सरकारी लेखा परीक्षक कैग ने दिल्ली स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उनके परिसरों में वर्षा जल संचयन की सुविधा होने के बावजूद उन्होंने पानी के बिल पर 10 प्रतिशत की छूट का लाभ नहीं उठाया।
दिल्ली जल बोर्ड की एक अधिसूचना के अनुसार जिन सरकारी संस्थानों में वर्षा जल संचयन की सुविधा होगी उन्हें उनके पानी के बिल पर 10 प्रतिशत छूट मिलेगी। बोर्ड की यह अधिसूचना जनवरी 2010 से प्रभावी है।
संसद में आज प्रस्तुत कैग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आईआईटी दिल्ली परिसर में वर्ष 2,000 से वर्षा जल संचयन के 28 संभरण गड्ढे बनाए गए हैं। लेकिन संस्थान की लेखा परीक्षा के दौरान यह बात सामने आई है कि संस्थान ने जनवरी 2010 से लेकर जुलाई 2012 तक पानी के बिल में उपलब्ध 10 प्रतिशत छूट का लाभ नहीं उठाया। इससे आईआईटी को 64.29 लाख रुपए का नुकसान हुआ। इसी प्रकार जेएनयू परिसर में भी वर्षा जल संचयन प्रणाली की आठ स्थानों पर सुविधा है। यह सुविधा 2005 से ही काम कर रही है। इससे जेएनयू को पानी बिल पर 10 प्रतिशत छूट उपलब्ध थी लेकिन विश्वविद्यालय ने जनवरी 2010 से सितंबर 2011 तक इसका लाभ नहीं उठाया जिससे उसे 80 लाख रुपए का नुकसान उठाना पड़ा। कैग ने एक अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालय, विश्व भारती को भी उपलब्ध कराए गए धन का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाने के लिए आड़े हाथों लिया है।
कैग ने कहा है कि विश्व भारती ने विश्व विद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से अनुदान लिया और उसका पूरा इस्तेमाल करने में असफल रहा। “विश्वविद्यालय ने 12.68 करोड़ रुपए लिए जिसमें से वह मार्च 2005 तक वह मात्र 10.01 करोड़ रुपए की इस्तेमाल कर पाया। शेष बची 2.67 करोड़ रुपए की राशि को न तो यूजीसी को वापस किया गया और न ही इसे ज्यादा ब्याज प्राप्त वाली सावधि जमा में रखा गया। अप्रैल 2005 से लेकर मार्च 2012 तक यह राशि चालू खाते में पड़ी रही।”