2025 का धरती दिवस नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने का आह्वान करता है
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ग्रीनहाउस गैसों का बेतहाशा उत्सर्जन और धरती दिवस की पुकार

ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन: धरती दिवस पर जलवायु संकट और नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने की पुकार। लेखक: भाव्या सिंह
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भारत समेत एशिया के कई देशों में समय से पहले ही गर्मी शुरू हो गई है। फरवरी और मार्च में तापमान मई-जून जैसा महसूस होने लगा है। इस असामान्य गर्मी ने हर किसी को परेशान कर दिया है। लोग कह रहे हैं, "अगर अभी यह हाल है, तो मई-जून में क्या होगा?" धरती का तापमान बढ़ाने में दुनिया के सभी देश जिम्मेदार हैं, लेकिन चीन और अमेरिका जैसे कुछ देशों में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन विशेष रूप से अधिक है। हर साल 22 अप्रैल को मनाया जाने वाला धरती दिवस हमें याद दिलाता है कि हमारी धरती को बचाने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। 2025 का धरती दिवस स्लोगन "Our Power, Our Planet" नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने और जलवायु संकट से निपटने का आह्वान करता है। आइए, बेमौसम गर्मी और जलवायु संकट के पीछे की कहानी को समझें, और इस संदेश को अपनाएं।

चीन और अमेरिका सबसे आगे

ऐतिहासिक रूप से, अमेरिका ने धरती को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया है, लेकिन हाल के वर्षों में चीन ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में शीर्ष पर है। 2023-24 में चीन ने कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), और अन्य ग्रीनहाउस गैसों का सर्वाधिक उत्सर्जन किया। वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का लगभग 30% हिस्सा अकेले चीन का है। इसके बाद अमेरिका, भारत, यूरोपीय संघ, रूस, जापान, और ब्राजील जैसे देश आते हैं। शीर्ष 20 प्रदूषणकारी देश वैश्विक उत्सर्जन के 83% के लिए जिम्मेदार हैं। धरती दिवस हमें इन आंकड़ों पर विचार करने और उत्सर्जन कम करने के लिए सामूहिक कार्रवाई का आह्वान करता है।

पेरिस समझौते का उल्लंघन

पेरिस समझौते (2015) में वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का लक्ष्य तय किया गया था। हालांकि, पिछले 20 महीनों से वैश्विक औसत तापमान इस सीमा को पार कर रहा है। कोयला, पेट्रोलियम जैसे जीवाश्म ईंधनों के अंधाधुंध उपयोग और तेजी से औद्योगीकरण ने ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को बढ़ाया है। इससे वातावरण में एक जहरीली परत बन गई है, जो धरती के तापमान को बढ़ा रही है। परिणामस्वरूप, बाढ़, भूस्खलन, सूखा, चक्रवाती तूफान, और अन्य प्राकृतिक आपदाएं बढ़ रही हैं। धरती दिवस पर हमें इन आपदाओं के मूल कारणों को समझने और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने का संकल्प लेना चाहिए।

2024: रिकॉर्ड तोड़ गर्मी

कॉपर्निकस क्लाइमेट चेंज सर्विस के अनुसार, 2024 अब तक का सबसे गर्म वर्ष रहा। यह पहला वर्ष था जब वैश्विक औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहा। 2024 का प्रत्येक महीना पिछले वर्षों के समान महीनों की तुलना में अधिक गर्म रहा। इस गर्मी का प्रमुख कारण मानव-जनित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन है। इसके अलावा, एल नीनो जैसी मौसमी घटनाएं भी तापमान वृद्धि में योगदान दे रही हैं। धरती दिवस 2025, जो 22 अप्रैल को "Our Power, Our Planet" थीम के साथ मनाया जाएगा, हमें इस रिकॉर्ड-तोड़ गर्मी से सीखने और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को अपनाकर पर्यावरण संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने का अवसर देता है।

जिम्मेदारियों से भागते देश

चीन और भारत जैसे विकासशील देशों में औद्योगिक विकास के कारण कार्बन उत्सर्जन लगातार बढ़ रहा है। दूसरी ओर, अमेरिका और यूरोपीय देशों पर जलवायु परिवर्तन की ऐतिहासिक जिम्मेदारी अधिक है। अमेरिका ने डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल (2017-2021) में पेरिस समझौते से खुद को अलग कर लिया था। उनके दूसरे कार्यकाल (2025 में शुरू) में भी यही रुख जारी है, जिससे वैश्विक जलवायु प्रयासों को झटका लगा है। धरती दिवस का संदेश सभी देशों को अपनी जिम्मेदारियों को स्वीकार करने और स्थायी विकास के लिए एकजुट होने का आह्वान करता है।

भारत और पड़ोसी देशों की स्थिति

भारत, पाकिस्तान, नेपाल, और बांग्लादेश में मौसम में असामान्य बदलाव देखे जा रहे हैं। सर्दी और गर्मी के अचानक बदलाव के पीछे पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) का प्रभाव है। यह एक मौसमी प्रणाली है, जो भूमध्य सागर, कैस्पियन सागर, और काला सागर से उत्पन्न होकर हिमालय के पार बारिश और बर्फबारी लाती है। इसका प्रभाव दक्षिण-पूर्वी नेपाल और उत्तरी बांग्लादेश तक फैलता है। धरती दिवस पर इन क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए वृक्षारोपण और जल संरक्षण जैसे स्थानीय प्रयासों को बढ़ावा देना जरूरी है।

शहरों में बढ़ता तापमान

शहरों में दिन और रात का तापमान ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक होता है। इसे अर्बन हीट आइलैंड प्रभाव कहा जाता है। शहरों में पेड़-पौधे कम और सीमेंट-डामर जैसी सामग्री अधिक होती है, जो दिन में गर्मी सोखती है और रात में छोड़ती है। इससे शहर आसपास के क्षेत्रों से 22°F (12°C) तक गर्म हो सकते हैं। एयर कंडीशनर (AC) का उपयोग इस प्रभाव को और बढ़ाता है। गर्मी के मौसम में यह प्रभाव खतरनाक हो सकता है, क्योंकि रात में ठंडक न मिलने से लोगों को शारीरिक और मानसिक आराम नहीं मिलता। धरती दिवस हमें शहरों में हरियाली बढ़ाने और ऊर्जा-कुशल तकनीकों को अपनाने की प्रेरणा देता है।

ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन और अवशोषण

जलवायु मॉडल दर्शाते हैं कि ग्रीनहाउस गैसों की बढ़ती मात्रा के कारण दिन और रात का तापमान दोनों बढ़ रहे हैं। गर्म दिन और रातों की आवृत्ति और तीव्रता इस बात पर निर्भर करती है कि हम भविष्य में उत्सर्जन को कितना कम करते हैं। यदि वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5°C या 2°C तक सीमित रखने में सफलता मिलती है, तो प्रभाव कम होंगे। 

वैश्विक तापमान तब स्थिर होगा जब हम शुद्ध-शून्य उत्सर्जन (Net-Zero Emissions) तक पहुंचेंगे, यानी जितनी ग्रीनहाउस गैसें उत्सर्जित करें, उतनी ही अवशोषित कर लें। धरती दिवस पर हम व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर कार्बन फुटप्रिंट कम करने के लिए कदम उठा सकते हैं, जैसे सौर ऊर्जा का उपयोग, साइकिल चलाना, और कम ऊर्जा खपत वाली जीवनशैली अपनाना।

क्लाइमेट शिफ्ट इंडेक्स

क्लाइमेट सेंट्रल का क्लाइमेट शिफ्ट इंडेक्स (CSI) तापमान पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को मापता है। यदि CSI शून्य है, तो इसका मतलब है कि तापमान पर जलवायु परिवर्तन का कोई प्रभाव नहीं है। CSI का मान 1 से 5 होने का मतलब है कि जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान 1 से 5 गुना अधिक होने की संभावना है। धरती दिवस हमें ऐसे वैज्ञानिक उपकरणों के महत्व को समझने और जलवायु जागरूकता बढ़ाने का अवसर देता है।

समुद्र पर प्रभाव

ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन से समुद्र का तापमान भी बढ़ रहा है। समुद्र की सतह का तापमान अधिक होता है, लेकिन 200 मीटर की गहराई पर यह लगभग 4°C (39°F) रहता है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की विशेषज्ञ लेटिसिया कार्वाल्हो के अनुसार, समुद्री गर्म लहरें (Marine Heatwaves) समुद्री जीवों की मृत्यु, समुद्र के अम्लीकरण (Ocean Acidification), और मौसम पैटर्न को प्रभावित करने वाली धाराओं में व्यवधान का कारण बन रही हैं। 

संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, 1982 से 2016 के बीच समुद्री गर्म लहरों की आवृत्ति दोगुनी हो गई है, और ये अधिक लंबी और तीब्र हो रही हैं। समुद्र के अम्लीकरण से मछली पालन और वैश्विक खाद्य सुरक्षा को खतरा है, जिससे सैकड़ों मिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान हो सकता है। धरती दिवस पर हमें समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए प्लास्टिक प्रदूषण कम करने और तटीय संरक्षण को बढ़ावा देने का संकल्प लेना चाहिए।

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