गोमती की कई सहायक नदियां प्रदूषित हो गई हैं
गोमती की कई सहायक नदियां प्रदूषित हो गई हैं

संदर्भ गंगा : गोमती की सहायक सरायन, पेरई, कठना, भैंसा नदी में औद्योगिक प्रदूषण (भाग 3)

गोमती की सहायक सरायन, पेरई, कठना और भैंसा नदियों में औद्योगिक प्रदूषण से जल गुणवत्ता में गिरावट। जानें कैसे मिलों और नगरपालिकाओं से निकलने वाला कचड़ा इन नदियों को प्रदूषित कर रहा है।
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गोमती की सहायक सरायन नदी का प्रदूषण

गोमती प्रदूषण के संदर्भ में गोन के बाद सरायन नदी की भूमिका का अध्ययन करना होगा। यह नदी लखीमपुर खीरी जिले में गोला गोकर्णनाथ से छह कि०मी० दूर स्थित अम्दानगर गांव के एक कुएं में स्थित भूगर्भ जल स्रोत से निकली है और सीतापुर जिले के भट्टपुर घाट पर गोमती में मिलती है।

सरायन में प्रदूषण के दो मुख्य स्रोत हैं।

1- मेसर्स हिन्दुस्तान शुगर मिल्स लि०, गोला गोकर्णनाथ खीरी और सीतापुर नगर का मलजल । 

शाहजहाँपुर की ओर से आने पर गोला कस्बे में घुसने से पहले ही सरायन नदी मिलती है। यहां से लगभग एक फर्लांग दूर ही गोला मिल का उत्प्रवाह नदी में गिरता है। यहां नदी का रूप एक मझोली नहर जैसा है। मिल से काफी तादाद में शीरे के रंग का उत्प्रवाह एक खुले कच्चे नाले से आता है।

गोला निवासी छोटेलाल ने बताया कि इस जहरीले पानी से पिछले साल बहुत मछलियां मरी थीं। गंदे पानी के कारण इस साल मछलियां हैं ही नहीं। छोटे लाल ने इलाके में मच्छर और बीमारियां बढ़ने के साथ ही जानवरों के पीने के पानी का अकाल बताया।

सुरेश प्रसाद का कहना है कि जबसे यह मिल चालू हुई है तभी से नदी में मछलियां धीरे-धीरे खत्म होती गयीं। बरसात में पानी बढ़ने पर कुछ मछलियां आती हैं। पर बाद में जहरीले पानी से मर जाती हैं। पास स्थित गाँवों अलियापुर, भूरा और भैसटा के मछुवारे बेरोजगार हो गये हैं। नहरनुमा सरायन नदी में मिल का गंदा पानी आने से किनारे के खेतों का धान और गन्ना भी खराब हो जाता है।

इस साल के पहले हफ्ते में ही सरायन नदी की गंदगी से लखनऊ में जल संस्थान के गऊघाट पंपिंग स्टेशन पर पानी का रंग काला हो गया तो संस्थान और राज्य सरकार ने सीतापुर और खीरी के जिला मजिस्ट्रेटों को निर्देश दिया था कि हरगांव और गोला मिलों का गंदा पानी नदी में गिरने से रोका जाय।

जिला मजिस्ट्रेट खीरी ने एक भेंट में बताया कि गोला नगरपालिका ने भारतीय दंड संहिता की धारा 278 के अंतर्गत मिल के खिलाफ एक मुकदमा थाने में दर्ज करा दिया है। इसी तरह परगना मजिस्ट्रेट गोला ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 133 के तहत कार्यवाही प्रारंभ की है। किन्तु इन दोनों कानूनी कार्यवाहियों के बावजूद गंदा कचड़ा बराबर नदी में गिर रहा है।

यहां यह उल्लेख करना आवश्यक है कि 1887 में हुई कमिश्नर की जांच में गोमती प्रदूषण के लिए इस मिल को भी मुख्य रूप से दोषी बताया गया था। पर दो साल बाद भी उसे रोका नहीं जा सका।

यहां के बाद सरायन में प्रदूषण का दूसरा प्रमुख स्रोत सीतापुर नगरपालिका है। इस शहर का सारा मलजल सरायन में गिरता है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वर्ष 1987 और 88 के अध्ययन के आधार पर प्रशासक, नगरपालिका को 26 नवम्बर, 1988 को पत्र लिखकर सूचित किया कि सीतापुर में सरायन नदी की जलगुणता में निरंतर ह्रास आ रहा है। जिसका मुख्य कारण शहर के मलजल का बिना शुद्धिकरण के सरायन नदी में निस्तारित किया जाना है। सरायन नदी सीतापुर में बहुत अधिक प्रदूषित हो चुकी है, जिससे कि घुलित आक्सीजन की मात्रा भारतीय मानक संस्थान द्वारा निर्धारित मान से कम हो गया है।

बोर्ड के वैज्ञानिक अधिकारी डा० जीएन. मिश्र ने अपने पत्र में अंत में लिखा कि शहर के मलजल को बिना शुद्धिकरण के सरायन में निस्तारित किये जाने से रोकना अत्यंत आवश्यक हो गया है। नगरपालिका सीतापुर को शहर मलजल के शोधन हेतु योजना तैयार कराकर शीघ्र कार्यान्वयन किया जाना चाहिए।

पेरई नदी

गोन की तरह सरायन की एक और छोटी सहायक नदी है पेरई। मेसर्स वनस्पति घी बनाने वाली मेसर्स बालाजी फैक्ट्री का प्रदूषित जल पेरई में गिरता है जो सीतापुर नगर से डेढ़ कि०मी० आगे सरायन में मिल जाती है। मेसर्स बालाजी वेजिटेबल प्रोडक्ट्स प्रा०लि० उन उद्योगों में से एक है जो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुकद‌मों के बावजूद अपना गंदा कचड़ा नदियों में गिरा रहे हैं।

कठना नदी

खीरी जनपद में मोहम्मदी से गोला आने पर कठना नदी रास्ते में पड़ती है। यह भी एक छोटी नदी है जो कुतुबनगर के पास स्थित दधना गाँव से कुछ ही दूर पर गोमती नदी में मिल जाती है। खीरी के पास कठना के पानी की जांच में पाया गया कि जल शुद्धिकरण के लिए नदी में आवश्यक विद्युत तरंग प्रदूषण के कारण बहुत कम हो गयी है।

कठना नदी के प्रदूषण में सबसे ज्यादा योगदान लक्ष्मी शुगर मिल, महोली (सीतापुर) का है। महोली कस्बे का गंदा पानी भी इसी में आता है।

भैंसा नदी

भैंसा नदी खीरी जनपद में मोहम्मदी गोला रोड के पास गोमती में मिलती है, यह शाहजहाँपुर की नयी बनी पुवायां सहकारी चीनी मिल का सारा कचड़ा पाकर पहले अपना और फिर गोमती का पानी खराब करती है।

यह शोधपत्र 9 भागों में है -

1 - संदर्भ गंगा : गोमती में औद्योगिक प्रदूषण (भाग 1)

2 - संदर्भ गंगा : गोमती में औद्योगिक प्रदूषण (भाग 2)

3 - संदर्भ गंगा : गोमती की सहायक सरायन, पेरई, कठना, भैंसा नदी में औद्योगिक प्रदूषण (भाग 3)

4 - संदर्भ गंगा : गोमती में पीलीभीत, शाहजहांपुर और हरदोई का औद्योगिक प्रदूषण (भाग 4)

5 - संदर्भ गंगा : लखनऊ गोमती में औद्योगिक प्रदूषण (भाग 5)

6 - संदर्भ गंगा : लखनऊ शहर में गोमती के प्रदूषण-स्रोत (भाग 6)

7 - संदर्भ गंगा : लखनऊ में गोमती बैराज की प्रदूषण में भूमिका (भाग 7) 

8 - संदर्भ गंगा : गोमती में बाराबंकी, सुल्तानपुर, जौनपुर और उन्नाव का प्रदूषण (भाग 8)

9 - संदर्भ गंगा : गोमती में प्रदूषण का दुष्परिणाम (भाग 9)

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