जम्मू और कश्मीर की पुंछ नदी का दम घोंट रहा गंदा पानी: NGT में रिपोर्ट दाख़िल
पुंछ (जम्मू-कश्मीर)। जम्मू और कश्मीर की ऐतिहासिक पुंछ नदी, जो कभी हिमालय की गोद से निकलकर जीवनदायिनी मानी जाती थी, अब गंदगी, बदबू और बीमारियों का अड्डा बन चुकी है। सामाजिक कार्यकर्ता राजा मुजफ्फर भट की ओर से 16 अप्रैल, 2025 को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) में दाख़िल एक रिपोर्ट ने स्थानीय प्रशासन और जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण समिति (JKPCC) की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
"सीवेज का सीधा बहाव, ठोस कचरे का ढेर, और कोई कार्रवाई नहीं"
भट की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि पुंछ शहर और आसपास के क्षेत्रों से निकलने वाला अशोधित सीवेज सीधे नदी में गिराया जा रहा है, जिससे नदी का पानी काला पड़ गया है और उसमें से तेज़ दुर्गंध उठ रही है। यही नहीं, नदी के किनारों पर प्लास्टिक और ठोस कचरे के ढेर लगे हैं।
2023 में हुई एक बड़ी घटना में नदी में मछलियों और जलीय जीवों की सामूहिक मृत्यु हुई, जिसके बाद भी JKPCC ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
भूगोल: कहां से निकलती है पुंछ नदी, कहां जाकर मिलती है?
पुंछ नदी का उद्गम पीर पंजाल की नीली-कंठ गली और जामियां गली से होता है। यह पुंछ शहर से होकर बहती हुई पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) के कोटली और मीरपुर से गुजरती है और अंततः मंगला जलाशय में जाकर झेलम नदी से मिलती है। इसकी लंबाई लगभग 150 किमी है।
क्यों बिगड़ी पुंछ नदी की हालत?
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं: शहर से निकलने वाला गंदा पानी बिना ट्रीटमेंट के सीधे नदी में जा रहा है।
कचरा प्रबंधन में लापरवाही: नगर परिषद के पास कोई ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली नहीं है।
अवैध डंपिंग: स्थानीय दुकानों और होटलों से निकलने वाला कचरा नदी किनारे फेंका जा रहा है।
धार्मिक आयोजन और पर्यटन दबाव: पर्व-त्योहारों में नदी तटों पर काफी भीड़ लगती है, लेकिन सफाई के कोई इंतजाम नहीं होते।
बढ़ते प्रदूषण से बीमारियों का खतरा
पुंछ नदी में फीकल कोलीफॉर्म, बीओडी और केमिकल अपवाह जैसे प्रदूषण संकेतक खतरनाक स्तर पर पहुंच गए हैं। स्थानीय डॉक्टरों के मुताबिक, टाइफाइड, डायरिया, हेपेटाइटिस-A, और त्वचा रोग जैसी बीमारियां तेजी से बढ़ी हैं। मच्छरों के कारण डेंगू और मलेरिया का भी डर बना हुआ है।
कानूनी मोर्चे पर क्या हो रहा है?
जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के तहत JKPCC जिम्मेदार है, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार कार्रवाई न के बराबर है।
NGT अब इस मुद्दे पर सख्त नजर आ रहा है और जल्द ही JKPCC से जवाब तलब किया जा सकता है।
सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) की 2018 की रिपोर्ट में पुंछ नदी को संभावित प्रदूषित नदियों में गिना गया था।
क्या कहता है प्रशासन?
अब तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, जल शक्ति मंत्रालय और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पुंछ नदी सहित जम्मू-कश्मीर की अन्य नदियों के लिए "पायलट पुनर्जनन प्रोजेक्ट" शुरू करने पर विचार कर रहे हैं।
निष्कर्ष: सिर्फ कागज़ों पर नहीं, ज़मीन पर चाहिए कार्रवाई
राजा मुजफ्फर भट की रिपोर्ट ने एक बार फिर दिखाया है कि कानून तो हैं, लेकिन इच्छाशक्ति नहीं। अगर NGT और अन्य संस्थाएं जल्द कार्रवाई नहीं करतीं, तो पुंछ नदी का भविष्य अंधकारमय है। यह सिर्फ एक नदी की नहीं, पूरे पारिस्थितिक तंत्र और स्थानीय जीवन की लड़ाई है।