एशिया की सबसे साफ नदी उमंगोट
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जानते हैं! एशिया की सबसे स्वच्छ नदी उमंगोट यानी डॉकी भारत में बहती है, संरक्षण के लिए कानून कब?

उमंगोट नदी: मेघालय की स्वच्छ नदी को कानूनी इकाई का दर्जा देकर संरक्षण की जरूरत
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मेघालय, जिसे 'बादलों का घर' कहा जाता है, अपने प्राकृतिक सौंदर्य और जैव-विविधता के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। इस खूबसूरत राज्य में बहती 'उमंगोट नदी', जिसे स्थानीय रूप से 'डॉकी' के नाम से भी जाना जाता है, एशिया की सबसे साफ नदियों में से एक है। उमंगोट नदी का सौंदर्य इसके क्रिस्टल जैसे पानी और आसपास के प्राकृतिक परिदृश्य में निहित है। नदी के किनारे हरे-भरे जंगल, चूना पत्थर की चट्टानें और छोटे-छोटे झरने इसे एक स्वर्गिक दृश्य बनाते हैं। इसमें नौकायन के समय लगता है कि नाव हवा में तैर रही हो। अपनी क्रिस्टल जैसी पारदर्शी जलधारा और अनुपम प्राकृतिक सुंदरता के लिए जानी जाने वाली यह नदी केवल एक जलस्रोत नहीं, बल्कि एक जीवित इकाई (living entity) है, जिसके साथ स्थानीय समुदायों का गहरा सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रिश्ता है। हमें अपनी खूबसूरत नदियों को बचाने के लिए न्यूजीलैंड की वांगानुई से प्रेरणा लेनी चाहिए। लेंगे। जीवित इकाई (living entity) का विचार नदियों को बचाने का एक क्रांतिकारी दृष्टिकोण है। जो कि वैश्विक पर्यावरण नीतियों में शामिल होना चाहिए।

उमंगोट नदी: एक जीवित इकाई

उमंगोट नदी मेघालय के जयंतिया हिल्स जिले में शिलांग से लगभग 95 किलोमीटर दूर बहती है। भारत-बांग्लादेश सीमा के पास दावकी और श्नॉन्गपेडेंग जैसे क्षेत्रों में यह नदी अपनी अनूठी खूबसूरती के लिए विख्यात है। इसका पानी इतना साफ है कि नाव में बैठकर ऐसा लगता है मानो नाव हवा में तैर रही हो, और तलहटी की हर छोटी-बड़ी चट्टान और जलीय जीवन स्पष्ट दिखाई देता है। यह स्वच्छता नदी को केवल एक प्राकृतिक संसाधन नहीं, बल्कि एक जीवित प्राणी के रूप में स्थापित करती है, जो स्थानीय खासी और जयंतिया समुदायों के लिए जीवन का आधार है। उमंगोट को एक जीवित इकाई के रूप में देखना हमें यह समझने के लिए प्रेरित करता है कि नदियाँ केवल जल की धाराएँ नहीं, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र और संस्कृति की आत्मा हैं। इसे कानूनी इकाई का दर्जा देना इसके संरक्षण के लिए एक प्रभावी कदम हो सकता है, जो नदियों के लिए एक वैश्विक कानून का हिस्सा बनना चाहिए।

प्राकृतिक सौंदर्य और जैव-विविधता: एक जीवंत पारिस्थितिकी

उमंगोट नदी का सौंदर्य इसके क्रिस्टल जैसे पानी और आसपास के प्राकृतिक परिदृश्य में निहित है। नदी के किनारे हरे-भरे जंगल, चूना पत्थर की चट्टानें और छोटे-छोटे झरने इसे एक स्वर्गिक दृश्य बनाते हैं। सर्दियों और मानसून के बाद के महीनों में नदी का रंग नीला-हरा हो जाता है, जो इसकी जीवंतता को और उजागर करता है। यह नदी जैव-विविधता का भी एक महत्वपूर्ण केंद्र है, जहाँ विभिन्न प्रकार की मछलियाँ और जलीय जीव पनपते हैं। इसके किनारे उगने वाली वनस्पतियाँ और जंगली फूल इसकी सुंदरता को बढ़ाते हैं। उमंगोट का यह जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र हमें सिखाता है कि नदियाँ केवल संसाधन नहीं, बल्कि जीवन का आधार हैं। इन्हें कानूनी इकाई के रूप में मान्यता देकर हम इनके पारिस्थितिक और सांस्कृतिक मूल्य को सुरक्षित कर सकते हैं, जैसा कि न्यूजीलैंड की वांगानुई नदी के साथ किया गया है।

सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व: नदी के साथ एक आत्मिक रिश्ता

उमंगोट नदी स्थानीय खासी और जयंतिया समुदायों के लिए केवल एक जलस्रोत नहीं, बल्कि उनकी संस्कृति और आध्यात्म का अभिन्न अंग है। यह नदी मछली पकड़ने, खेती और दैनिक जरूरतों के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन इसका महत्व इससे कहीं अधिक गहरा है। स्थानीय लोग इसे अपने जीवन का हिस्सा मानते हैं, और इसके किनारे आयोजित होने वाले पारंपरिक उत्सव और मेले इस सांस्कृतिक रिश्ते को दर्शाते हैं। नदी के पास बने 'जीवित जड़ों के पुल' (Living Root Bridges), जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं, खासी जनजाति की प्रकृति के साथ सहजीवन की भावना को प्रदर्शित करते हैं। यह आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रिश्ता उमंगोट को एक जीवित इकाई के रूप में मानने का आधार देता है। इसे कानूनी इकाई का दर्जा देकर, जैसा कि वांगानुई नदी के लिए किया गया, हम इस नदी और इसके समुदायों के अधिकारों को संरक्षित कर सकते हैं। यह विचार नदियों के लिए एक वैश्विक कानून का हिस्सा बनना चाहिए, जो स्वदेशी संस्कृतियों और पर्यावरण को प्राथमिकता दे।

पर्यटन: सुंदरता की जिम्मेदारी

उमंगोट नदी मेघालय के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। नदी पर नौकायन का अनुभव, जहाँ पारदर्शी पानी में नाव हवा में तैरती प्रतीत होती है, पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। कैंपिंग, ट्रेकिंग और फोटोग्राफी के लिए भी यह स्थान आदर्श है। दावकी में बना सस्पेंशन ब्रिज और भारत-बांग्लादेश सीमा का नजारा पर्यटकों को आकर्षित करता है। हालांकि, बढ़ता पर्यटन नदी के लिए चुनौतियाँ भी लाता है। इसे एक जीवित इकाई के रूप में देखकर और कानूनी इकाई का दर्जा देकर, हम पर्यटकों को जिम्मेदार व्यवहार के लिए प्रेरित कर सकते हैं। नदियों के लिए एक वैश्विक कानून, जो उनकी जीवंतता और अधिकारों को मान्यता दे, ऐसी नदियों को अनियंत्रित पर्यटन के दुष्प्रभावों से बचा सकता है।

वांगानुई नदी: नदियों के लिए कानूनी क्रांति की प्रेरणा

न्यूजीलैंड की 'वांगानुई नदी' नदियों को जीवित और कानूनी इकाई के रूप में मान्यता देने का एक ऐतिहासिक उदाहरण है। 2017 में, 'Te Awa Tupua Act' के तहत इसे दुनिया की पहली नदी के रूप में कानूनी व्यक्ति का दर्जा दिया गया। यह निर्णय माओरी समुदाय के 150 साल के संघर्ष का परिणाम था, जो इस नदी को अपने पूर्वज और आध्यात्मिक केंद्र मानते हैं। माओरी कहावत, 'मैं नदी हूँ, और नदी मैं हूँ,' इस गहरे रिश्ते को दर्शाती है। नदी को एक व्यक्ति के समान अधिकार, कर्तव्य और दायित्व दिए गए हैं, और इसके हितों की रक्षा के लिए दो संरक्षक नियुक्त किए गए हैं: एक माओरी समुदाय से और दूसरा सरकार की ओर से। इस कानून में $80 मिलियन का मुआवजा और नदी के स्वास्थ्य के लिए $30 मिलियन का कोष शामिल है। यह मॉडल नदियों के लिए एक वैश्विक 'नदियों के कानून' का आधार बन सकता है, जो उमंगोट और वेनैंगोआ जैसी नदियों को प्रदूषण, अवैध खनन और अनियंत्रित पर्यटन से बचाने में मदद करेगा। हालांकि, पानी के स्वामित्व जैसे मुद्दे इस मॉडल की सीमाएँ हैं, जिन्हें वैश्विक कानून में संबोधित करना होगा।

संरक्षण: जीवित इकाइयों के लिए कानूनी ढांचा

उमंगोट नदी की स्वच्छता पर बढ़ते पर्यटन, प्लास्टिक कचरे और अवैध खनन का दबाव बढ़ रहा है। इसे एक जीवित इकाई के रूप में मान्यता देना और कानूनी इकाई का दर्जा प्रदान करना इसके संरक्षण के लिए एक क्रांतिकारी कदम हो सकता है। वांगानुई नदी का मॉडल दिखाता है कि कानूनी व्यक्ति का दर्जा नदियों को नुकसान से बचाने और उनके स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने में प्रभावी हो सकता है। नदियों के लिए एक वैश्विक कानून, जो उन्हें जीवित और कानूनी इकाइयों के रूप में मान्यता दे, इन चुनौतियों का समाधान कर सकता है। 

उमंगोट और अन्य नदियों को कानूनी इकाई का दर्जा देना, ताकि उनके हितों की रक्षा के लिए संरक्षक नियुक्त किए जा सकें। समय आ गया है कि नदियों के लिए एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी ढांचा विकसित हो, जो उन्हें जीवित इकाइयों के रूप में मान्यता दे और उनके संरक्षण को सुनिश्चित करे।

खूबसूरत नदियों को खूबसूरत विचार ही बचा सकते हैं

उमंगोट नदी, मेघालय की प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक अनमोल हिस्सा है, जो अपनी स्वच्छता और सुंदरता के साथ एक जीवित इकाई के रूप में चमकती है। न्यूजीलैंड की वेनैंगोआ और वांगानुई नदियाँ हमें सिखाती हैं कि नदियों को केवल संसाधन नहीं, बल्कि जीवन और संस्कृति का आधार मानना होगा। वांगानुई नदी का कानूनी व्यक्ति का दर्जा एक क्रांतिकारी मॉडल है, जो उमंगोट और अन्य नदियों के लिए प्रेरणा देता है। इन खूबसूरत नदियों को खूबसूरत विचार ही बचा सकते हैं-उन्हें जीवित और कानूनी इकाइयों के रूप में मान्यता देना और नदियों के लिए एक वैश्विक 'नदियों का कानून' बनाना। यह कानून नदियों को प्रदूषण, शोषण और विनाश से बचाएगा, ताकि उमंगोट जैसी नदियाँ भावी पीढ़ियों के लिए अपनी शुद्धता और जीवंतता बनाए रखें। यदि आप प्रकृति प्रेमी हैं, तो उमंगोट की सैर आपको नदी की आत्मा से जोड़ेगी। आइए, इस जीवित रत्न को संजोएं और इसे कानूनी संरक्षण के माध्यम से सुरक्षित रखें।

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