माधोसागर बांध, दौसा
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माधोसागर बांध का सूखना: दौसा के 200 गांवों में गहराया जल संकट

जल संकट: माधोसागर बांध के सूखने से दौसा के 200 गांवों में पेयजल और कृषि संकट गहराया, मछलियों की सामूहिक मृत्यु।
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दौसा, राजस्थान (25 अप्रैल 2025): राजस्थान के दौसा जिले में स्थित 'माधोसागर बांध' आज पूरी तरह सूख चुका है, जो कभी 200 से ज्यादा गांवों के लिए 'सिंचाई' और 'पेयजल' का प्रमुख स्रोत था। बांध में पानी पैंदा पकड़ चुका है। बांध के सूखने से मछलियाँ तड़प-तड़पकर मर रही हैं, और आसपास के क्षेत्रों में दुर्गंध ने पर्यावरण को दूषित कर दिया है। यह स्थिति 'जल संकट', 'जलवायु परिवर्तन', और 'जल प्रबंधन' की कमी को उजागर करती है, जिससे स्थानीय निवासियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

माधोसागर बांध: एक ऐतिहासिक जल स्रोत

माधोसागर बांध', जो दौसा जिले के सिकराय क्षेत्र में 'मोरेली नदी' पर स्थित है, इसका जीपीएस स्थान अक्षांश (Latitude) 26.9333° N और देशांतर (Longitude) 76.3833° E है। 'मोरेली नदी', जो अरावली पहाड़ियों से निकलती है, मानसून के दौरान सक्रिय रहती है, लेकिन हाल के वर्षों में कम वर्षा और अत्यधिक जल दोहन के कारण इसका प्रवाह लगभग खत्म हो गया है। यह बांध, जिसकी भंडारण क्षमता लगभग '1.2 मिलियन क्यूबिक मीटर' थी, अपने चरम समय में '50 गांवों' को सिंचाई और '20 गांवों' को पेयजल उपलब्ध कराता था। यह 'मछली पालन' और खेती के लिए भी महत्वपूर्ण था। लेकिन अब बांध का सूखना 'कृषि', 'आजीविका', और 'पर्यावरण' के लिए गंभीर चुनौती बन गया है।

2020 में स्थानीय लोगों ने बांध को 'पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी)' से जोड़ने की मांग की थी, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। बांध के सूखने से 'भूजल स्तर' 200 फीट से नीचे चला गया है, जिससे 'पेयजल संकट' और 'कृषि संकट' बढ़ गया है।

सूखे का पर्यावरणीय प्रभाव

'माधोसागर बांध के सूखने' से मछलियों की सामूहिक मृत्यु हो रही है, जैसा कि 'दैनिक नवज्योति' (21 अप्रैल 2025) ने बताया। मृत मछलियों से उठ रही दुर्गंध ने आसपास के गांवों में हवा को जहरीला बना दिया है। स्थानीय निवासी रामस्वरूप मीणा ने कहा, "दुर्गंध से सांस लेना मुश्किल है, और बच्चों को स्वास्थ्य समस्याएँ हो रही हैं।"

बांध के सूखने से 'भूजल स्तर' और नीचे गया, जिससे कुएँ और हैंडपंप सूख गए। यह 'जैव विविधता' के लिए भी खतरा है, क्योंकि बांध पक्षियों और जलीय जीवों का आवास था। 'पर्यावरणीय असंतुलन' अब स्थानीय समुदाय के लिए एक बड़ी चुनौती है।

'जल संकट का कारण' बना 'माधोसागर बांध के सूखने' के पीछे कई कारण हैं:

  1. - 'कमजोर मानसून': राजस्थान में कम वर्षा ने जलाशयों को भरने में बाधा डाली।[]()

  2. - 'जलवायु परिवर्तन': अनियमित वर्षा पैटर्न ने नदियों और बांधों में पानी के प्रवाह को कम किया।

  3. - अपर्याप्त जल प्रबंधन': बांध को नहरों या अन्य स्रोतों से जोड़ने की कोई योजना नहीं बनी।

  4. - 'भूजल दोहन': अत्यधिक दोहन ने भूजल स्तर को और कम किया।

स्थानीय किसान रामलाल ने कहा, "ट्यूबवेल सूख गए हैं, फसलें बर्बाद हो रही हैं, और पीने का पानी टैंकरों से लाना पड़ता है।"

स्थानीय समुदाय पर प्रभाव

'माधोसागर बांध का सूखना' स्थानीय समुदाय के लिए विनाशकारी साबित हुआ है। सिकराय और आसपास के गांवों में लोग पेयजल के लिए कई किलोमीटर पैदल चलने को मजबूर हैं। 'मछली पालन' पर निर्भर परिवारों की आजीविका ठप हो गई है। किसानों के खेत सूख रहे हैं, जिससे 'कृषि संकट' गहरा गया है। स्थानीय किसान नेता गोपाल सिंह ने चेतावनी दी, "अगर सरकार ने जल्द समाधान नहीं किया, तो किसान सड़कों पर उतरेंगे।"

सरकारी प्रयास और आलोचना

'माधोसागर बांध' की स्थिति पर स्थानीय प्रशासन और जल संसाधन विभाग ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। 'सच बेधड़क' (20 अप्रैल 2025) के अनुसार, मछलियों की मृत्यु के बाद मत्स्य विभाग के अधिकारी बांध का दौरा करने पहुंचे, लेकिन पानी की आपूर्ति बहाल करने की कोई योजना नहीं बनी। 'ईसरदा बांध परियोजना' की घोषणा के बावजूद, माधोसागर बांध के लिए कोई स्पष्ट रणनीति नहीं दिख रही, जिससे स्थानीय समुदाय में निराशा बढ़ रही है।

पर्यावरणीय और सामाजिक समाधान

'माधोसागर बांध के सूखने' की समस्या से निपटने के लिए विशेषज्ञ निम्नलिखित सुझाव देते हैं:

'माधोसागर बांध का सूखना' राजस्थान में बढ़ते 'जल संकट' का एक गंभीर उदाहरण है। 'जलवायु परिवर्तन', कमजोर मानसून, और खराब जल प्रबंधन ने इस स्थिति को और बदतर बनाया है। सरकार, प्रशासन, और समुदाय को मिलकर तत्काल कदम उठाने होंगे, ताकि 'माधोसागर बांध' फिर से जीवन रेखा बन सके। 

संदर्भ -

  1. - दैनिक नवज्योति, X पोस्ट, 21 अप्रैल 2025.

  2. - सच बेधड़क, X पोस्ट, 20 अप्रैल 2025.

  3. - Mappls.com, माधोसागर बांध का जीपीएस स्थान.

  4. - जल संसाधन विभाग, राजस्थान (water.rajasthan.gov.in), जल प्रबंधन और परियोजनाओं की जानकारी.

  5. - भास्कर, "राजस्थान के 526 बांध पूरी तरह सूख चुके," 24 जून 2024.[](https://www.bhaskar.com/local/rajasthan/jaipur/news/rajasthan-water-shortage-bisalpur-dam-jawai-dam-water-level-133218511.html)

  6. - इंडिया वाटर पोर्टल, "राजस्थान के जल संसाधन," हिंदी.[](https://hindi.indiawaterportal.org/content/raajasathaana-kae-jala-sansaadhana/content-type-page/46776)

  7. - ORF, "विश्व जल दिवस-2024: शांति और जीवन के लिए जल का महत्व," 28 मार्च 2024.[](https://www.orfonline.org/series/world-water-day-2024-water-for-peace-water-for-life-h)

  8. - इंडिया वाटर पोर्टल, "उपसंहार," 16 फरवरी 2018.[](https://hindi.indiawaterportal.org/articles/upasanhaara)

  9. - यूएन न्यूज़, "राजस्थान के पानी से वंचित एक क्षेत्र में जल संचय," 21 सितंबर 2024.[](https://news.un.org/hi/story/2024/09/1079396)

  10. - राजस्थान ज्ञान, "राजस्थान की नदियाँ (अरब सागर तंत्र की नदियाँ)."[](https://www.rajasthangyan.com/rajasthan?nid=10)

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