लेख
राजस्थानचे रजत जलबिंदू - 12
श्री अनुपम मिश्र यांच्या पुस्तकाचे स्वैर भाषांतर
हक से बहसे हाकडो, बंध तुटसे अरोड
सिंघडी सूखो जावसी, निर्धनियो रे धन होवसी।
उजडा खेडा फिर बससी, भागियो रे भूत कमावसी
इक दिन ऐसा आवसी।
सिंघडी सूखो जावसी, निर्धनियो रे धन होवसी।
उजडा खेडा फिर बससी, भागियो रे भूत कमावसी
इक दिन ऐसा आवसी।
जिल्हा | सरासरी पाऊस |
जैसलमेर | 16.40 |
श्रीगंगानगर | 25.37 |
बीकानेर | 26.37 |
बाडमेर | 27.75 |
जोधपूर | 31.87 |
चुरू | 32.55 |
नागौर | 38.86 |
जालौर | 42.16 |
झुंझुनू | 44.45 |
सीकर | 46.61 |
पाली | 49.04 |
अजमेर | 52.73 |
जयपूर | 54.82 |
चितौडगढ | 58.21 |
अलवर | 61.16 |
टौंक | 61.36 |
उदयपूर | 62.45 |
सिरोही | 63.84 |
भरतपूर | 67.15 |
धौलपूर | 68.00 |
सवाई माधोपूर | 68.92 |
भीलवाडा | 69.90 |
डुंगरपूर | 76.17 |
बूंदी | 76.41 |
कोटा | 88.56 |
वांसवाडा | 92.24 |
झालावाड | 104.47 |
भूमी, आप आणि ताप यांची तपस्या :
पावस मुदर बळाहक पाळग, धाराधर (वळि) जळधरण।
मेघ जळद जळवह जळमंदळ, घण जगजीवन घणाघण।।
तडितवांन तोईद तनयतूं, नीरद वरसण भरण - निवांण।
अभ्र परजन नभराट आकासी, कांमुक जळमुक महत किलांण।।
(कोटि सघण, सोभा तन कांन्हड, स्यांम त्रेभुअण स्याम सरीर।
लोक मांहि जम जोर न लागै, हाथि जोडि हरि समर हमीर)।।
मेघ जळद जळवह जळमंदळ, घण जगजीवन घणाघण।।
तडितवांन तोईद तनयतूं, नीरद वरसण भरण - निवांण।
अभ्र परजन नभराट आकासी, कांमुक जळमुक महत किलांण।।
(कोटि सघण, सोभा तन कांन्हड, स्यांम त्रेभुअण स्याम सरीर।
लोक मांहि जम जोर न लागै, हाथि जोडि हरि समर हमीर)।।
धाराधर घण जळधरण मेघ जळद जळमंड,
नीरद बरसण भरणद पावस घटा (प्रचंड)।
तडितवान तोयद तरज निरझर भरणनिवांण,
मुदर बळाहक पाळमहि जळद (घणा) घण (जांण)।
जगजीवन अभ्रय रजन (हू) काम कहमत किलांण,
तनयतू नभराट(तब) जळमुक गयणी(जा'ण)।।
नीरद बरसण भरणद पावस घटा (प्रचंड)।
तडितवान तोयद तरज निरझर भरणनिवांण,
मुदर बळाहक पाळमहि जळद (घणा) घण (जांण)।
जगजीवन अभ्रय रजन (हू) काम कहमत किलांण,
तनयतू नभराट(तब) जळमुक गयणी(जा'ण)।।
मेघ जळद नीरदं जळमंडण, घण बरसण नभराट घणाघण।
महत किलांण अकासी जळभुक, मुदर बळाहक पाळग कांमुक।
धारधर पावस अभ्र जळधर, परजन तडितवांन तोयद(पर)।
सघण तनय(तू) स्यामघटा(सजि), गंजणरोर निवांणभर गजि।
महत किलांण अकासी जळभुक, मुदर बळाहक पाळग कांमुक।
धारधर पावस अभ्र जळधर, परजन तडितवांन तोयद(पर)।
सघण तनय(तू) स्यामघटा(सजि), गंजणरोर निवांणभर गजि।
मेघ घनाधन घण मुदिर जीमूत (र) जळवाह,
अभ्र बळाहक जळद (अख) नभधुज धूमज (नाह)।।
अभ्र बळाहक जळद (अख) नभधुज धूमज (नाह)।।
राजस्थानचे रूपेरी थेंब :
सौ. प्रज्ञा सरखोत - मो : 07738240836