चूरू । पीने के पानी में आसानी से नजर नहीं आने वाले हानिकारक तत्वों को बिना किसी खास मेहनत और नाममात्र खर्च पर दूर किया जा सकता है।बात भले ही गले नहीं उतर रही हो मगर कृषि विज्ञान केन्द्र (केवीके), सरदारशहर के गृह विज्ञान विभाग ने ऎसा तरीका खोज निकाला है।
जो पीने के पानी की बूंद-बूंद को शुद्ध कर जलजनित बीमारियों पर लगाम लगाई जा सकती है। दो मटके, एक छोटी टौंटी, चिकनी मिट्टी से बनी एक फिल्टर कैंडल और सूती कपडे की सहायता से तैयार इस उपकरण को केवीके ने फिल्टर मटकी नाम दिया है। पानी को शुद्ध करने के साथ-साथ ठण्डा रखने वाली फिल्टर मटकी को फिलहाल केवीके में प्रदर्शन के लिए रखा गया है।
फिल्टर मटकी तैयार करने के लिए सबसे पहले फिल्टर कैंडल और छोटी टौंटी की दरकार है। दोनों ही वस्तुएं मात्र पचास रूपए की लागत में हार्डवेयर की दुकान पर आसानी से उपलब्ध हो जाती है। एक मटके के पैंदे के बीचोबीच छेद निकालकर उसमें एमसील की सहायता से फिल्टर कैंडल तथा दूसरी मटकी में पैंदे से थोडी ऊपर टौंटी लगाई गई है।
फिल्टर कैंडल लगी मटकी को पानी से भरकर मटका स्टैण्ड में ऊपर तथा नल लगी खाली मटकी को सूती कपडे से ढककर स्टैण्ड के नीचे वाले में खाने में रखना होगा। ऊपर वाले मटकी का पानी फिल्टर होकर नीचे वाले मटके में जाएगा। नीचे वाली मटकी में लगी टौंटी की सहायता से शुद्ध पानी प्राप्त किया जा सकता है। खास बात है कि पानी में मिले हानिकारक रसायन फिल्टर कैंडल के छेदों को पार नहीं कर पाएंगे।
पानी में मिले निलंबित कणों से फिल्टर कैंडिल की सहायता से बचा जा सकता है। ये कण जलजनित बीमारियों का कारण बनते हैं। यह तकनीक नहर के पानी को भी शुद्ध करने में खासी प्रभावशाली है।
-सुशील कुमार शर्मा, कैमिस्ट, पीएचईडी, चूरू
कम समय और करीब 70 रूपए खर्च में फिल्टर मटकी तैयार की है। बाजार में उपलब्ध आधुनिक वाटर फिल्टरों के मुकाबले में यह काफी सस्ती है। केवीके में इसे प्रदर्शन के लिए रखा गया है।
- कविता जैन, गृह विज्ञान विशेषज्ञ, कृषि विज्ञान केन्द्र, सरदारशहर, चूरू