गोमती नदी प्रदूषण की शिकार
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संदर्भ गंगा : गोमती में बाराबंकी, सुल्तानपुर, जौनपुर और उन्नाव का प्रदूषण (भाग 8)

गोमती नदी का प्रदूषण: बाराबंकी, सुल्तानपुर, जौनपुर और उन्नाव के कारखानों का कचड़ा और सीवेज पानी को बना रहा है खतरनाक। जानें कैसे प्रदूषण का असर गांवों और शहरों पर पड़ रहा है।
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बाराबंकी की रेठ नदी

रेठ नदी सीतापुर जिले के किसी स्थान से निकलकर बाराबंकी शहर और कारखानों की गंदगी तथा जहर लेते हुए गोमती में गिरती है। 

बाराबंकी जिले के जिस स्थान पर रेठ गोमती में गिरती है वहां घुलित आक्सीजन प्रति ली० 3 से 6 मि०ग्रा० होती है जबकि पी०एच० 8 से 9 के बीच रहता है। यह दोनों ही गंभीर प्रदूषण के संकेत है।

रेठ नदी में बाराबंकी शहर और कारखानों की गंदगी 4 कि०मी० लंबे जमुरिया नाले से आती है। जिन कारखानों का जहर जमुरिया नाले और रेठ से होकर गोमती में आता है वे हैं सौमैया आर्गेनिक्स, स्पिनिंग मिल, शुगर मिल, चार-पांच चमड़ा कारखाने और गांधी आश्रम में कपड़ों की छपाई तथा रंगाई। यहीं पर एक पोलिएस्टर कारखाना आने वाला है। राजधानी से नजदीकी और उद्योग शून्य जिला होने के कारण अनुदान व अन्य सुविधाएं मिलने से यहां तमाम उद्योग लगने प्रस्तावित हैं लेकिन उनके जहरीले कचड़े को निकालने की व्यवस्था नहीं है। आमतौर पर सभी जगह देखा गया है कि उद्योग विभाग और औद्योगिक (विकास निगम औद्योगिक) आस्थान बनाते समय संभव संभावित प्रदूषण रोकने के उपाय अपनी परियोजना में शामिल नहीं करता। स्थानीय लोगों को शुरू में इस खतरे का एहसास नहीं होता।

बाराबंकी शहर का सीवेज व अन्य गंदगी भी इसी जमुरिया नाले में गिरती है।

रेठ नदी में जिन कारखानों का प्रदूषण होता है उनमें तेजाब, क्षार, कोमियम व अन्य भारी धातुएं तथा हानिकारक रसायन होते हैं।

इस प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर नवाबगंज (बाराबंकी) शहर और फतेहपुर तहसील पर सर्वाधिक है। रेठ की मछलियां तो मरी थी, जानवरों, पक्षियों के लिए पानी का संकट है। कुओं का पानी प्रदूषित हो चुका है। रेठ के किनारे के गांव में एक-एक इंच बड़े मच्छर व प्रदूषित जल

अनेक बीमारियां पैदा कर रहे हैं। फसल खराब हो जाती है।

रेठ के किनारे के जो गांव इस विपदा से पीड़ित हैं उनमें सेठमऊ, इब्राहिमबाद, शरीफाबाद, पीरगांव, गेहदपुर, नींदनपुर, नगरौरा और दयानतनगर प्रमुख हैं।

भूतपूर्व मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा का कहना है कि सोमैया आर्गेनिक्स आदि नये कारखाने लगने के बाद पिछले चार-पांच साल से हालत ज्यादा खराब हुई है। श्री वर्मा के अनुसार प्रदूषित पानी पीकर कई गांवों के हजारों जानवर मर गये। आदमी बीमार हैं।

जिला प्रशासन से शिकायत की गयी है, पर उसका कोई असर नहीं होता।

सुल्तानपुर में गोमती का प्रदूषण

बाराबंकी के बाद सुल्तानपुर जिले के जगदीशपुर औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित नये कारखाने भी गोमती को प्रदूषित करने लगे हैं। इनके प्रदूषण का मामला 16 दिसंबर 1988 को उस समय फूटा जब इंडो गल्फ फर्टिलाइजर्स, बलरामपुर पेपर मिल्स और ऐग्रो पेपर मिल्स के उत्प्रवाह से विषैले हुए कठोरा ड्रेन का दूषित पानी पीने से उटेलवा, नेहरवां और डूमाडीह गांवों की 16 भैसें मर गयीं। यह कठोरा ड्रेन चांदीपुर ड्रेन में मिलती हैं और फिर सारा कचड़ा काटू नाला से होकर गोमती में जाता है।

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पिछले आठ साल से गोमती का आदि से अंत तक परीक्षण कर रहा है। पर उसकी सूची में इन उद्योगों का नाम नहीं है। प्रधानमंत्री राजीव गांधी के संसदीय क्षेत्र का मामला होने के नाते जिला प्रशासन ने तुरन्त भैसों का पोस्टमार्टम कराया, विसरा और दूषित पानी जांच के लिए भेजा और तीनों कारखानों पर थाने में मुक‌द्मा कायम कराया। यद्यपि इंडो गल्फ फर्टिलाइजर्स से प्रवक्ता अब भी इस तथ्य से इंकार कर रहे हैं। दूसरी ओर प्रशासन किसानों को इन उद्योगों से मुआवजा दिलाने की कार्यवाही कर रही है।

गोमती को प्रदूषित करने वाला आखिरी कारखाना सुल्तानपुर की किसान सहकारी चीनी मिल है। इस तरह सुल्तानपुर से भी ढेर सारा विष लेकर गोमती जौनपुर में प्रवेश करती है।

बाराबंकी के बाद गोमती को प्रदूषित करने वाला आखिरी कारखाना सुल्तानपुर की किसान सहकारी चीनी मिल है।

इस मिल के उत्प्रवाह के कारण सुल्तानपुर में नदी का पी०एच० एवं जैविक तथा रासायनिक आक्सीजन मांग अधिक रहती है।

कहने का तात्पर्य यह कि बाराबंकी से सुल्तानपुर के बीच नदी को यदि बहाव के कारण अपना पानी साफी करने का कुछ अवसर मिलता है तो सुल्तानपुर की चीनी मिल उसे पुनः प्रदूषित कर देती है।

जौनपुर शहर का मलजल

गोमती नदी जौनपुर शहर में भी प्रदूषणकारी तत्व ग्रहण करती है। इसकी वजह से जौनपुर शहर में गोमती में घुलित आक्सीजन की मात्रा भारतीय मानक संस्थान द्वारा निर्धारित न्यूनतम मान से भी कम हो गयी है। जौनपुर में प्रदूषण का मुख्य स्रोत शहर के मलजल का बिना शुद्धिकरण गोमती में निस्तारित किया जाना है। प्रदूषण बोर्ड ने प्रशासक नगरपालिका को 26 नवंबर, 1988 को सलाह दी है कि शहर के मलजल को साफ करने की योजना तैयार कराकर शीघ्र कियान्वित किया जाय। कहना न होगा कि गोमती का पानी यहां भी मनुष्य या अन्य जीव-जन्तुओं के लिए उपयोगी नहीं है।

सई नदी

वाराणसी में गोमती और गंगा के संगम से पहले सई और नाद नदियां गोमती में मिलती है। नाद में किसी प्रदूषण की जानकारी नहीं हो सकी है। लेकिन सई नदी निश्चित रूप से शहरी मलजल तथा औद्योगिक कचड़े से प्रदूषित है। फिर भी 32 लाख की लागत से कियान्वित की जा रही गोमती जल गहन परीक्षण परियोजना में इसका शामिल न होना आश्चर्यजनक प्रतीत होता है।

सई नदी हरदोई जिले के पिहानी कस्बे के समीप से निकलती है। सई में हरदोई जिले की लक्ष्मी शुगर मिल का उत्प्रवाह गिरता है, जिसका असर उन्नाव जिले के बनी कस्बे तक देखा गया है।

बनी के प्रधान जगनायक सिंह बताते हैं कि जाड़े के महीनों में लक्ष्मी शुगर मिल अपना दूषित शीरा बेरोकटोक सई नदी में डालती है। इसके फलस्वरूप नदी की मछलियां व अन्य जीव-जन्तु तो मर गये, पर मच्छर और मक्खियां पैदा हो गयी हैं। भूमिगत जल के प्रदूषण, मनुष्य, पशु-पक्षी के पीने के, नहाने तथा सिंचाई के लिए पानी की भयंकर समस्या इस प्रदूषण के कारण उत्पन्न हो जाती है। प्रतापगढ़ शहर की गंदगी भी सई नदी में ही गिरती है।

उन्नाव की औद्योगिक गंदगी

उन्नाव शहर के चमड़ा व केमिकल कारखानों की जहरीली गंदगी लोनी ड्रेन के जरिये सई में होकर गोमती और फिर गंगा तक जाती है। लोनी ड्रेन उन्नाव शहर के अंदर घुसने से पहले ही मिल जाती है। जहां सड़क के दायें ओर एक औद्योगिक आस्थान बनाया गया है।

सई में हरदोई और उन्नाव के औद्योगिक प्रदूषण के कारण दिसंबर-जनवरी में हर साल बनी से असरेन्दा के बीच मछलियां मरती हैं।

लोनी ड्रेन उन्नाव के पवई तालाब से निकलती है। उन्नाव से पहले सड़क के किनारे स्थित लेदर काम्प्लेक्स का सारा जहरीला पानी इसमें रेलवे लाइन के किनारे-किनारे गिरता है। उन्नाव की त्रिवेणी मेटल्स और जी०आई० ट्यूब्स कंपनियां भी अपना तेजाबी उत्प्रवाह इसी ड्रेन में डाल रही हैं।

यह शोधपत्र 9 भागों में है -

1 - संदर्भ गंगा : गोमती में औद्योगिक प्रदूषण (भाग 1)

2 - संदर्भ गंगा : गोमती में औद्योगिक प्रदूषण (भाग 2)

3 - संदर्भ गंगा : गोमती की सहायक सरायन, पेरई, कठना, भैंसा नदी में औद्योगिक प्रदूषण (भाग 3)

4 - संदर्भ गंगा : गोमती में पीलीभीत, शाहजहांपुर और हरदोई का औद्योगिक प्रदूषण (भाग 4)

5 - संदर्भ गंगा : लखनऊ गोमती में औद्योगिक प्रदूषण (भाग 5)

6 - संदर्भ गंगा : लखनऊ शहर में गोमती के प्रदूषण-स्रोत (भाग 6)

7 - संदर्भ गंगा : लखनऊ में गोमती बैराज की प्रदूषण में भूमिका (भाग 7) 

8 - संदर्भ गंगा : गोमती में बाराबंकी, सुल्तानपुर, जौनपुर और उन्नाव का प्रदूषण (भाग 8)

9 - संदर्भ गंगा : गोमती में प्रदूषण का दुष्परिणाम (भाग 9)

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