विशाव नदी का संकट - प्रदूषण, कानूनी लड़ाई और संरक्षण
विशाव नदी: अवैध खनन से प्रदूषण और संरक्षण की चुनौतियां
विशाव नदी, जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में बहने वाली झेलम नदी की एक महत्वपूर्ण सहायक नदी, अपने पारिस्थितिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जानी जाती है। यह नदी ट्राउट मछली की आबादी का समर्थन करती है, जो स्थानीय जैव विविधता और मछली पालन उद्योग के लिए आवश्यक है। हाल के वर्षों में, अवैध खनन और अवैज्ञानिक गतिविधियों ने विशाव नदी को प्रदूषित कर दिया है, जिससे ट्राउट मछली की संख्या में कमी आई है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने इस मुद्दे पर सक्रिय कार्रवाई की है। यह लेख विशाव नदी के प्रदूषण, कानूनी कदमों, भौगोलिक विवरण, और संरक्षण उपायों पर विस्तार से चर्चा करता है।
विशाव नदी में प्रदूषण: अवैध खनन का प्रभाव
विशाव नदी का प्रदूषण मुख्य रूप से अवैध खनन गतिविधियों से हो रहा है, जो बिना पर्यावरणीय मंजूरी के संचालित हो रही हैं। ये गतिविधियां नदी में तलछट और अपशिष्ट के प्रवाह को बढ़ाती हैं, जिससे पानी की गुणवत्ता खराब हो रही है। ट्राउट मछली, जो पानी की गुणवत्ता और प्रवाह के प्रति संवेदनशील होती हैं, की आबादी में कमी एक गंभीर पारिस्थितिक संकट का संकेत है।
23 अप्रैल, 2025 को, एनजीटी ने कुलगाम जिले में विशाव नदी के किनारे संचालित 19 खनिज ब्लॉकों की जांच के लिए जेकेपीसीसी को आदेश दिया। यह कार्रवाई एक समाचार रिपोर्ट के आधार पर स्वतः संज्ञान लेने के बाद की गई, जिसमें ट्राउट मछली की घटती संख्या पर चिंता जताई गई थी। सीपीसीबी की 21 अप्रैल, 2025 की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि इनमें से 11 ब्लॉक वायु अधिनियम, 1981 और जल अधिनियम, 1974 के तहत बिना वैध सहमति के संचालित हो रहे हैं, जो पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन है।
एनजीटी में विशाव नदी का मामला
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) वर्तमान में विशाव नदी के प्रदूषण से संबंधित एक महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई कर रहा है। यह मामला स्वप्रेरणा से पंजीकृत आवेदन पर आधारित है, जिसमें ट्राउट मछली की घटती संख्या और अनियंत्रित खनन गतिविधियों के कारण नदी के प्रदूषण पर चिंता व्यक्त की गई है। 23 अप्रैल, 2025 को, एनजीटी ने जेकेपीसीसी को निर्देश दिया कि वे खनन ब्लॉकों के पर्यावरणीय अनुपालन की जांच करें और अगली सुनवाई में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करें। यह कदम विशाव नदी के पारिस्थितिक तंत्र को बहाल करने और अवैध खनन पर अंकुश लगाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
विशाव नदी का भौगोलिक परिचय
विशाव नदी का उद्गम कुलगाम जिले में कौसरनाग झील से होता है, जो पीर पंजाल पर्वतमाला में स्थित है। इस झील के GPS समन्वय 33°30'44"N, 74°46'8"E हैं, और यह कश्मीरी शैववाद व हिंदू धर्म में पवित्र मानी जाती है। कौसरनाग झील विशाव नदी का प्राथमिक जल स्रोत है। नदी अनंतनाग जिले के बीजबेहरा के पास झेलम नदी से मिलती है, जहां संगम के GPS समन्वय 33.79378 N, 75.1070 E हैं। ये भौगोलिक विवरण नदी के मार्ग, पर्यावरणीय प्रभावों, और संरक्षण प्रयासों को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
जम्मू-कश्मीर में नदी प्रदूषण का व्यापक संदर्भ
विशाव नदी का प्रदूषण जम्मू-कश्मीर में नदी प्रदूषण की व्यापक समस्या का हिस्सा है। अन्य नदियां, जैसे डूधगंगा, ममथ कुल्ल, और सुक्खनाग, भी अवैध खनन और प्रदूषण से प्रभावित हैं। डाउन टू अर्थ (3 अप्रैल, 2025) की एक रिपोर्ट के अनुसार, बडगाम जिले में सुक्खनाग स्ट्रीम अवैध खनन के कारण सूखने की कगार पर है। कश्मीर लाइफ (31 अगस्त, 2023) ने बताया कि अनियंत्रित नदी तल खनन ने कश्मीर की नदियों को नष्ट कर दिया है, जिससे कृषि और जैव विविधता प्रभावित हुई है।
अक्टूबर 2022 में, एनजीटी ने डूधगंगा और ममथ कुल्ल में अवैध खनन रोकने में विफल रहने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार पर 35 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। भारी मशीनों, जैसे जेसीबी, का उपयोग मिट्टी के कटाव और नदी के प्रवाह में बदलाव का कारण बन रहा है।
पर्यावरणीय और स्वास्थ्य प्रभाव
विशाव नदी का प्रदूषण ट्राउट मछली सहित जलीय जीवन के लिए खतरा है, जो पारिस्थितिक संतुलन और स्थानीय मछली पालन उद्योग को प्रभावित करता है। दूषित पानी मानव स्वास्थ्य के लिए भी जोखिम पैदा करता है, जिसमें जलजनित रोग और पीने के पानी की गुणवत्ता में कमी शामिल है। Mongabay India के एक अध्ययन ने जम्मू-कश्मीर की नदियों में माइक्रोप्लास्टिक्स की उपस्थिति की पुष्टि की, जो प्रदूषण की गंभीरता को दर्शाता है।
विनियामक चुनौतियां और लागूकरण
वायु अधिनियम, 1981 और जल अधिनियम, 1974 जैसे कानूनों के बावजूद, अवैध खनन गतिविधियां जारी हैं, जो लागूकरण में कमियों को दर्शाता है। जम्मू-कश्मीर सरकार ने 2016 में जेके माइनर मिनरल कॉन्सेशन रूल्स लागू किए, लेकिन अवैध खनन पर प्रभावी नियंत्रण नहीं हो सका (Greater Kashmir)। एनजीटी के हस्तक्षेप से पर्यावरणीय मानकों को लागू करने की आवश्यकता उजागर होती है।
विशाव नदी के संरक्षण के लिए समाधान
विशाव नदी और अन्य नदियों को बचाने के लिए निम्नलिखित उपाय आवश्यक हैं:
कड़ाई से लागूकरण: नियमित जांच, जुर्माना, और लाइसेंस रद्द करने जैसे कदम।
समुदाय की भागीदारी: स्थानीय समुदायों को अवैध गतिविधियों की निगरानी और संरक्षण में शामिल करना।
स्थायी खनन: वैज्ञानिक और पर्यावरण-अनुकूल खनन पद्धतियों को अपनाना।
नीतिगत सुधार: खनन लीज की समीक्षा और कड़े पर्यावरणीय मंजूरी।
तकनीकी समाधान: उपग्रह इमेजरी और जीआईएस मैपिंग से अवैध खनन की निगरानी।
विशाव नदी का प्रदूषण जम्मू-कश्मीर में अवैध खनन और पर्यावरणीय उपेक्षा का एक चिंताजनक उदाहरण है। एनजीटी की कार्रवाइयां और स्थानीय समुदायों की जागरूकता इसे बचाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। कड़े नियम, स्थायी प्रथाएं, और तकनीकी नवाचार विशाव नदी और अन्य जल संसाधनों को संरक्षित करने के लिए आवश्यक हैं।
मुख्य उद्धृत स्रोत
NGT Takes Suo Motu Cognizance of Dwindling Trout Population in Kashmir's Vishaw Stream - एनजीटी के स्वतः संज्ञान और विशाव नदी मामले की जानकारी।
Kausar Nag - Wikipedia - कौसरनाग झील और विशाव नदी के उद्गम का विवरण।
GPS Coordinates of Bijbehara - बीजबेहरा और संगम के GPS समन्वय।
Daily Court Digest: Major Environment Orders (April 16, 2025) - एनजीटी के पर्यावरणीय आदेशों का सार।
Central Pollution Control Board (CPCB) - सीपीसीबी की रिपोर्ट और एनजीटी मामले।
Microplastics in J&K's waterbodies - जम्मू-कश्मीर में जल प्रदूषण का अध्ययन।
Illegal River Mining: It’s Catastrophic - अवैध खनन की समस्या का विश्लेषण।