PHTHALATE प्रॉडक्ट
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प्लास्टिक में छिपा ज़हर: DEHP से जुड़ी दिल की बीमारियों पर चौंकाने वाला खुलासा

भारत में सबसे ज्यादा असर, लाखों जानों पर मंडरा रहा खतरा — लैंसेट के नए अध्ययन से मिली चेतावनी। रिसर्च DEHP: प्लास्टिक में मौजूद थैलेट्स दिल की बीमारियों से मौतों का कारण, भारत पर गंभीर असर।
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DEHP क्या है?

DEHP यानी डाइ-2-एथिलहेक्सिल थैलेट एक प्रकार का थैलेट (phthalate) रसायन है, जिसका इस्तेमाल प्लास्टिक को लचीला और टिकाऊ बनाने के लिए किया जाता है। यह अक्सर पीवीसी (PVC) आधारित उत्पादों में पाया जाता है — जैसे फर्श की चादरें, पाइप, केबल, खिलौने, पैकेजिंग सामग्री, और कुछ चिकित्सा उपकरण।

यह वही केमिकल है जो खाने के डिब्बे, बच्चों के खिलौने, अस्पताल की IV ट्यूब, और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में भरा होता है। ये धीरे-धीरे टूटता है और छोटे-छोटे प्लास्टिक कणों के साथ हमारे शरीर में पहुंच जाता है। शरीर में घुसने के बाद यह दिल की धमनियों (arteries) में सूजन पैदा करता है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसे गंभीर खतरे बढ़ जाते हैं।

कल्पना कीजिए

आप हर सुबह जिन उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें सुरक्षित मानते हैं। लेकिन क्या हो अगर वही उत्पाद एक "खामोश हत्यारे" को बढ़ावा दें? यही हकीकत है डाइ-2-एथिलहेक्सिल थैलेट यानी DEHP की। यह रसायन कई घरेलू और प्लास्टिक उत्पादों में पाया जाता है।

हाल ही में 'The Lancet eBioMedicine' में प्रकाशित एक अध्ययन ने यह चौंकाने वाला खुलासा किया है कि DEHP के संपर्क में आना दिल की बीमारियों से होने वाली मौतों से जुड़ा है। सबसे ज्यादा असर भारत पर पड़ा है।

लैंसेट अध्ययन के चौंकाने वाले आंकड़े

अमेरिका की NYU लैंगोन हेल्थ यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने 200 से अधिक देशों के मूत्र नमूनों और पर्यावरणीय डेटा का विश्लेषण किया। वर्ष 2018 में, DEHP के संपर्क में आने के कारण वैश्विक स्तर पर अनुमानित 356,238 मृत्यु दर्ज की गईं, जो 55-64 वर्ष की आयु के लोगों में हृदय रोग से होने वाली कुल मौतों का 13.497% था। इनमें से 349,113 मौतें प्लास्टिक के उपयोग से जुड़ी थीं। भौगोलिक असमानताएँ स्पष्ट थीं, जहाँ दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व में DEHP के संपर्क से होने वाली हृदय रोग मौतों का प्रतिशत सबसे अधिक (16.807%) रहा। मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया, पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र ने वैश्विक स्तर पर DEHP से जुड़ी हृदय रोग मौतों का 73.163% योगदान दिया। विश्व स्तर पर, DEHP के कारण 10.473 मिलियन जीवन-वर्ष की हानि (YLL) हुई।

(नोट: YLL = Years of Life Lost, जो अकाल मृत्यु दर को मापने का एक पैमाना है।)

मुख्य निष्कर्ष:

  • DEHP शरीर में जाकर ऑक्सीडेटिव तनाव, सूजन और धमनीकाठिन्य को बढ़ाता है — ये सभी दिल की बीमारियों के बड़े कारण हैं।

  • 2018 में 55 से 64 वर्ष की उम्र के लोगों में हृदय रोग से हुई कुल मौतों का 13.5% हिस्सा DEHP से जुड़ा था।

  • वैश्विक स्तर पर ऐसे 356,238 मौतें दर्ज की गईं। इनमें से 103,587 सिर्फ भारत में हुईं — यानी एक-तिहाई से भी ज्यादा।

  • तुलना करें तो इंडोनेशिया में 52,219 और चीन में 33,858 मौतें हुईं।

  • लगभग 75% मौतें मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया, पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में हुईं।

भारत में बोझ इतना ज़्यादा क्यों?

भारत में DEHP से जुड़ी हृदय रोग मृत्यु दर अन्य देशों की तुलना में अधिक क्यों है? इसके कई कारण हैं:

  1. तेज़ औद्योगिकीकरण: प्लास्टिक का उत्पादन और उपयोग बढ़ा है, लेकिन नियम सख्त नहीं हैं।

  2. खाद्य पैकेजिंग: गर्म या तैलीय खाना प्लास्टिक में रखने पर DEHP रिस सकता है।

  3. पर्यावरणीय प्रदूषण: कचरा प्रबंधन की कमी से यह रसायन हवा, पानी और मिट्टी में फैलता है।

  4. स्वास्थ्य जोखिम पहले से ही अधिक: भारत में पहले से ही हृदय रोगों की दर ऊंची है।

  5. जागरूकता की कमी: आम लोगों और नीति निर्माताओं में इस खतरे को लेकर जानकारी सीमित है।

कैसे असर डालता है DEHP?

DEHP शरीर में जाकर कई तरह से असर डालता है:

  • कोशिकाओं में ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ाता है, जिससे नुकसान होता है।

  • सूजन पैदा करने वाले तत्व बढ़ते हैं, जो दिल की धमनियों को नुकसान पहुंचाते हैं।

  • हार्मोनल असंतुलन पैदा करता है, जिससे मेटाबॉलिक समस्याएं होती हैं।

  • कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड बढ़ाकर दिल की बीमारी की संभावना बढ़ाता है।

विशेषज्ञों की चेतावनी

डॉ. सारा हाइमैन, इस अध्ययन की प्रमुख लेखिका कहती हैं, "हमारे शोध से यह स्पष्ट होता है कि थैलेट्स, खासकर DEHP, दिल की बीमारियों का गंभीर जोखिम बढ़ाते हैं।"

हालांकि कुछ विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि यह अध्ययन मुख्य रूप से अमेरिकी डेटा पर आधारित है और हर क्षेत्र के लिए सटीक अनुमान नहीं दे सकता। बावजूद इसके, यह एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट का संकेत है।

आप क्या कर सकते हैं?

DEHP से पूरी तरह बच पाना मुश्किल हो सकता है, लेकिन इन कदमों से खतरे को कम किया जा सकता है:

  • DEHP-मुक्त उत्पाद चुनें: पैकेजिंग और कॉस्मेटिक लेबल ध्यान से पढ़ें।

  • ग्लास और स्टील का इस्तेमाल करें: भोजन स्टोर या गर्म करने के लिए प्लास्टिक से बचें।

  • घरों में वेंटिलेशन ठीक रखें: हवा का बहाव रसायनों को बाहर निकालने में मदद करता है।

  • सरकारी नियमों की मांग करें: थैलेट्स पर सख्त कानून बनाने के लिए दबाव बनाएं।

स्रोत और संदर्भ:

  1. The Lancet eBioMedicine

  2. NYU Langone Health

  3. CDC - ATSDR Toxicological Profile on DEHP

  4. EPA Risk Evaluation for DEHP

  5. EWG - Plastic System Report

  6. The Sun Report on DEHP Deaths

  7. Washington Post Coverage

  8. EWG Tap Water Database - DEHP

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