राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ‘पर्यावरण-2025’ पर राष्ट्रीय सम्मेलन को किया संबोधित
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आदिवासियों के जीवन से सीखें पर्यावरण की रक्षा करना : राष्ट्रपति मुर्मू 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पर्यावरण बचाने के लिए आदिवासी जीवनशैली से प्रेरणा लेने की अपील की। जानिए 'पर्यावरण पर राष्ट्रीय सम्मेलन 2025' में क्या बोले राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति। पढ़ें पूरा लेख!
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दिल्‍ली में संपन्न हुआ पर्यावरण पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन 2025

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लोगों से अपील की है कि वह पर्यावरण के प्रति जागरूक होकर पर्यावरण हितैषी जीवन-शैली को अपनाएं। राष्‍ट्रपति ने पर्यावरण को बचाने के लिए देश वासियों को आदिवासी समाज के प्रकृति प्रेम और उनकी पर्यावरण आधारित जीवन-शैली से प्रेरणा लेने की अपील की।

देश की राजधानी नई दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) की ओर से 29 और 30 मार्च को आयोजित दो दिवसीय  “पर्यावरण पर राष्ट्रीय सम्मेलन 2025” का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भावी पीढ़ियों को स्वच्छ पर्यावरण की विरासत देना हमारा नैतिक कर्तव्य है। इससे न केवल हम प्रकृति की सुरक्षा सुनिश्चित कर पाएंगे, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को ज्यादा जीवंत और टिकाऊ बना पाएंगे। 

शोषण नहीं, पोषण पर टिकी भारतीय संस्‍कृति

आमजन को पर्यावरण संरक्षण को लेकर गंभीर होने की जरूरत पर जोर देते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि भारतीय संस्कृति की विरासत 'पोषण है, शोषण नहीं। संरक्षण है, उन्मूलन नहीं। अपने इस सांस्कृतिक मूल्‍य को ध्यान में रखते हुए ही हमें एक विकसित भारत के निर्माण की ओर कदम बढ़ाना चाहिए।' 

प्रकृति के साथ सामंजस्य बैठाना जरूरी

राष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपने देश के आदिवासी समाज की प्रकृति और पर्यावरण प्रेमी जीवन-शैली से प्रेरणा लेनी चाहिए। आदिवासी समुदाय के लोग सदियों से प्रकृति के साथ सामंजस्य बैठा कर अपना जीवन बिताते आए हैं। वह अपने जीवन के हर पहलू में अपने आसपास के पर्यावरण, पौधों और जानवरों का ख्याल रखते हैं। राष्ट्रपति ने कहा, आज जब पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन की समस्या को लेकर चिंतित है और उसे हल करने के उपाय तलाश कर रही है, ऐसे में आदिवासी समुदाय की जीवन-शैली हमारे लिए और भी अनुकरणीय हो जाती है।

इको-फ्रेंडली जीवन-शैली अपनाएं 

राष्ट्रपति ने लोगों से पर्यावरण के प्रति जागरूक होने और इको-फ्रेंडली जीवन-शैली अपनाने को कहा, ताकि पर्यावरण को न केवल संरक्षित किया जा सके, बल्कि इसे और बेहतर व जीवंत बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि भारत सहित पूरे विश्व को पर्यावरण के अनुकूल मार्ग पर चलना होगा। ऐसा करने पर ही मानवता वास्तव में प्रगति कर पाएगी। राष्‍ट्रपति के पूरे भाषण को इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ा जा सकता है। 

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भोपाल गैस त्रासदी देश की सबसे बड़ी पर्यावरणीय लापरवाही : धनखड़ 

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 30 मार्च को सम्मेलन के दूसरे व अंतिम दिन समापन समारोह को संबोधित करते हुए 2 दिसंबर 1984 को हुई भोपाल गैस त्रासदी को देश के इतिहास की सबसे बड़ी पर्यावरणीय लापरवाही बताया। उन्होंने कहा, हमें पीढ़ी दर पीढ़ी पर्यावरण संरक्षण के प्रयास करने होंगे और प्राकृतिक संसाधनों के विवेकपूर्ण ढंग से इस्तेमाल व प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया के विकसित देशों को पर्यावरण के मुद्दों पर पॉलिटिकल बाउंड्रीज से ऊपर उठकर सोचना और प्रयास करना चाहिए। इन देशों को ऐसे मॉडल अपनाने चाहिए, जिनसे सारी दुनिया में पर्यावरण को समृद्ध बनाने की नींव पड़े। आप इस लिंक पर क्लिक करके पर्यावरण पर राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह में 2025 में दिए गए उपराष्‍ट्रपति के भाषण के मुख्य अंश सुन सकते हैं। 

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सम्मेलन में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश विक्रम नाथ, अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी और राष्ट्रीय हरित अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव भी उपस्थित रहे । समापन समारोह में न्यायमूर्ति पी.एस.नरसिम्हा और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी पर्यावरण संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर अपने विचार रखे ।

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