जल गुणवत्ता पखवाड़ा : जल गुणवत्ता नियंत्रण उपायों के लिए 15 दिवसीय अभियान
छत्तीसगढ़, जल जीवन मिशन के विजन के लिए प्रतिबद्ध है और यह 2024 तक 'हर घर जल' के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए व्यापक रूप से काम कर रहा है। क्षेत्र स्तर पर हर संभव प्रयास करके, छत्तीसगढ़ सरकार, जेजेएम के प्रत्येक घटक अर्थात पानी की गुणवत्ता की पर्यवेक्षण और निगरानी (डब्ल्यूक्यूएमएस), डीपीएमयू और एसपीएमयू की स्थापना और विशेषज्ञों की नियुक्ति, केआरसी को नियोजित करने, नियोजित आईएसए के लिए प्रशिक्षण और उन्मुखीकरण, सामुदायिक लामबंदी, निगरानी वास्तुकला की स्थापना और आईओटी आधारित निगरानी प्रणाली का संचालन, और क्षेत्रक भागीदारों के साथ सक्रिय रूप से नियोजन को लागू कर रही है। वित्तीय वर्ष 2021 के प्रारंभ से, मजबूत नेतृत्व और सुशासन के साथ, राज्य ने भागीदारों के लिए अत्यधिक उत्पादक और सहयोगपरक कार्य वातावरण का सफलतापूर्वक सृजन किया है।
जैसा कि सहायक गतिविधि घटक के तहत सामुदायिक लामबंदी के लिए जेजेएम कार्य संबंधी दिशानिर्देशों में सिफारिश की गई थी, एक अनुकूलित सामाजिक व्यवहार परिवर्तन अभियान 'जल गुणवत्ता पखवाड़ा की योजना बनाई गई थी जिसका उद्देश्य 'वाश प्रबुद्ध गांवों को विकसित करना था। यह अभियान पानी के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए जन जागरूकता लाने के साथ-साथ निर्धारित गुणवत्ता के साथ दीर्घकालिक सुनिश्चित जल आपूर्ति प्रदान करने के लिए स्थानीय समुदाय की क्षमता का निर्माण करने पर केन्द्रित था।
पीएचईडी छत्तीसगढ़ ने मानसून के मौसम की शुरूआत पर 1 से 15 जुलाई, 2022 तक एक 15 दिवसीय अभियान चलाया और यूनिसेफ, छत्तीसगढ़ के सहयोग से प्रमुख हितधारकों की सहायता करने के लिए अभियान के सुझावपरक कार्रवाई बिंदु / दिशानिर्देश परिचालित किए। यूनिसेफ की टीम राज्य के हितधारकों के क्षमता निर्माण में भी महत्वपूर्ण रही है।
इस अभियान के माध्यम से पानी की गुणवत्ता, भंडारण, सुरक्षित जल रख-रखाव और प्रबंधन से संबंधित नियंत्रण उपायों के बारे में जागरूकता का प्रसार करने के लिए 1,00,000 जल बहिनियां, 273 पैनल में शामिल आईएसए और 19,000+ वीडब्ल्यूएससी राज्य के 19,676 गांवों में पहुंचेंगी। अभियान के तीन प्रमुख परिकल्पित परिणाम निम्नलिखित हैं;
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आईएसए और जल बहिनियों ने दूषित पानी के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले निम्न प्रभावों पर जोर दिया।
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पानी को बैक्टीरियोलॉजिकल संदूषण से शुद्ध करने हेतु घरेलू उपचार करने के लिए विशेष प्रशिक्षण शुरू किया गया है। चाहे हैंडपंप हो या नल के पानी का कनेक्शन एच2 एस शीशियों के - माध्यम से पानी की गुणवत्ता का परीक्षण करने और क्लोरीन की गोलियों और उबलते पानी के माध्यम से रोगाणुशोधन सुनिश्चित करने का सुझाव दिया जाता है।
सभी 28 जिलों ने इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लेकर जबर्दस्त उत्साह दिखाया है। सुकमा, गरियाबंद, राजनंदगांव और नारायणपुर जैसे जिलों ने स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों और आश्रमशालाओं तक पहुंच कर जलजनित रोगों, दूषित पानी के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों, पानी के सुरक्षित रख-रखाव और भंडारण, पानी की गुणवत्ता और इसके महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए प्रशिक्षण का आयोजन किया है।