85% घरेलू उपयोग होता है।
सोलर एनर्जी टेक्नोलॉजी में 'एग्ज़िटॉनिक मटीरियल' पर हो रहा शोध भविष्य में अंधेरे में भी सौर ऊर्जा संग्रह की संभावना पैदा कर सकता है।
समुद्री ज्वार और लहरों से ऊर्जा उत्पादन (Tidal and Wave Energy) का पोटेंशियल वैश्विक स्तर पर 2,000 TWh/साल तक आंका गया है – यह भारत की सालाना ऊर्जा जरूरत से भी ज़्यादा है।
कृत्रिम प्रकाश में भी ऊर्जा संग्रह करने वाले PV सिस्टम विकसित हो रहे हैं, जो इंडोर लाइटिंग से ऊर्जा बना सकते हैं – इससे मोबाइल और IoT डिवाइस चार्जिंग की नई दिशा खुलेगी।
भारत का लक्ष्य है कि वह 2030 तक 500 GW रिन्युएबल एनर्जी उत्पादन क्षमता हासिल कर ले, जो विश्व के सबसे बड़े अक्षय ऊर्जा कार्यक्रमों में से एक है।
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, रिन्युएबल एनर्जी सेक्टर में 2022 तक 1.3 करोड़ नौकरियाँ थीं, जो 2030 तक 3 करोड़ से अधिक हो सकती हैं।
ऊर्जा भंडारण (Energy Storage) की दिशा में भी प्रगति हो रही है – अब लिथियम-सल्फर और फ्लो बैटरियों पर शोध हो रहा है, जो लिथियम-आयन से अधिक सुरक्षित और सस्ती होंगी।
भारत में अक्षय ऊर्जा की प्रगति
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा अक्षय ऊर्जा उत्पादक देश है, जो केवल चीन और अमेरिका के बाद आता है (Source: REN21 Renewables Global Status Report 2023).
भारत की कुल स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता मार्च 2025 तक 180 गीगावाट (GW) के करीब पहुंच चुकी है, जिसमें सौर, पवन, जलविद्युत और बायोमास शामिल हैं (MNRE data).
सौर ऊर्जा भारत की सबसे तेजी से बढ़ती रिन्युएबल टेक्नोलॉजी है—2022-24 के दौरान भारत में हर दिन औसतन 50 मेगावाट सोलर इंस्टॉलेशन हुआ।
राजस्थान भारत का सबसे बड़ा सोलर एनर्जी उत्पादक राज्य है, जिसकी सौर ऊर्जा क्षमता 20 GW से अधिक है।
तमिलनाडु पवन ऊर्जा उत्पादन में अग्रणी है, जिसकी क्षमता 10 GW से भी ऊपर है और यह भारत के कुल पवन उत्पादन का लगभग 25% अकेले उत्पन्न करता है।
लद्दाख में दुनिया की सबसे बड़ी 10 GW की रिन्युएबल एनर्जी परियोजना की योजना चल रही है, जिसमें सौर और पवन ऊर्जा दोनों शामिल होंगी।
भारत सरकार की ‘कुसुम योजना’ (KUSUM Scheme) के तहत लाखों किसानों को सोलर पंप से सिंचाई का विकल्प मिला है, जिससे डीज़ल की खपत घटी है और ऊर्जा लागत बची है।
राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत भारत 2030 तक प्रति वर्ष 5 मिलियन मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य लेकर चल रहा है।
इंटरनेशनल सोलर एलायंस (ISA) का मुख्यालय भारत में है, जो 110 से अधिक देशों को सोलर एनर्जी के क्षेत्र में सहयोग के लिए जोड़ता है—यह भारत की वैश्विक नेतृत्व भूमिका को दर्शाता है।
भारत ने COP26 में घोषणा की थी कि वह 2030 तक अपनी कुल ऊर्जा का 50% रिन्युएबल स्रोतों से प्राप्त करेगा, और नेट ज़ीरो एमिशन लक्ष्य 2070 तय किया है।
अक्षय तृतीया को बनाएं ‘अक्षय संकल्प’ का दिन
अक्षय तृतीया हमारे लिए केवल सोना-चांदी खरीदने का दिन न रहे। अपनी परंपराओं को निभाने के साथ ही यह भविष्य को बचाने के ‘अक्षय संकल्प’ का दिन भी बने। इस प्रकार इस शुभ दिन पर "अक्षय ऊर्जा के अक्षय संकल्प" के साथ हम अपने जीवन और प्रकृति दोनों को समृद्ध बना सकते हैं। आइए, आज से हम अक्षय ऊर्जा की ओर कदम बढ़ाएं। सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि अपनी आने वाली पीढ़ियों की भलाई के लिए, उन्हें एक बेहतर दुनिया देने के लिए।