डॉ. दीपा गोबाड़ी
डॉ. दीपा गोबाड़ी हिन्दी और कुमाउनी साहित्य की प्रतिष्ठित लेखिका, कवयित्री एवं शिक्षाविद हैं। उनका जन्म 14 फरवरी 1966 को उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जनपद स्थित बेरीनाग में हुआ। उनके माता-पिता स्व. हीरा देवी विष्ट और स्व. गुलाब सिंह विष्ट मूलतः पिथौरागढ़ के भटेड़ी गांव से थे।
डॉ. गोबाड़ी ने हिन्दी साहित्य में एम.ए. और पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की है। वर्तमान में वह एम.बी.पी.जी. कॉलेज, हल्द्वानी (नैनीताल) में हिन्दी विभाग में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। शिक्षण क्षेत्र में वर्ष 1996 से सक्रिय हैं और अनेक शोधार्थियों का निर्देशन कर चुकी हैं। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों, कार्यशालाओं एवं शैक्षिक सम्मेलनों में सक्रिय सहभागिता की है।
साहित्यिक कृतियाँ:
1. शैलेश मटियानी के कहानी साहित्य में ग्रामीण जीवन की अभिव्यक्ति
2. पहाड़कि फाम (कुमाउनी गद्य संग्रह)
3. यादों के विम्ब (हिन्दी काव्य संग्रह)
4. कुहासा छंट गया (हिन्दी काव्य संग्रह)
5. मुहाना सफर (यात्रा संस्मरण)
6. च्योलि (कुमाउनी कहानी संग्रह)
7. उजास (कुमाउनी-हिन्दी काव्य संग्रह)
8. उत्तराखण्ड के प्रकृति प्रहरी
इसके अतिरिक्त उन्होंने लगभग पचास शोध-पत्रों का प्रकाशन किया है तथा अनेक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में कविताएं, कहानियां, निबंध एवं संस्मरण प्रकाशित हुए हैं।
सम्मान एवं पुरस्कार:
1 . कलावती साहित्य पुरस्कार एवं अरुण कुमार भट्ट स्मृति अखिल भारतीय कुमाउनी निबंध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान (2010)
2. भारतेन्दु निर्मल जोशी स्मृति सम्मान (2011 एवं 2013)
3. अमर उजाला मातृ दिवस कविता प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान (2012)
4. Pride of Bageshwar में चयन (2013)
5. अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन (मॉरीशस, 2014) में हिन्दी गौरव सम्मान
5 . राष्ट्रीय मेगा शिविर (असम, 2015) में सर्वश्रेष्ठ कार्यक्रम अधिकारी प्रशस्ति
6 . अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन (बैंकॉक, 2016) में हिन्दी भूषण सम्मान
7. भारतेन्दु निर्मल जोशी स्मृति अखिल भारतीय कुमाउनी लेखन पुरस्कार (नवम्बर 2024)
डॉ. दीपा गोबाड़ी अपने गहन अध्ययन, साहित्यिक प्रतिबद्धता और भाषिक सौंदर्य के लिए जानी जाती हैं। उनका कार्य क्षेत्रीय भाषा और संस्कृति को संरक्षण देने के साथ-साथ हिन्दी साहित्य को भी समृद्ध करता है।
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