गर्मी में इन 12 देसी ड्रिंक्स से रखें खुद को हाइड्रेट, बचे रहेंगे हीट स्ट्रोक की मार से
गर्मी आते ही बाज़ार में कोल्ड ड्रिंक्स की बिक्री बेतहाशा बढ़ जाती है। तरह-तरह के फ्लेवर्स में मिलने वाले ये सोडे वाले कार्बोनेटेड ड्रिंक्स हमें एक मज़ेदार स्वाद और तुरंत ठंडक का अहसास तो कराते हैं, पर नुकसानदेह चीजों से बने ये शीतल पेय हमारी सेहत के लिए खासे नुकसानदेह भी होते हैं। हाल के वर्षों में इसे लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है। इसके चलते अब बड़ी संख्या में लोग गर्मी में अपना गला तर करने के लिए गन्ने के रस, लस्सी जैसी चीजों को भी आजमाने लगे हैं। हालांकि इनमें भी साफ-सफाई की कमी और मिलावट जैसी समस्याओं की आशंका बनी रहती है। ऐसे में हम आपको कुछ ऐसे देसी कोल्ड ड्रिंक्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जो भीषण गर्मी में हमारे गले और पेट को तरावट देने के साथ ही अच्छा पोषण भी प्रदान करते हैं।
हमारे पूर्वज सदियों तक इन पेयों को पीकर प्रचंड गर्मी का मुकाबला करते रहे, पर बाज़ार में बोतल बंद कोल्ड ड्रिंक्स की दस्तक और प्रचार-प्रसार के दम पर उनके दबदबे के शोर में हमारे ये पारंपरिक भारतीय ड्रिंक्स हाशिए पर चले गए। भारत के पारंपरिक पेयों में जलजीरा, आम का पना, बेल का शर्बत, लस्सी, छांछ, शिकंजी, ठंडाई, कांजी और सत्तू के बारे में तो आप जानते होंगे, पर इनके अलावा पानाकम और कोकम, राबड़ी, सोल कढ़ी, नीरा, सन्नाटा, मजीगा, माकिंवाई सरु, फालसे का शर्बत, छुआरा शर्बत और चिंरौजी शर्बत जैसे कई ऐसे दमदार पेय हैं, जिनके बारे में लोग कम ही जानते हैं। आज हम आपको ऐसे ही कुछ कम मशहूर देसी पेयों की जानकारी देने जा रहे हैं। हम आपको इनके उपयोग, फायदे बताने के साथ ही इन्हें घर पर बनाने की आसान रेसिपी भी बताने जा रहे हैं। तो इस गर्मी अपने घर पर ही इन दर्जन भर देसी कोल्ड ड्रिंक्स का मज़ा लेने के लिए हो जाइए तैयार :
1. पानक / पानाकम (Panakam) – दक्षिण भारत, खासकर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु व केरल में इसे खूब पिया जाता है। गर्मियों के मौसम में घरों में बनाकर पिए जाने के साथ ही। रामनवमी में लगने वाले भंडारों में भी इसे पिलाया जाता है।
फायदे : शरीर को ठंडक देता है। गर्मी में पर्याप्त हाइड्रेशन प्रदान करता है। शरीर को डिटॉक्स करता है। पाचन को सुधारता है।
सामग्री (2 गिलास के लिए)
गुड़ – 4 बड़े चम्मच
नींबू का रस – 2 चम्मच
काली मिर्च पाउडर – ¼ चम्मच
इलायची पाउडर – ¼ चम्मच
तुलसी पत्ते – 4–5
पानी – 2 गिलास
बनाने की विधि : गुड़ को पानी में घोलें जब तक वह पूरी तरह घुल न जाए। बाकी सभी सामग्री डालकर अच्छी तरह मिलाएं। छानकर ठंडा करें और सर्व करें।
2. कोकम शर्बत – महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक का कोंकण क्षेत्र में यह ड्रिंक काफी लोकप्रिय है। इसे गर्मियों में भोजन के साथ या प्यास बुझाने के लिए पिया जाता है।
फायदे : लिवर को डिटॉक्स करता है। अपच व गैस जैसी पेट की समस्याओं से भी राहत दिलाता है। गले और पेट को ठंडक पहुंचाता है।
सामग्री :
कोकम सूखा हुआ – 10–12 टुकड़े
चीनी – 5 चम्मच
भुना जीरा पाउडर – ½ चम्मच
काला नमक – स्वाद अनुसार
ठंडा पानी – 2 गिलास
विधि : कोकम को थोड़े पानी में 1 घंटे भिगोकर उसका रस निकाल लें। उसमें चीनी, जीरा, नमक मिलाएं और ठंडा पानी मिलाकर छान लें। बर्फ डालकर ठंडा-ठंडा सर्व करें।
3. राबड़ी / राब (Raab) – राजस्थान व गुजरात जैसे प्रचंड और शुष्क गर्मी वाले राज्यों के रेगिस्तानी इलाकों में यह देसी पेय प्रचलित है। इसे गर्मी में शरीर को हाइड्रेशन देने के साथ ही हल्की भूख मिटाने के लिए भी पिया जाता है।
फायदे : शरीर को ठंडा रखता है। पोषण से भरपूर होता है। बाजरे के मोटे आटे से बना होने के कारण यह ड्रिंक भूख मिटाने और पेट साफ रखने में भी मददगार होता है।
सामग्री :
बाजरे का आटा – 2 चम्मच
छाछ – 2 गिलास
हींग – चुटकी भर
जीरा पाउडर – ½ चम्मच
नमक – स्वादानुसार
विधि : बाजरे के आटे को थोड़ा पानी डालकर घोलें। इसमें छाछ, हींग और नमक मिलाएं। धीमी आंच पर 10–15 मिनट तक पकाएं जब तक थोड़ा गाढ़ा न हो जाए। ठंडा करके सर्व करें।
4. सोलकढ़ी – महाराष्ट्र व गोवा के कोंकण तटीय क्षेत्र में यह काफी लोकप्रिय ड्रिंक है। इसे भोजन के बाद बेहतर आजमें की तरह पिया जाता है, जिस तरह गुजरात में खाने के साथ छांछ ली जाती है।
फायदे : यह ड्रिंक एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। पेट की गर्मी को कम करता है और पाचन को भी सुधारता है।
सामग्री:
कोकम – 5–6 टुकड़े
नारियल का दूध – 1 गिलास
लहसुन की कलियां – 2
हरी मिर्च – 1
नमक – स्वाद अनुसार
धनिया और करी पत्ता – सजावट के लिए
विधि: कोकम को पानी में 30 मिनट भिगोकर उसका अर्क निकालें। नारियल दूध में लहसुन-मिर्च का पेस्ट मिलाएं। कोकम का रस मिलाकर नमक डालें। बर्फ डालकर ठंडा सर्व करें।
5. नीरा – यह ताड़ी के पेड़ों से ताजा निकाला गया ताजा रस होता है, जिसे दक्षिण भारत और महाराष्ट्र व कर्नाटक में काफी चाव से पिया जाता है। नीरा की खास बात यह है कि इसे सुबह-सुबह यानी ताजा होने पर ही पिया जाता है। वर्ना धूप लगने के बाद फर्मंटेशन होने के चलते इसमें एल्कोहल बनने से यह नशीला हो जाता है। तब यह शराब की तरह नशे का काम करता है।
फायदे : इलेक्ट्रोलाइट्स और मिनरल्स का यह एक अच्छा स्रोत है। साथ ही यह एनर्जी बूस्टर का भी काम करता है। नीरा किडनी के लिए भी काफी लाभकारी होता है।
विधि: यह रस सीधे पाम या ताड़ के पेड़ से निकाला जाता है। इसे घर में तैयार नहीं किया जा सकता, पर ताजगी में इसका कोई जवाब नहीं। नीरा को 12 घंटे के भीतर पीना चाहिए, वरना यह फर्मेंटेड होकर ताड़ी (एल्कोहलिक ड्रिंक) बन जाती है।
6. मजीगा / माजिगु – इसे आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सहित दक्षिण भारत के राज्यों में छांछ की तरह पिया जाता है। इसे भोजन के साथ या गर्मी से राहत के लिए अलग से भी पिया जाता है।
फायदे : पेट को ठंडक देता है। एसिडिटी कम करता है और हाजमा बेहतर बनाता है। शरीर की इम्यूनिटी को भी बढ़ाता है।
सामग्री :
छाछ – 2 गिलास
अदरक – 1 छोटा टुकड़ा
हरी मिर्च – 1
करी पत्ता – 4–5
नमक – स्वाद अनुसार
विधि : अदरक, मिर्च और करी पत्ते को मिक्सी में दरदरा पीस लें। इसे छाछ में मिलाएं और नमक डालें। अच्छे से मिक्स करें और ठंडा पिएं।
7. आम रसांम / माविंकाई सरु – यह कर्नाटक का एक खास पेय है। इसे खासतौर पर गर्मियों में भोजन के साथ लिया जाता है। साथ ही इसे अलग से एक खट्टे-मीठे ड्रिंक के तौर पर भी पिया जाता है।
फायदे : शरीर को लू से बचाता है। पाचन में सहायक होता है। साथ ही यह शरीर के लिए विटामिन C का एक अच्छा स्रोत है।
सामग्री :
कच्चा आम – 1
इमली – 1 छोटा टुकड़ा
राई, करी पत्ता, हींग – तड़का के लिए
नमक, हल्दी – स्वाद अनुसार
पानी – 2 कप
विधि : आम को उबालकर उसका गूदा निकाल लें। इमली को भी भिगोकर उसका रस निकाल लें। दोनों को मिलाकर नमक और हल्दी डालें। ऊपर से राई, हींग और करी पत्ते का तड़का दें। गर्म या ठंडा दोनों तरह से परोसा जा सकता है।
8. फालसे का शर्बत – यह फायदेमंद और नेचुरल ड्रिंक उत्तर भारत के ज्यादा गर्मी वाले इलाकों में लोकप्रिय है। आमतौर पर इसे उमस भरी गर्मी की दोपहर में शरीर को ठंडा रखने और एनर्जी देने के लिए पिया जाता है।
फायदे : खून साफ करता है। कई तरह के विटामिन प्रदान करता है। त्वचा की जलन कम करता है। पाचन में भी सहायक होता है।
सामग्री :
फालसे – 1 कप
चीनी – 4 चम्मच
काला नमक – स्वाद अनुसार
पानी – 2 गिलास
विधि : फालसे को मैश करके छान लें। उसमें चीनी और नमक मिलाएं। पानी मिलाकर बर्फ डालें और ठंडा पिएं।
9. छुआरा शर्बत – पंजाब / राजस्थान
उत्पत्ति: पारंपरिक ताकत देने वाला ड्रिंक
कब पिया जाता है: गर्मी में ऊर्जा के लिए
फायदे : यह ड्रिंक शरीर को तुरंत ऊर्जा देता है। थकावट मिटा कर ताकत देता है। यह आयरन और मिनरल्स से भरपूर होता है।
सामग्री :
सूखा खजूर (छुआरा) – 5–6
दूध – 1 गिलास
इलायची – 1
गुलाब जल – 1 चम्मच (वैकल्पिक)
विधि :छुआरे को रातभर भिगोकर अगली सुबह पीस लें। दूध में डालें, इलायची मिलाएं। थोड़ी देर ठंडा करें और पिएं।
10. चिरौंजी शर्बत – यह शर्बत उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके सहित मध्य भारत का एक पारंपरिक पेय और खासा लोकप्रिय पेय है। हालांकि अब चिरौंजी के दाम आसमान छूने के चलते इसका प्रचलन कम हो गया है। इसे प्रचंड गर्मियों में शरीर को ठंडा रखने और ऊर्जा के लिए पीने की परंपरा रही है।
फायदे : चिरौंजी का शर्बत न सिर्फ स्वादिष्ट होता है, बल्कि इसका सेवन गर्मी में शरीर को ठंडक और ताकत दोनों देता है। यह त्वचा के लिए भी लाभकारी होता है। साथ ही अपनी न्यूट्रिशनल वैल्यू के कारण यह हाई प्रोटीन और हेल्दी फैट का भी एक अच्छा स्रोत माना जाता है।
सामग्री :
चिरौंजी (Charoli seeds) – 2 बड़े चम्मच
दूध – 1 गिलास
गुलाब जल – 1 चम्मच
इलायची पाउडर – ¼ चम्मच
मिश्री / शहद – स्वाद अनुसार
बर्फ के टुकड़े – इच्छानुसार
विधि : चिरौंजी को रातभर भिगोकर अगली सुबह छील लें (अगर संभव हो)। मिक्सी में थोड़ा दूध डालकर बारीक पेस्ट बना लें। बाकी दूध में मिलाएं, मिश्री और इलायची डालें। गुलाब जल और बर्फ मिलाकर ठंडा-ठंडा परोसें।
11. कांजी – उत्तर भारत में इसे खासकर उत्तर प्रदेश और पंजाब में काफी चाव से पिया जाता है। कांजी खासतौर पर होली के आस-पास बनाई जाती है। इसे वसंत और गर्मी के आरंभ में पीना पसंद किया जाता है।
फायदे : कांजी प्रोबायोटिक गुणों से भरपूर होती है। फार्मेंटेड ड्रिंक होने के कारण यह पाचन तंत्र को दुरुस्त करती है। साथ ही यह शरीर को डिटॉक्स भी करता है।
सामग्री :
काली गाजर (या सामान्य गाजर) – 1 कप (लंबी कटी हुई)
सरसों पाउडर – 1 चम्मच
हींग – चुटकी भर
काला नमक – स्वाद अनुसार
लाल मिर्च पाउडर – ¼ चम्मच
पानी – 1 लीटर
विधि : एक बर्तन में सभी सामग्री को पानी में मिलाएं। ढककर 3–4 दिन धूप में रखें ताकि यह हल्का फर्मेंट हो जाए। स्वाद चख कर देखें, जब हल्की खटास आ जाए, तो यह पीने के लिए तैयार है। ठंडा करके सर्व करें। आप चाहें तो कांजी में मूंग दाल के कांजी वड़े भी डाल सकते हैं, जिससे यह और मज़ेदार बन जाती है।
12. सन्नाटा - यह यूपी, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान जैसे उत्तर भारत के राज्यों में पिया जाने वाला खट्टी दही का एक ड्रिंक है। यह छांछ के जैसा ही होता है, पर छांछ के मुकाबले काफी ज्यदा खट्टा होता है, क्योंकि इसे छांछ को फर्मेंट करके बनाया जाता है। इसका सबसे ज्यादा प्रचलन उत्तर प्रदेश और मध्य भारत के कुछ ग्रामीण इलाकों में विशेषकर बुंदेलखंड, बांदा, फतेहपुर जैसे क्षेत्रों में देखने को मिलता है। इसे आमतौर पर किसान और मजदूर प्रचंड गर्मियों की दोपहर में या थकान मिटाने के लिए खेतों से लौटने के बाद भोजन के बाद पीते हैं। यह इतना खट्टा होता है कि इसे पीने पर कुछ पल क लिए शरीर दोनों "सन्न" हो जाते हैं। यानी एक शॉक सा लगता है। इसलिए प्यार से इसे "सन्नाटा" कहा जाता है।
फायदे : लू से बचाव, पाचन में सहायक, थकान और गर्मी से राहत, बेहद किफायती और देसी प्रोबायोटिक ड्रिंक।
सामग्री (4 लोगों के लिए):
बहुत खट्टी दही – 1 कप
ठंडा पानी – 3 कप
लहसुन – 2–3 कलियां
हींग – 1 चुटकी
भुना जीरा पाउडर – 1 चम्मच
काली मिर्च – ¼ चम्मच
काला नमक – स्वाद अनुसार
धनिया पत्ता – थोड़ा सा (कटा हुआ)
विधि : खट्टी दही को पानी के साथ अच्छे से मथ लें जब तक झागदार छांछ न बन जाए। लहसुन को सिलबट्टे या मिक्सर में दरदरा पीस लें। एक छोटे पैन में हींग और लहसुन का तड़का लगाएं (इच्छानुसार)। इस तड़के को छांछ में मिलाएं। ऊपर से भुना जीरा, काली मिर्च, नमक और धनिया पत्ता डालें। बर्फ डालें और ‘सन्नाटा’ का मज़ा लें।