पुस्तक परिचय : 'जल, जंगल और जमीन - उलट-पुलट पर्यावरण'
स्वतंत्र मिश्र की पुस्तक ‘जल, जंगल और जमीन : उलट पुलट पर्यावरण’ प्राकृतिक संसाधनों के अविवेकपूर्ण दोहन से उत्पन्न आपदाओं और खतरों को समझने और उसका विश्लेषण करने की एक गम्भीर कोशिश है। मनुष्य प्रकृति का अंश है, लेकिन पिछली एक-दो शताब्दी में मनुष्य ने खुद को प्रकृति का जेता समझ लिया। विकास के नाम पर प्रकृति के साथ एक प्रकार का युद्ध छेड़ दिया गया। जब प्रकृति का पलटवार शुरू हुआ तो पूरी धरती का पर्यावरण संकट में पड़ गया। पूरी मानव-जाति और जीव-जगत के समाप्त हो जाने का खतरा आसन्न है और इस खतरे को टालने के लिये हमारे पास बहुत कम समय बचा है। प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर ही मानव-जाति अपना अस्तित्व कायम रख सकती है।
अमीर देशों ने प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को तीसरी दुनिया के देशों में स्थानान्तरित करना शुरू कर दिया है। बड़ी-बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ इसकी अग्रदूत बनी हैं और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर तथा तीव्र विकास के नाम पर अमीर देशों से गरीब देशों की ओर प्रदूषण का निर्यात हो रहा है। विदेशी पूँजी पर आधारित विकास की परियोजनाएँ, उद्योग और व्यापार हमारे परम्परागत रोजगार के साधनों को समाप्त करते जा रहे हैं। जिन जहरीले कीटनाशकों को अमीर देश प्रतिबन्धित कर चुके हैं, उनका हमारे देश में धड़ल्ले से प्रयोग हो रहा है। किसानों को कंगाल बनाने और उन्हें खेती से बेदखल करने वाली नीतियाँ चलाई जा रही हैं और जिसके चलते लाखों किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
जिस रास्ते पर चलकर अमेरिका तथा अन्य औद्योगिक देश पृथ्वी को प्रलय और विनाश के रास्ते पर ले जा रहे हैं, उसकी नकल करके हम सुख-समृद्धि नहीं ला सकते। पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक प्रगति के बीच तालमेल करके चलने से ही मानव सभ्यता विनाश से बच सकती है। वैभव, विलास और अत्यधिक उपभोग वाली जीवन-पद्धति की नकल करना समझदारी की बात नहीं है। बल्कि उस जीवन पद्धति को बदल कर सादगी का रास्ता अपनाने के लिये हम अमीर देशों पर संगठित दबाव डालें।
स्वतंत्र मिश्र सामाजिक सरोकार वाले संवेदनशील पत्रकार हैं। जमीनी हकीकतों और जन संघर्षों से इनका जीवन्त रिश्ता रहा है। इनकी लेखनी बुनियादी प्रश्नों और नीतियों का परत-दर-परत मूल्यांकन और विवेचन करती है। इस किताब में रोचकता भी है और वैचारिक गहराई भी। मुद्दों की विविधता के साथ इसमें सभी आलेखों के बीच एक आन्तरिक सूत्रबद्धता भी है। मनुष्य और प्रकृति के मधुर सम्बन्धों की बुनियाद पर समतामूलक लोकतांत्रिक समाज रचना का पथ प्रशस्त करना इस पुस्तक का उद्देश्य है।
जल, जंगल और जमीन - उलट-पुलट पर्यावरण (इस पुस्तक के अन्य अध्यायों को पढ़ने के लिये कृपया आलेख के लिंक पर क्लिक करें) | |
क्रम | अध्याय |
पुस्तक परिचय - जल, जंगल और जमीन - उलट-पुलट पर्यावरण | |
1 | |
2 | |
3 | |
4 | |
5 | |
6 | |
7 | |
8 | |
9 | |
10 | |
11 | |
12 | |
13 | |
14 | |
15 | |
16 | |
17 | |
18 | |
19 | |
20 | |
21 | |
22 | |
23 | |
24 | |
25 | |
26 | |
27 | |
28 | |
29 | |
30 | |
31 | |
32 | |
33 | |
34 | |
35 | |
36 |
TAGS |
environment study books in Hindi pdf, environment related books in Hindi, environment book in Hindi pdf, paryavaran adhyayan books in Hindi, environmental studies material in Hindi, environmental studies pdf in Hindi, environment book in Hindi for IAS, environmental studies books free download, environment study books in hindi wikipedia, environment study books in hindi language pdf, environment study books essay in hindi, information about environment study books in hindi wiki, environment study books prabhav kya hai, Essay on environment study books in Hindi, Information about environment study books in Hindi, Free Content on environment study books information in Hindi, environment study books information (in Hindi), Explanation environment study books in India in Hindi, paryavaran adhyayan books in Hindi, environment study books Hindi meaning, environment study books Hindi translation, environment study books information Hindi pdf, environment study books information Hindi, quotations Bishwa Jala Diwas Hindi, environment study books information in Hindi font, Impacts of environment study books Hindi, Hindi ppt on environment study books information, essay on paryavaran adhyayan books in Hindi language, essay on environment study books information Hindi free, formal essay on paryavaran adhyayan books h, essay on environment study books information in Hindi language pdf, essay on environment study books information in India in Hindi wiki, short essay on environment study books information in Hindi, paryavaran adhyayan books essay in hindi font, information about environment study books in hindi language, |