दिल्ली में जल संकट के बीच राहत की खबर: 1,045 जल निकायों में से 631 के पुनर्जीवन का निर्देश, 256 का कायाकल्प पूरा
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, जहां गर्मियों में जल संकट चरम पर पहुंच जाता है, अब जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। दिल्ली वेटलैंड अथॉरिटी ने हाल ही में घोषणा की कि शहर में कुल 1,045 जल निकायों (वाटर बॉडीज) की पहचान की गई है, जिनमें से पहले चरण में 631 के पुनर्जीवन (रिवाइवल) का निर्देश दिया गया है। अब तक, विभिन्न एजेंसियों ने 256 जलाशयों के कायाकल्प का काम पूरा कर लिया है। यह प्रयास दिल्ली के लिए एक उम्मीद की किरण है, जहां भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है और पानी की मांग आपूर्ति से कहीं अधिक है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) में एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) द्वारा दायर मुकदमे ने भी इस मुद्दे को और अधिक ध्यान में लाया है। हम दिल्ली के जल संकट, जल निकायों के पुनर्जीवन, भूजल दोहन, राजस्व रिकॉर्ड में जलाशयों के मानचित्रण, और NGT में दायर मुकदमे की स्थिति पर तथ्यों के साथ विस्तार से समझते हैं।
दिल्ली वेटलैंड अथॉरिटी: जल संरक्षण का प्रहरी
दिल्ली वेटलैंड अथॉरिटी, दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग के तहत स्थापित एक महत्वपूर्ण संस्था है, जिसका गठन 2019 में वेटलैंड्स (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 के तहत किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में जल निकायों और आर्द्रभूमियों (वेटलैंड्स) की पहचान, संरक्षण, और पुनर्जीवन करना है। अथॉरिटी ने नजफगढ़ झील, सूरजकुंड, और अन्य छोटे तालाबों जैसे जल निकायों के संरक्षण के लिए व्यापक योजनाएं लागू की हैं। यह संस्था भूजल रिचार्ज, बाढ़ नियंत्रण, और जैव विविधता संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय समुदायों, गैर-सरकारी संगठनों, और विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम करती है। दिल्ली में 1,045 जल निकायों की मैपिंग और 256 के पुनर्जीवन जैसे प्रयासों के जरिए अथॉरिटी जल संकट से निपटने और पर्यावरण संतुलन बनाए रखने की दिशा में अहम योगदान दे रही है।
दिल्ली में जल निकायों की स्थिति: वेटलैंड अथॉरिटी की रिपोर्ट
दिल्ली वेटलैंड अथॉरिटी के अनुसार, राजधानी में 1,045 जल निकायों की सूची तैयार की गई है, जिनमें तालाब, झीलें, और अन्य प्राकृतिक जल स्रोत शामिल हैं। राजस्व विभाग द्वारा जमीनी पड़ताल के बाद, पहले चरण में 631 जल निकायों के पुनर्जीवन का निर्देश दिया गया है। अब तक, विभिन्न एजेंसियों ने 256 जलाशयों का कायाकल्प पूरा कर लिया है, जिसमें सफाई, गाद हटाने, और जल संग्रहण क्षमता बढ़ाने जैसे कार्य शामिल हैं। यह प्रयास भूजल स्तर को बढ़ाने, वर्षा जल संचयन को प्रोत्साहित करने, और बाढ़ जैसी समस्याओं को कम करने के लिए है। अथॉरिटी ने बाकी जल निकायों के पुनर्जीवन के लिए योजनाएं तेज की हैं, साथ ही टैंकर माफिया पर लगाम और भूजल संरक्षण पर ध्यान दे रही है।
जलाशयों के राजस्व रिकॉर्ड और मानचित्रण
दिल्ली में जल निकायों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए राजस्व रिकॉर्ड में उनकी सटीक पहचान और मानचित्रण एक महत्वपूर्ण कदम है। दिल्ली वेटलैंड अथॉरिटी ने राजस्व विभाग को निर्देश दिया है कि हाल ही में जमीनी पड़ताल के बाद पहचाने गए 43 जल निकायों का मानचित्रण किया जाए और उन्हें राजस्व रिकॉर्ड में शामिल किया जाए। गौरतलब है कि दिल्ली स्टेट डेवलपमेंट लिमिटेड (GSDL) ने 322 स्थानों को जलाशयों के रूप में चिह्नित किया था, लेकिन राजस्व विभाग की जांच में इनमें से केवल 43 की ही पुष्टि हो सकी। यह अंतर अतिक्रमण, शहरीकरण, और अपर्याप्त दस्तावेजीकरण के कारण उत्पन्न हुआ। इन 43 जल निकायों को राजस्व रिकॉर्ड में जोड़ने से न केवल उनके कानूनी संरक्षण को बल मिलेगा, बल्कि भविष्य में अतिक्रमण और अवैध उपयोग को रोकने में भी मदद मिलेगी। यह कदम दिल्ली के जल संकट को कम करने और जल निकायों के दीर्घकालिक संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है।
NGT में मुकदमा: CYCLE India की पहल
दिल्ली के जल निकायों की सुरक्षा और पुनर्जीवन के लिए गैर-सरकारी संगठन (NGO) CYCLE India ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस संगठन ने दिल्ली के जलाशयों, विशेष रूप से पश्चिम दिल्ली के विकासपुरी में एक पुराने तालाब के पुनर्जीवन के लिए NGT में मुकदमा दायर किया। CYCLE India के पर्यावरण कार्यकर्ता पारस त्यागी ने बताया कि कई जल निकायों पर अतिक्रमण और सरकारी उदासीनता के कारण उनकी स्थिति बिगड़ रही है। विकासपुरी में एक जलाशय के स्थान पर सरकारी निर्माण कार्य शुरू होने के बावजूद, राजस्व रिकॉर्ड में इसे जल निकाय के रूप में दर्ज किया गया था। NGT ने इस मामले में दिल्ली वेटलैंड अथॉरिटी, GSDL, और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) को चार सप्ताह के भीतर गायब जल निकायों का विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। CYCLE India की इस कानूनी पहल ने जल निकायों के संरक्षण और अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई को गति दी है।
पुनर्जीवन दिल्ली में जल संकट: तथ्य और आंकड़े
दिल्ली में जल संकट कोई नई बात नहीं है। आज तक की एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली को प्रतिदिन 129 करोड़ गैलन पानी की आवश्यकता है, लेकिन आपूर्ति केवल 96.9 करोड़ गैलन ही हो पाती है। यह कमी गर्मियों में और गंभीर हो जाती है, जब मांग बढ़ जाती है और पड़ोसी राज्यों (हरियाणा और उत्तर प्रदेश) पर निर्भरता बढ़ती है। दिल्ली जल बोर्ड (DJB) ने हाल ही में 1,111 GPS-युक्त टैंकर लॉन्च किए हैं ताकि टैंकर माफिया पर लगाम लगाई जा सके और पारदर्शी जल आपूर्ति सुनिश्चित हो।
भूजल दोहन भी दिल्ली में जल संकट का एक प्रमुख कारण है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र, जिसमें दिल्ली शामिल है, 2025 तक गंभीर भूजल संकट का सामना कर सकते हैं। दिल्ली में भूजल स्तर कई क्षेत्रों में 20 से 150 मीटर की गहराई तक पहुंच गया है, विशेष रूप से दक्षिण और पश्चिम दिल्ली जैसे क्षेत्रों में। केंद्रीय भूजल बोर्ड के अनुसार, दिल्ली में लगभग 70% कृषि और घरेलू उपयोग भूजल पर निर्भर है, जो इस संकट को और गहरा रहा है।
वेटलैंड अथॉरिटी ने बताया कि दक्षिण दिल्ली के नजफगढ़ झील और पूर्वी दिल्ली के सूरजकुंड जैसे क्षेत्रों में पुनर्जीवन कार्य विशेष रूप से सफल रहे हैं। इन जल निकायों ने न केवल भूजल स्तर को बेहतर किया, बल्कि स्थानीय पर्यावरण को भी समृद्ध किया।
इसके विपरीत CGWB की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के कई हिस्सों में भूजल दोहन की गहराई 20 से 150 मीटर तक है, और कुछ क्षेत्रों में फ्लोराइड और आर्सेनिक जैसे प्रदूषकों की मात्रा बढ़ रही है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरा है।
कई चुनौतियां बनी हुई हैं, और बड़ी बनती जा रही हैं।। दिल्ली का पड़ोसी राज्यों पर पानी के लिए निर्भर होना, अनियोजित शहरीकरण, और जल निकायों पर अतिक्रमण जैसे मुद्दे पुनर्जीवन कार्यों को जटिल बनाते हैं। इसके अलावा, जन जागरूकता की कमी और पानी की बर्बादी भी एक बड़ी समस्या है।
कोशिश
दिल्ली वेटलैंड अथॉरिटी द्वारा 1,045 जल निकायों की पहचान, 631 के पुनर्जीवन का निर्देश, और 256 का कायाकल्प जल संकट से जूझ रही राजधानी के लिए एक सकारात्मक कदम है। राजस्व रिकॉर्ड में 43 जलाशयों का मानचित्रण और CYCLE India द्वारा NGT में दायर मुकदमा इस दिशा में महत्वपूर्ण पहल हैं। हालांकि, भूजल दोहन, जल प्रदूषण, और आपूर्ति की कमी जैसे मुद्दों को हल करने के लिए और अधिक ठोस प्रयासों की जरूरत है। सरकार, नागरिकों, और पर्यावरण संगठनों को मिलकर काम करना होगा ताकि दिल्ली को जल संकट से मुक्ति मिल सके और हर घर तक स्वच्छ पानी पहुंचे।