इन्दौर की पेयजल व्यवस्था को प्राकृतिक रूप से शुद्ध करने में इन्दौर तथा बड़वाह वन मण्डलों के वन की बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका है। यह वन क्षेत्र इन्दौर महानगर को दिये जाने वाले नर्मदा जल की गुणवत्ता, मात्रा तथा निरन्तरता को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है।
टांग्या प्लाट तथा खेड़ीटाडा वन सुरक्षा समिति ने वनों को अवैध अतिक्रमण, कटाई, अवैध चराई एवं आग से सुरक्षित रखने के साथ ही ग्रामों के विकास कार्यों में भी योगदान दिया है। समितियों ने अपने जंगलों की सुरक्षा का पानी के शुद्धिकरण की दृष्टि से बीड़ा उठाया है। इस प्रयास में इन्दौर और आसपास के क्षेत्र में काम करने वाले दो उद्योगपतियों द्वारा धनराशि देने की सहमति और अग्रिम धनादेश दिये गए हैं। इन्दौर की साइंटेक ईको फाउंडेशन ने 2 लाख 70 हजार 40 तथा आर्टिसन एग्रोटेक ने खेड़ीटांडा वन सुरक्षा समिति को 2 लाख 11 हजार 700 रुपए की राशि पारिस्थितिकीय सेवाओं के रूप में उपलब्ध करवाई है।
वनों की एक मुख्य भमिका पेयजल के शुद्धिकरण में भी है। घने वनों से होकर बहने वाला पानी निर्मल होकर कीटनाशक और रासायनिक उर्वरकों को सोख लेता है। इससे पीने के पानी के स्रोत साफ हो जाते हैं। विश्व के कई देश में इस व्यवस्था को लागू किया गया है। इसमें ग्रामीण अपने जंगलों और खेतों में सघन वृक्ष आवरण सृजित कर पानी को साफ करने में सहयोग करते हैं। इसके लिये महानगरों के निवासी दूर बसे गाँवों में निवास करने वाले लोगों को भुगतान करते हैं। इसे पारिस्थितिकीय सेवाओं के लिए भुगतान या पेमेन्ट फॉर ईको सिस्टम सर्विसेज कहा जाता है।
इन्दौर महानगर की पेयजल व्यवस्था को प्राकृतिक रूप से शुद्ध रखने में सहयोग करने पर बड़वाह वन मण्डल की टांग्याप्लाट तथा खेड़ीटाडा वन सुरक्षा समिति को 4 लाख 38 हजार से ज्यादा राशि मिलेगी। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 7 फरवरी को भोपाल में तेन्दूपत्ता संग्राहकों तथा वन समितियों के सदस्यों के महासम्मेलन में इन समितियों के अध्यक्ष को प्रथम किश्त के चेक दे दिये हैं।