जोधपुर शहर के अधिकांश उद्योग अपने अपशिष्ट जल को बिना किसी उपचार के सीधे नालियों के माध्यम से जोजरी नदी में बहा रहे हैं। फोटो: सतीश कुमार मालवीय
जोधपुर शहर के अधिकांश उद्योग अपने अपशिष्ट जल को बिना किसी उपचार के सीधे नालियों के माध्यम से जोजरी नदी में बहा रहे हैं। फोटो: सतीश कुमार मालवीयhttps://hindi.downtoearth.org.in/

जोजरी नदी प्रदूषण: जोधपुर की जीवनदायिनी कैसे बनी जहर का स्रोत

जोजरी नदी का प्रदूषण जोधपुर में खेती और स्वास्थ्य को नष्ट कर रहा है। जहरीले रसायन, बंजर खेत, और सामाजिक संकट के कारणों और समाधानों को जानें।
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जोधपुर, 18 अप्रैल 2025: राजस्थान के जोधपुर में जोजरी नदी, जो कभी खेती और जीवन का आधार थी, आज औद्योगिक कचरे और अनुपचारित सीवेज के कारण एक जहरीला नाला बन चुकी है। दैनिक भास्कर की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, जोजरी नदी का प्रदूषण इतना गंभीर हो गया है कि आसपास के खेत बंजर हो रहे हैं, और स्थानीय लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। इससे स्वास्थ्य समस्याएं, सामाजिक संकट, और आर्थिक नुकसान तेजी से बढ़ रहे हैं। यह लेख जोजरी नदी प्रदूषण के कारणों, प्रभावों, और समाधानों पर प्रकाश डालता है।

जोजरी नदी का उद्गम और संगम  

जोजरी नदी, जिसे जोजड़ी नदी भी कहा जाता है, राजस्थान के नागौर जिले के पुन्दलू गांव की पहाड़ियों से निकलती है। हिंदी इंडिया वॉटर पोर्टल के अनुसार, यह नदी उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहती हुई जोधपुर और बालोतरा से गुजरती है। अंततः, यह जोधपुर जिले के खेजल्दा खुर्द या मजल धूधाड़ा के पास लूनी नदी में मिल जाती है। जोजरी नदी की लंबाई लगभग 150 किलोमीटर है, और यह लूनी नदी की सबसे लंबी सहायक नदी है। दैनिक भास्कर की एक पुरानी रिपोर्ट में उल्लेख है कि प्राचीन काल में यह नदी सरस्वती नदी की एक धारा मानी जाती थी, जिसके किनारे गन्ना, चावल, और कपास की खेती होती थी।

जोजरी नदी में रासायनिक प्रदूषण: जहरीले केमिकल्स का खतरा  

जोजरी नदी का पानी औद्योगिक कचरे के कारण पूरी तरह प्रदूषित हो चुका है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, जोधपुर और बालोतरा के टेक्सटाइल, डाई, स्टील, और रंगाई-छपाई उद्योग अनुपचारित अपशिष्ट जल को नदी में डाल रहे हैं। दैनिक भास्कर ने राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (RPCB) के जल गुणवत्ता परीक्षणों के हवाले से बताया कि नदी में निम्नलिखित जहरीले रसायन और भारी धातुएं खतरनाक स्तर पर हैं:  

  1. - लेड (सीसा): मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचाने वाला न्यूरोटॉक्सिन।  

  2. - क्रोमियम (विशेष रूप से हेक्सावैलेंट क्रोमियम): कैंसर का कारण, त्वचा और फेफड़ों को नुकसान।  

  3. - कैडमियम: गुर्दे और हड्डियों को नुकसान, कैंसर का खतरा।  

  4. - कॉपर: अत्यधिक मात्रा में लीवर और गुर्दे को प्रभावित करता है।  

  5. - मरकरी: तंत्रिका तंत्र और किडनी को नुकसान।  

  6. - रासायनिक रंजक (डाईज़): टेक्सटाइल उद्योगों से निकलने वाले रसायन जो पानी को रंगीन और जहरीला बनाते हैं।  

RPCB की क्षेत्रीय अधिकारी कामिनी सोनगरा ने भास्कर को बताया कि इन रसायनों की मात्रा तय सीमा से कई गुना अधिक है, जो पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है।

खेतों का विनाश: किसानों की आजीविका पर संकट  

जोजरी नदी के प्रदूषित पानी ने आसपास के किसानों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, नदी के पानी से सिंचाई करने वाले खेत बंजर हो रहे हैं, क्योंकि मिट्टी में जहरीले रसायनों का जमाव हो रहा है। स्थानीय किसान रामलाल ने [दैनिक भास्कर को बताया, "हमारी फसलें अब नहीं उग रही हैं। जो थोड़ा-बहुत उगता है, वह बाजार में नहीं बिकता, क्योंकि लोग जानते हैं कि पानी जहरीला है।" जोधपुर से 60 किलोमीटर दूर डोली धवा गांव के श्रवण ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, "इस दूषित पानी ने हमारी जमीन को बर्बाद कर दिया। हरे-भरे खेत अब काले और बंजर हो गए हैं।" कई किसानों ने खेती छोड़कर मजदूरी शुरू कर दी है।

स्वास्थ्य समस्याएं: जहरीले पानी का कहर  

प्रदूषित पानी का असर खेती तक सीमित नहीं है। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, जोजरी नदी के आसपास के गांवों में स्वच्छ पेयजल की कमी के कारण लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। इससे त्वचा रोग, पेट की बीमारियां, किडनी रोग, सांस संबंधी समस्याएं, और कैंसर जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं। स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों में पिछले एक साल में पेट दर्द और त्वचा रोग के मामलों में 40% की वृद्धि हुई है। एक स्थानीय निवासी, शांति देवी, ने बीबीसी हिंदी को बताया, "हमारे पास और कोई विकल्प नहीं है। गंदा पानी पीने से बच्चे बार-बार बीमार पड़ रहे हैं।" इस पानी से उगाई गई सब्जियां और अनाज खाने से लीवर और तंत्रिका संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं।

सामाजिक और पर्यावरणीय संकट  

प्रदूषण ने सामाजिक समस्याओं को भी जन्म दिया है। दैनिक भास्कर की एक विशेष रिपोर्ट के अनुसार, जोधपुर-बाड़मेर रोड पर 80 किलोमीटर के दायरे में बसे 50 से ज्यादा गांवों में नदी का जहरीला पानी और बदबू जीवन को नरक बना चुके हैं। कई परिवार सामाजिक बहिष्कार का सामना कर रहे हैं, क्योंकि प्रदूषित क्षेत्रों में लोग रिश्ते देने से कतराते हैं। एक ग्रामीण ने दैनिक भास्कर को बताया कि "मेरे बेटे की शादी नहीं हो रही। गांव की हालत देखकर लोग रिश्ता तोड़ देते हैं।" इसके अलावा टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट बताती है कि नदी के गंदे पानी में मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है, जिससे डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियां फैल रही हैं। नदी के पास एक स्कूल में बच्चों की संख्या घटकर 21 रह गई है।

प्रशासन की लापरवाही और उद्योगों की मनमानी  

स्थानीय लोग और पर्यावरण कार्यकर्ता प्रशासन और उद्योगों की लापरवाही को इस संकट का मुख्य कारण मानते हैं।एक मीडियी रिपोर्कीट के अनुसार, जोधपुर के आसपास 700 से ज्यादा फैक्ट्रियां बिना शुद्धिकरण के अपशिष्ट जल नदी में डाल रही हैं। राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (RPCB) ने कुछ इकाइयों को नोटिस जारी किए हैं, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं हुई। X पर यूजर @EcoWarriorRJ ने पोस्ट किया कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर जोजरी नदी प्रदूषण को रोकने की मांग की है। उन्होंने बताया कि जीरो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम तीन महीने से रुका है। कार्यकर्ता सुरेंद्र सिंह ने बीबीसी हिंदी को बताया कि "वादों के बावजूद नदी की हालत बदतर हो रही है।"

एनजीटी में याचिका

डाउनटूअर्थ में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार एनजीटी में याचिकाकर्ताओं में से एक एडवोकेट पूरन सिहं आरबा जोधपुर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नए एसटीपी या सीईटीपी प्रबंधन के दावों को झूठा बताते हैं। उन्होंने बताया कि वह इस केस में वकील हैं और यह केस हमारी ग्राम पंचायत ने दायर किया था। 2015 में हमने, ग्राम पंचायत आरबा के रूप में इस ज्वलंत मुद्दे को संबोधित करने के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण में एक मामला दायर किया।

न्यायाधीश ने अपने विवेक से फरवरी 2022 में एक फैसला सुनाया, जिसमें उसने जोधपुर और बाड़मेर जिलों के स्थानीय अधिकारियों पर जुर्माना लगाया। इसके अतिरिक्त न्यायालय ने न्यायमूर्ति प्रकाश टाटिया की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को छह महीने के भीतर लागू करने का आदेश दिया। जिसके लिए 30 सितंबर 2022 की समय सीमा निर्धारित की गई। लेकिन स्थानीय निकायों और अधिकारियों ने न्यायालय के फैसले की पालना नहीं की।

आगे की राह: जोजरी नदी को पुनर्जीवन की जरूरत  

जोजरी नदी का प्रदूषण केवल जोधपुर की समस्या नहीं, बल्कि देश भर में नदियों की बिगड़ती स्थिति का प्रतीक है। जोधपुर, पाली, और बालोतरा के 50 से ज्यादा गांवों में यह संकट लाखों लोगों के स्वास्थ्य और आजीविका को प्रभावित कर रहा है। X पर यूजर @RajasthanGreen ने लिखा, "जोजरी नदी को बचाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए।" यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो यह संकट और गहरा सकता है।

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संदर्भ गंगा : पांडू नदी प्रदूषण की शिकार

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